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ब्रह्मोस की मारक क्षमता 290 से बढ़ाकर 450 किलोमीटर की जाएगी 

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के प्रमुख एस. क्रिस्टोफर ने बुधवार को कहा कि ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की मारक क्षमता मौजूदा 290 किलोमीटर से बढ़ाकर 450 किलोमीटर तक की जाएगी।

ब्रह्मोस की मारक क्षमता 290 से बढ़ाकर 450 किलोमीटर की जाएगी 
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बेंगलुरू। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के प्रमुख एस. क्रिस्टोफर ने बुधवार को कहा कि ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की मारक क्षमता मौजूदा 290 किलोमीटर से बढ़ाकर 450 किलोमीटर तक की जाएगी। क्रिस्टोफर ने कहा कि इस मिसाइल की मारक क्षमता बढ़ाकर इसका परीक्षण 10 मार्च के आसपास किया जा सकता है।

डीआरडीओ प्रमुख ने अग्नि मिसाइल की मारक क्षमता बढ़ाने की योजनाओं से इनकार कर दिया है। अग्नि मिसाइल की मारक क्षमता 5,000 किलोमीटर से अधिक है।भारत के जून 2016 में मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण तंत्र (एमटीसीआर) का सदस्य बनने के बाद यह फैसला किया गया है।

एमटीसीआर एक अनौपचारिक और देशों की एक स्वैच्छिक साझेदार है, जिसका उद्देश्य मिसाइलों और 300 किलोमीटर से अधिक दूरी तक 500 किलोग्राम से अधिक मुखास्त्र को ले जाने वाले मानवरहित हवाई वाहक प्रौद्योगिकी के प्रसार को रोकना है।

इस मिसाइल को पनडुब्बियों, जहाजों, विमानों या भूमि से प्रक्षेपित किया जा सकता है।ब्रह्मोस भारत और रूस का एक संयुक्त उपक्रम है। ब्रह्मोस की मारक क्षमता 290 किलोमीटर है, हालांकि यह इससे भी लंबी दूरी तक जाने में सक्षम है।

क्रिस्टोफर का कहना है कि सॉफ्टवेयर में बदलाव की जरूरत है, जिसके बाद मिसाइल की बढ़ाई गई 450 किलोमीटर मारक क्षमता का परीक्षण किया जाएगा।उन्होंने कहा,"हम वैकल्पिक रूप से इसका 10 मार्च के आसपास परीक्षण करेंगे।"

डीआरडीओ इसके अलावा ब्रह्मोस मिसाइल का दूसरा संस्करण भी विकसित कर रहा है, जिसकी मारक क्षमता 800 किलोमीटर होगी।क्रिस्टोफर ने कहा है कि इस मिसाइल को अगले दो-ढाई वर्षो के दौरान विकसित किया जाएगा।

यह पूछने पर कि क्या अग्नि पंचम मिसाइल की क्षमता भी बढ़ाई जाएगी? क्रिस्टोफर ने इससे इनकार किया।उन्होंने बिना किसी देश का नाम लिए कहा,"हम ऐसा नहीं करेंगे, क्योंकि कोई इसका विरोध कर सकता है।"

भारतीय सेना पहले ही अपने शस्त्रागार में ब्रह्मोस के तीन रेजीमेंट शामिल कर चुकी है। सभी रेजीमेंट इस मिसाइल के ब्लॉक-3 संस्करण से सुसज्जित हैं, जिनका पिछले साल मई में परीक्षण किया गया था।


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