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आप्रवासियों का देश में घुसना कठिन बना रहा है ब्रिटेन

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर ने सोमवार को देश की शरणार्थी नीति सख्त बनाने की घोषणा की है. ब्रिटेन शरणार्थियों पर रोक लगा कर देश में दक्षिणपंथ के लिए बढ़ते समर्थन पर लगाम कसना चाहता है

आप्रवासियों का देश में घुसना कठिन बना रहा है ब्रिटेन
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ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर ने सोमवार को देश की शरणार्थी नीति सख्त बनाने की घोषणा की है. ब्रिटेन शरणार्थियों पर रोक लगा कर देश में दक्षिणपंथ के लिए बढ़ते समर्थन पर लगाम कसना चाहता है.

नई शरणार्थी नीति के जरिए ब्रिटेन "आखिरकार सीमाओं का नियंत्रण वापस लेने" की तैयारी कर रहा है. लेबर पार्टी के नेता स्टार्मर ने घोषणा की है कि वे "खुली सीमाओं के प्रयोग" को खत्म कर रहे हैं. पिछली रुढ़िवादी सरकार के दौर में ब्रिटेन में करीब 10 लाख और आप्रवासी आ गए. रुढ़िवादी सरकार को पिछले आम चुनाव में हार मिली थी.

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आप्रवासन घटाने पर जोर

सरकार ने आप्रवासन नीति पर जो दस्तावेज पेश किया है उसमें विदेशी केयर वर्करों की संख्या घटाने की बात है. इसके साथ ही ब्रिटेन में बसने या फिर नागरिकता के लिए जरूरी समय सीमा को पांच साल से बढ़ा कर 10 साल करने की बात है. इसके साथ ही अंग्रेजी भाषा ज्ञान के नियमों को भी सख्त बनाया जा रहा है. सभी वयस्क आश्रितों को इसकी बुनियादी समझ दिखानी होगी. इतना ही नहीं छात्रों को पढ़ाई पूरी करने के बाद ब्रिटेन में रहने के लिए मिलने वाली अवधि को भी घटाया जा रहा है. भारत समेत कई देशों के नागरिक इससे प्रभावित होंगे.

स्टार्मर ने कहा है कि ये नीतियां, "आखिरकार हमारे देश की सीमाओं का नियंत्रण" अपने हाथ में ले लेंगी. यह वही नारा है जो 2016 में यूरोपीय संघ से बाहर निकलने से पहले देश में गूंजा था. लेबर पार्टी ने पिछले साल अपने चुनावी घोषणापत्र में वादा किया था कि वह आप्रवासियों की संख्या को प्रमुख रूप से घटाएगी. पिछले साल जून से पहले के 12 महीनों में यह संख्या 7,28,000 थी. 2023 में यह संख्या सबसे ज्यादा 9,06,000 पर पहुंच गई थी. 2010 के दशक के ज्यादातर सालों में यह संख्या औसत रूप से करीब 2,00,000 थी.

दक्षिणपंथी राजनीति का बढ़ती लोकप्रियता

स्टार्मर राजनीति में उतरने से पहले मानवाधिकार मामलों के वकील थे. उन्होंने ब्रिटेन के यूरोपीय संघ में रहने के पक्ष में वोट दिया था. बीते कुछ समय से स्टार्मर पर दबाव बढ़ गया है. हाल ही में ब्रिटेन की आप्रवासी विरोधी रिफॉर्म पार्टी को स्थानीय चुनावों में बड़ी सफलता मिली.

फ्रांस और ब्रिटेन के बीच आप्रवासियों को लेकर गहरा रहा विवाद

यूरोपीय संघ के प्रति आशंकित रहने वाले निगेल फराज की पार्टी ने 670 से ज्यादा स्थानीय परिषदों की सीटें जीत ली और पहली बार दो मेयर पद का चुनाव भी जीता. पार्टी राष्ट्रीय सर्वेक्षणों में भी काफी आगे चल रही है जबकि लेबर पार्टी को संघर्ष करना पड़ रहा है. स्टार्मर का आप्रवासियों के खिलाफ कदम उठाना लेबर पार्टी के उदारवादी समर्थकों को उनसे दूर कर सकता है. उदारवादी वामपंथी धड़े में लिबरल डेमोक्रैटिक पार्टी और ग्रीन पार्टी के वोट बढ़ रहे हैं.

प्रधानमंत्री का कहना है कि आप्रवासी ब्रिटेन में, "विशाल योगदान" करते हैं. हालांकि उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि देश ने अगर ज्यादा नियंत्रण नहीं लागू किए तो यह "अपरिचितों का द्वीप" बन जाएगा. उनका कहना है कि वह 2029 में अगले आम चुनाव से पहले आप्रवासन को "प्रमुखता" से घटाना चाहते हैं, लेकिन कितना यह नहीं बताया.

हर तरफ से होगी आप्रवासन पर सख्ती

लंदन की एक प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कहा, "आप्रवासन तंत्र के हर क्षेत्र को कठोर बनाया जाएगा जिसमें काम, परिवार और पढ़ाई भी शामिल है."

आप्रवासन की नई नीति में देश में अपराध करने वाले आप्रवासियों को डिपोर्ट करने के लिए नए अधिकार देने की भी बात है. फिलहाल विदेशी नागरिकों को सिर्फ जेल की सजा मिलने की सरकार को जानकारी होती है. नई व्यवस्था के तहत विदेशी नागरिकों के दोषी करार दिए जाने की जानकारी सरकार को होगी.

नई नीति में ब्रिटेन में विदेशी कुशल कामगारों को नौकरी पाने के लिए लिए वीजा नियंत्रण के तहत यूनिवर्सिटी की डिग्री को भी जरूरी बनाया गया है. आप्रवासियों के देश में बसने और नागरिकता हासिल करने में लगने वाले समय को भी दोगुना करने की बात है. स्टार्मर का कहना है कि ब्रिटेन में, "ऐसा तंत्र था जो कारोबारों को हमारे युवाओं में निवेश करने की बजाय कम आय वाले कामगारों को लाने के लिए प्रोत्साहित करता है."


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