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मतदाता पुनरीक्षण में गरीबों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों की अनदेखी: तेजस्वी यादव

बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने आज आरोप लगाया है कि मतदाता सघन वोटर पुनरीक्षण के दौरान गरीबो, पिछडो और अल्पसंख्यकों खासकर यादवों के नाम जान बूझ कर काटे जा रहे हैं

मतदाता पुनरीक्षण में गरीबों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों की अनदेखी: तेजस्वी यादव
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पटना। बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने आज आरोप लगाया है कि मतदाता सघन वोटर पुनरीक्षण के दौरान गरीबो, पिछडो और अल्पसंख्यकों खासकर यादवों के नाम जान बूझ कर काटे जा रहे हैं।

राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता तेजस्वी यादव ने आज यहां एक संवाददाता सम्मेलन में इस बात पर चिंता जताई और कहा कि गरीबो, पिछडो और अल्पसंख्यकों को जानबूझ कर मतदाता सूची से अलग किया जा रहा है। बहुल से इलाकों की अनदेखी की जा रही है और बीएलओ बुलाने पर भी इन इलाकों में पुनरीक्षण के लिए नही जा रहै हैं।

उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग खुद कह रहा है कि करीब 35 लाख मतदाताओ के नाम मतदाता सूची से हटाये गये हैं। उन्होंने इस आंकड़े की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि यही संख्या तीन दिन पहले 'इंडियन एक्सप्रेस' अखबार ने छापी हैं, फिर चुनाव आयोग नया क्या बता रहा है। उन्होंने सवाल किया कि अभी एक हफ्ते का समय बचा हुआ है और पहले ही नाम कटने वालो की संख्या जारी कर दी गयी है।

तेजस्वी यादव कहा कि चुनाव आयोग हमारी बातों को नही सुन रहा है। उसके कानों पर जूं तक नही रेंग रही है। उन्होंने कहा कि 19 जुलाई को कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर 'इंडिया अलायंस' की मीटिंग रखी गई है। सभी घटक दलों के साथ इस मिटिंग में ये तय किया जाएगा कि आगे की लड़ाई कैसे लड़ी जाए।

बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुरेश राम ने कहा किफर्जीवाड़े की पोल खोलते वाला वीडियो हमारे पास है। उस वीडियो को ले कर कम जनता के बीच जाएंगे। मुझे उम्मीद है कि सच जानने के बाद जनता चुप नही बैठेगी।

भारतीय इंसान पार्टी (वीआईपी) के नेता मुकेश साहनी ने कहा कि चुनाव इस देश मे लोकतंत्र खत्म करने की साजिश चल रही है। इस साजिश से बेहतर है कि मोदी जी देश मे आपातकाल घोषित कर दें। उन्होंने निकाय स्तर पर काम कर रहे पिछड़े और दलित जनप्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वो मतदाता सूची को ले कर सचेत रहें क्योंकि विधानसभा चुनाव के बाद स्थानीय निकायों के भी चुनाव होने हैं। उन्होनें प्रवासी बिहारियों की नागरिकता को ले कर भी चिंता जताई।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) की निवेदिता में कहा कि मतदाता पुनरीक्षण पूरी तरह से संदेह के घेरे में है। मैं खुद अपना डेटा ऑनलाइन अपलोड करने गयी लेकिन मेरा फॉर्म किसी ने पहले से अपलोड कर दिया था। ये बहुत खतरनाक स्थिति है। इसमें महिलाओं, दलितों, मजदूरों को मूल अधिकार से वंचित करने की कोशिश हो रही है। संवाददाता सम्मेलन को सीपीएम और भाकपा (माले) के प्रतिनिधियों ने भी संबोधित किया।


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