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ब्रिटेन ने पिछले साल 14 फीसदी कम वीजा दिए

बाहर से आने वालों की संख्या कम करने की कोशिश के तहत ब्रिटेन ने वीजा जारी करने की संख्या में भारी गिरावट की है. इसका भारतीयों पर बड़ा असर हो सकता है

ब्रिटेन ने पिछले साल 14 फीसदी कम वीजा दिए
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बाहर से आने वालों की संख्या कम करने की कोशिश के तहत ब्रिटेन ने वीजा जारी करने की संख्या में भारी गिरावट की है. इसका भारतीयों पर बड़ा असर हो सकता है.

यूरोप में आप्रवासियोंकी संख्या कम करने की कोशिश हो रही है. पिछले साल विदेशी कामगारों, विदेश से आने वाले छात्रों और परिवार से मिलने आने वाले लोगों को जारी किए गए वीजा की संख्या में 14 फीसदी की गिरावट आई है.

जून 2024 तक सरकार की सेटलमेंट योजनाओं के तहत या अन्य कारणों से देश में आने वाले लोगों को कुल 12.3 लाख वीजा (12,34,817) जारी किए गए, जो पिछले 12 महीने की अवधि में जारी किए गए 14,35,372 वीजा से 2,00,555 कम है.

जून तक के 12 महीनों में कुल 5,46,774 कार्य वीजा जारी किए गए, जो जून 2023 तक के वर्ष में 5,38,222 से थोड़ा ज्यादा है. इसके अलावा, 5,30,496 स्टडी वीजा (पिछले वर्ष के 6,56,589 से कम) और 84,403 परिवार वीजा (पिछले वर्ष के 75,131 से अधिक) जारी किए गए, साथ ही 4,007 डिपेंडेंट वीजा जारी किए गए. डिपेंडेंट वीजा उन लोगों के जीवनसाथियों को दिए जाते हैं, जिन्हें ब्रिटेन का कोई अन्य वीजा मिला हो. पिछले साल के मुकाबले इस साल के 5,167 से कम डिपेंडेंट वीजा जारी हुए.

कई श्रेणियों में गिरावट

यूक्रेन वीजा योजनाओं के तहत सिर्फ 28,419 वीजा जारी किए गए जबकि पिछले साल 89,226 लोगों को वीजा दिए गए थे. हांगकांग से ब्रिटिश नेशनल (ओवरसीज) का स्टेटस रखने वाले लोगों को 22,306 वीजा जारी किए गए. यह भी पिछले साल के 37,160 से कम है. ईयू सेटलमेंट योजना के तहत 14,363 वीजा (पिछले वर्ष के 28,899 से कम) और अन्य सेटलमेंट योजनाओं के तहत 4,049 वीजा जारी किए गए जो पिछले वर्ष के 4,978 से कम है.

मुख्य आवेदकों को जारी स्वास्थ्य और देखभाल कार्यकर्ता वीजा पिछले वर्ष की तुलना में 26 फीसदी घटकर 89,095 पर आ गए. अप्रैल से जून तक की अवधि के दौरान इन वीजा में 81 फीसदी की तेज गिरावट आई, जो नए प्रतिबंधों के मुताबिक है. ब्रिटेन ने पिछले साल ही इस वीजा पर कई कड़े प्रतिबंध लगाए थे.

विपक्ष के गृह मामलों के प्रवक्ता और कंजरवेटिव पार्टी के नेता बनने की दौड़ में सबसे आगे माने जाने वाले जेम्स क्लेवरली ने दावा किया कि ये आंकड़े इस बात का सबूत हैं कि उनके कार्यालय में रहते हुए लागू किए गए उपायों का असर हो रहा है. उन्होंने कहा, "जब मैंने कहा था कि मैं माइग्रेशन को कम करूंगा, तो मैं गंभीर था. मैंने वीजा सुधार किए और नेट माइग्रेशन को कम किया. यही वह विरासत है जो मैंने लेबर को सौंपी है."

माइग्रेशन घटाने की कोशिश

कनाडा और ऑस्ट्रेलिया की तरह ब्रिटेन भी अपने यहां आने वाले लोगों की संख्या कम करने की कोशिश कर रहा है, जो पिछले साल तक नए रिकॉर्ड पर पहुंच गई थी. इसके तहत धीरे-धीरे लागू किए गए प्रतिबंधों में अपने परिवारों की देखभाल के लिए या परिवार के निर्भर सदस्यों को लाने पर प्रतिबंध और कुशल श्रमिकों के लिए वेतन सीमा को अप्रैल से 29,000 पाउंड यानी लगभग 32 लाख से बढ़ाकर अगले वर्ष तक 38,700 पाउंड यानी लगभग 42 लाख करना शामिल है. इसका अर्थ है कि अब वही लोग अपने परिवारजनों को बुला सकेंगे जिनकी सालाना आय 38,700 पाउंड से ज्यादा होगी.

