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राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार कृषि कानूनों के खिलाफ दमदार संदेश : तृणमूल

संसद में शनिवार को सर्वदलीय बैठक के दौरान, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे

राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार कृषि कानूनों के खिलाफ दमदार संदेश : तृणमूल
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नई दिल्ली। संसद में शनिवार को सर्वदलीय बैठक के दौरान, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय ने कहा कि शुक्रवार को कई विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के अभिभाषण का बहिष्कार किया, जो तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध का एक दमदार संदेश है। इससे पहले, बैठक के दौरान मोदी ने विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से कहा कि उनकी सरकार प्रदर्शनकारी किसानों की ओर से उठाए गए मुद्दों का बातचीत के जरिए समाधान निकालने का निरंतर प्रयास कर रही है। संसद में विभिन्न दलों के नेताओं की डिजिटल बैठक में मोदी ने यह भी कहा कि तीन कृषि कानूनों को लेकर प्रदर्शनकारी किसानों को दिए गए प्रस्ताव पर केंद्र सरकार अभी भी कायम है।

प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया कि सरकार किसानों के मुद्दे पर खुले दिमाग से विचार कर रही है।

मोदी ने कहा, "सरकार का रुख वैसा ही है जैसा कि 22 जनवरी को हुई बैठक के दौरान था। केंद्रीय कृषि मंत्री ने जो प्रस्ताव दिया था, केंद्र सरकार आज भी उस पर कायम है।"

वहीं बंद्योपाध्याय ने कहा, "कई विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार किया। यह सरकार के लिए कृषि कानूनों को वापस लेने को लेकर एक दमदार संदेश है।"

कांग्रेस के साथ 17 विपक्षी दलों ने शुक्रवार को दिल्ली की सीमाओं और देश के अन्य हिस्सों में 26 नवंबर से तीन केंद्रीय कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करने की घोषणा की थी।

बंद्योपाध्याय ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री को पार्टी के सभी नेताओं की बैठक बुलानी चाहिए और इस मामले पर चर्चा करनी चाहिए। उन्होंने कहा, "यह दिखाने के लिए कि सरकार लोकतांत्रिक है, ये एक अच्छा संदेश होगा।"

उन्होंने बेरोजगारी का मुद्दा भी उठाया और कहा कि भूखे युवा लड़ रहे हैं और उन्हें एक रास्ता दिखाया जाना चाहिए। तृणमूल नेता ने कहा, "हमें इस मुद्दे पर सदन में एक व्यापक बहस आयोजित करनी चाहिए।"

तृणमूल सांसद ने आगे कहा कि हमारी संघीय संरचना प्रणाली के दर्शन की गहन समीक्षा की जरूरत है।

बंद्योपाध्याय ने कहा, "हमारी संसदीय लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूती से स्थापित करना होगा और धर्मनिरपेक्षता, सांप्रदायिक सद्भाव और देश की एकता के दर्शन को उचित तरीके से प्रतिबिंबित करना होगा।"

बैठक के दौरान, बीजू जनता दल (बीजद) सांसद पिनाकी मिश्रा ने बजट सत्र में महिला आरक्षण विधेयक को पारित करने की मांग की, जो लंबे समय से लंबित है।

उन्होंने कहा, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने विशेष रूप से केंद्र सरकार से इस बजट सत्र में महिला आरक्षण विधेयक पारित कराने का अनुरोध किया है।

उन्होंने कहा कि बीजद ने 2019 के लोकसभा चुनावों में महिलाओं को 21 में से सात टिकट दिए थे और इनमें से पांच ने चुनाव भी जीता। मिश्रा ने कहा, इसलिए पटनायक खुश हैं कि ओडिशा देश का एकमात्र राज्य है, जिसके पास लोकसभा में एक तिहाई महिला सांसद हैं।

उन्होंने कहा कि भाजपा और कांग्रेस के साथ ही कई राजनीतिक दल सार्वजनिक रूप से इसका समर्थन कर चुके हैं।

मिश्रा ने कहा, लोकसभा में विधेयक को पास कराने को लेकर समस्या नहीं होनी चाहिए। राज्यसभा ने इसे लगभग 10 साल पहले पारित किया था। इसलिए, पटनायक को लगता है कि लोकसभा में विधेयक पास कराने का समय अब आ गया है।


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