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यूपी में टूटे पुलों को अब भी मरम्मत का इंतजार

उत्तरप्रदेश में दुर्घटनाएं, चाहे वे पुल, सड़क या आग से संबंधित हों, का जीवन बेहद छोटा होता है।

यूपी में टूटे पुलों को अब भी मरम्मत का इंतजार
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लखनऊ: उत्तरप्रदेश में दुर्घटनाएं, चाहे वे पुल, सड़क या आग से संबंधित हों, का जीवन बेहद छोटा होता है। प्रदेश में जब भी कोई दुर्घटना होती है, पूछताछ, जांच और ऑडिट का आदेश दिया जाता है और कुछ दिनों के बाद मामले को दबा दिया जाता है। गुजरात के मोरबी में करीब 100 साल पुराने सस्पेंशन ब्रिज के गिरने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में सभी तरह के पुलों के निरीक्षण और जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने लोक निर्माण विभाग और उत्तर प्रदेश ब्रिज कॉरपोरेशन लिमिटेड के अधिकारियों को सभी झूला पुलों का ऑडिट करने के लिए कहा। रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद इसकी समीक्षा मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा की जाएगी।

उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में पिछले साल नवंबर में पुल गिरने की आखिरी घटना सामने आई थी।

शाहजहांपुर और बदायूं को जोड़ने वाला कोलाघाट पुल तीन टुकड़ों में टूट कर ढह गया था, हालांकि कोई हताहत नहीं हुआ था।

दुर्घटना को हुए एक साल हो गया है और अब तक किसी की जिम्मेदारी तय नहीं की गई है।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, मामले की जांच की जा रही है।

मई 2018 में वाराणसी में एक निर्माणाधीन फ्लाईओवर गिरने से 18 लोगों की मौत हो गई थी। घटना वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन के सामने हुई थी।

इस घटना में कई कारें मलबे के नीचे दब गईं और दो दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए। दुर्घटनाग्रस्त ढांचे से तीन लोगों को जिंदा निकाला गया। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की एक टीम को मलबे को हटाने और घायलों को मलबे से बाहर निकालने के लिए तैनात किया गया था। उत्तरप्रदेश राज्य पुल निगम द्वारा चौका घाट बस स्टैंड और लहरतारा के बीच फ्लाईओवर का निर्माण किया जा रहा था।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था। समिति को 48 घंटे के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट सौंपने को के लिए कहा गया था।

बाद में परियोजना में शामिल आधा दर्जन इंजीनियरों को निलंबित कर विभागीय कार्रवाई की भी घोषणा की गई। लेकिन घटना के चार साल बाद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

हाल ही में 31 अक्टूबर को छठ पूजा के दौरान चंदौली जिले के सरैया गांव के पास एक पुरानी पुलिया का एक हिस्सा गिर गया और कई श्रद्धालु कर्मनाशा नहर में गिर गए। हालांकि कोई गंभीर रूप से घायल नहीं हुआ।

स्थानीय लोगों ने बताया कि पुलिया काफी पुरानी थी और इसका निर्माण 1993 के आसपास किया गया था। पुलिया का स्लैब टूटने के कारण यह उपयोग में नहीं था। छठ पूजा समारोह के दौरान स्थानीय लोग पुलिया की एक पटिया पर खड़े हो गए और अधिक वजन के कारण ये ढह गई।

मामले में जांच के अलावा कोई कार्रवाई नहीं की गई।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) लगभग 2.9 लाख किमी सड़कों का रखरखाव करता है। इसके पास नहरों, नदियों और नालों पर बने हजारों पुलों को सुरक्षित बनाए रखने का भी काम है।

ब्रिज कॉरपोरेशन के पास रेलवे क्रॉसिंग और चौड़ी नदियों और सहायक नदियों और मेट्रो कॉरिडोर के आसपास बनाई जा रही बड़ी परियोजनाओं की जिम्मेदारी होती है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, दोनों एजेंसियों ने संरचनाओं के सर्वेक्षण के लिए अधिकारियों की नियुक्ति की है।


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