पिछली सरकार का लक्ष्य इन उपायों के माध्यम से हर साल ब्रिटेन आने वाले लोगों की संख्या में 3,00,000 की कमी लाना था.

अन्य सुधारों के तहत, विदेश से आने वाले छात्रों को अपने परिवार के सदस्यों को यूके लाने से रोका गया और ब्रिटेन में औसत राष्ट्रीय आय से कम कमाने वाले ब्रिटिश नागरिकों के लिए विदेशी जीवनसाथी को लाने को कठिन बना दिया गया.

गृह मंत्रालय ने पहले कहा था कि इन नीतियों का कितना असर हुआ है, इसका पता छात्र वीजा के लिए आने वाले आवेदनों की अधिकतम संख्या से चलेगा. आमतौर पर जुलाई और सितंबर के बीच छात्र वीजा के आवेदन चरम पर होते हैं.

भारतीयों को परिवार सहित वीजा देना आसान करेगा जर्मनी

ऑक्सफर्ड विश्वविद्यालय के माइग्रेशन ऑब्जर्वेटरी के शोधकर्ता डॉ. बेन ब्रिंडल कहते हैं कि कंजरवेटिव सरकार के अंतिम कुछ महीनों में वीजा की संख्या में गिरावट आई और ब्रिटेन छोड़ने वालों की संख्या भी बढ़ रही है. सिद्धांत रूप में, इसका मतलब अगले साल में नेट माइग्रेशन में गिरावट होनी चाहिए.

उन्होंने कहा, "लेकिन इसकी सटीक भविष्यवाणी करना कठिन है. हमें अभी तक यह नहीं पता कि हाल ही में आए छात्र लंबे समय तक यूके में रहेंगे या नहीं. और स्वास्थ्य और देखभाल वीजा में किसी भी बदलाव से गिरावट धीमी हो जाएगी. फिर भी, यह मजबूत संकेत है कि लेबर पार्टी नेट माइग्रेशन कम करने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा कर सकेगी."

ब्रिंडल के मुताबिक ब्रिटेन में विश्वविद्यालय क्षेत्र पर छात्र संख्या में गिरावट के प्रभाव के बारे में बहुत अटकलें हैं लेकिन यह कहना अभी बहुत जल्दी है कि इस वर्ष कितनी बड़ी गिरावट होगी, क्योंकि अधिकांश छात्र अपने वीजा के लिए गर्मियों के दौरान आवेदन करते हैं.

प्रतिबंधों का विरोध

आप्रवासियों के लिए काम करने वाली संस्था 'वर्क राइट्स सेंटर' ने नई लेबर सरकार से अनुरोध किया है कि नेट माइग्रेशन कम करने के लिए प्रतिबंधों पर निर्भर ना रहे. उसके मुताबिक ये प्रतिबंध कामगारों को उनके परिवारों से अलग करते हैं. संस्था की सीईओ डॉ. डोरा-ओलिविया विकोल ने कहा, "निर्भर पारिवारिक सदस्यों को लाने के लिए प्रवासी देखभाल कर्मियों पर लगाया गया प्रतिबंध यूके में देखभाल के क्षेत्र में करियर बनाने के इच्छुक लोगों के लिए एक बाधा के रूप में काम कर सकता है. इससे कुशल श्रमिकों को उनके परिवारों से अलग-थलग रखने की कीमत चुकानी पड़ी है. हम नई लेबर सरकार से इस क्रूर नीति को उलटने का आग्रह करते हैं."

ब्रिटेन के इन प्रतिबंधों का भारतीयों पर बड़ा असर हो सकता है, जो वहां जाने वाले सबसे बड़े समूहों में से एक है. जुलाई 2023 और जून 2024 के बीच, ब्रिटेन ने भारतीय नागरिकों को पहले के मुकाबले कम वीजा जारी किए. इस अवधि के दौरान 1,33,000 से अधिक भारतीय छात्रों को अध्ययन वीजा जारी किए गए, जिससे वे यूके में अंतरराष्ट्रीय छात्रों का सबसे बड़ा समूह बन गए. इसके बावजूद, भारतीय छात्रों की संख्या में पिछले साल की तुलना में 23 फीसदी की गिरावट आई.

भारतीय नागरिकों ने अन्य श्रेणियों में भी प्रमुखता बनाए रखी, जिनमें विजिटर वीजा शामिल है. कुल जारी किए गए विजिटर वीजा में 25 फीसदी भारतीय थे, जो किसी एक देश के लिए सबसे ज्यादा था.

पिछले साल 67,000 से अधिक भारतीय छात्रों को ग्रैजुएट रूट वीजा जारी किए गए, जिससे वे अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद ब्रिटेन में काम कर सकते हैं. यह कुल जारी किए गए ग्रैजुएट रूट वीजा का लगभग आधा था.


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