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महाराष्ट्र नगर परिषद एवं नगर पंचायत चुनावों में महायुति का लहराया परचम, शिवसेना (यूबीटी) पांचवें स्थान पर
महाराष्ट्र में भाजपा ने 120 से अधिक स्थानों पर अपने नगर अध्यक्ष जिताकर अपनी ताकत फिर सिद्ध कर दी है। भाजपा के सहयोगी दलों में से शिवसेना के 57 एवं राकांपा के 37 नगर अध्यक्ष बन सकते हैं।

मुंबई : Maharastra Election: महाराष्ट्र में भाजपा ने 120 से अधिक स्थानों पर अपने नगर अध्यक्ष जिताकर अपनी ताकत फिर सिद्ध कर दी है। भाजपा के सहयोगी दलों में से शिवसेना के 57 एवं राकांपा के 37 नगर अध्यक्ष बन सकते हैं। विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी में कांग्रेस ने 30 स्थानों पर अपने नगर अध्यक्ष जिताए हैं। शिवसेना (यूबीटी) एवं राकांपा (शरदचंद्र पवार) के हिस्से में 10-10 नगराध्यक्ष पद ही आते दिख रहे हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इसे ‘टीम भाजपा’ की जीत बताया है। महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों के प्रथम चरण में रविवार को 246 नगर परिषद एवं 42 नगर पंचायतों के लिए चुनाव परिणाम घोषित हुए। नगर परिषद एवं नगर पंचायतों के चुनाव दो दिसंबर एवं 20 दिसंबर को हुए थे।
राजनीतिक कौशल पर फिर मुहर
इन चुनावों में भाजपा अपने सहयोगियों एवं विरोधियों से बहुत आगे दिखाई दे रही है। इससे जहां उसकी राज्यव्यापी ताकत बढ़ती दिख रही है, वहीं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के राजनीतिक कौशल पर भी फिर मुहर लग गई है। भाजपा के कुछ नगर अध्यक्ष तो शुरुआत में ही निर्विरोध चुनकर आ गए थे। अब भाजपा नगर अध्यक्षों की संख्या के हिसाब से अपनी सहयोगी शिवसेना से दोगुने से ज्यादा एवं राकांपा से तीन गुने अधिक नगर अध्यक्षों को चुनवाकर लाने में सफल रही है, जबकि वोटचोरी का आरोप लगाकर उसे घेरनेवाली कांग्रेस बहुत पीछे रह गई है। उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) का तो लगभग सफाया ही हो गया है। इससे एक बार फिर उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना का प्रभाव अधिक होने पर मुहर लग गई है।
अजीत पवार को बढ़त
दूसरे उपमुख्यमंत्री अजीत पवार भी अपने चाचा शरद पवार को तगड़ी शिकस्त देने में सफल रहे हैं। उनकी पार्टी राकांपा का झंडा 37 जगहों पर फहराया है। इनमें उनका गृहनगर बारामती भी शामिल हैं, जहां से पिछले लोकसभा चुनाव में उनकी पत्नी को हराकर उनकी चचेरी बहन सुप्रिया सुले सांसद बनी थीं।
भाजपा के हौसले बुलंद
इन चुनाव परिणामों ने करीब 25 दिनों बाद होने जा रहे राज्य की 29 महानगरपालिकाओं की बानगी भी पेश कर दी है। इनमें मुंबई, ठाणे, नागपुर, पुणे, नासिक एवं पिंपरी-चिंचवड़ जैसी बड़े बजट वाली महानगरपालिकाएं भी शामिल हैं। विधानसभा चुनाव में बुरी तरह हारने के बाद अब मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) पर ही शिवसेना (यूबीटी) की आखिरी उम्मीद टिकी है। शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बीएमसी का चुनाव जीतने के लिए अपने चचेरे भाई राज ठाकरे से वर्षों से चली आ रही अनबन भी भुला दी है। बीएमसी पर शिवसेना (अविभाजित) का कब्जा करीब 30 साल से चला आ रहा है, लेकिन नगर परिषद एवं नगर पंचायत चुनाव के परिणामों ने 15 जनवरी को होने जा रहे 29 महानगरपालिका चुनावों के लिए भी भाजपा के हौसले बुलंद कर दिए हैं।
विपक्ष ने स्वीकारी हार, ईवीएम पर फोड़ा ठीकरा
प्रेट्र के अनुसार कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) ने नगरपालिका परिषदों और नगर पंचायतों के चुनावों में हार स्वीकार करते हुए चुनाव आयोग पर सत्तारूढ़ महायुति की जीत में मदद करने का आरोप लगाया। विपक्ष ने पैसों की ताकत और ईवीएम पर भी हार का ठीकरा फोड़ा
नेताओं की प्रतिक्रिया
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि 129 नगर परिषदों में भाजपा के उम्मीदवार अध्यक्ष चुने गए हैं। स्थानीय निकायों में से 75 प्रतिशत में महायुति पार्टी के उम्मीदवार नगर अध्यक्ष चुने गए हैं। यह रिकार्ड जीत यह संगठन और सरकार दोनों का सामूहिक प्रयास है।"
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महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि इन चुनावों में महायुति की भव्य जीत महज एक ट्रेलर है। महायुति आगामी नगर निगम चुनावों में भी यही प्रदर्शन दोहराएगी। लोगों ने तय कर लिया है कि असली शिवसेना कौन है। "
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शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने कहा कि भाजपा ने मशीनों को उसी तरह सेट किया है जैसे विधानसभा चुनावों में हुआ था। पैसे की ओलावृष्टि थी और कोई भी इसका सामना नहीं कर सका। यह "शक्ति के आतंक" की जीत है।"
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