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वानखेड़े बनाम मलिक : बॉम्बे हाईकोर्ट अंतरिम याचिका पर 22 नवंबर को सुनाएगा फैसला

बंबई उच्च न्यायालय ने गुरुवार को महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक और समीर वानखेड़े के पिता ज्ञानदेव वानखेड़े द्वारा दायर मानहानि के मुकदमे में अतिरिक्त दस्तावेजों को रिकॉर्ड में लिया

वानखेड़े बनाम मलिक : बॉम्बे हाईकोर्ट अंतरिम याचिका पर 22 नवंबर को सुनाएगा फैसला
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मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने गुरुवार को महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े के पिता ज्ञानदेव वानखेड़े द्वारा दायर मानहानि के मुकदमे में अतिरिक्त दस्तावेजों को रिकॉर्ड में लिया। न्यायमूर्ति एम. जामदार ने कहा कि वह 22 नवंबर (सोमवार) को अपने 1.25 करोड़ रुपये के मानहानि के मुकदमे के निपटारे तक मलिक को परिवार के खिलाफ मानहानिकारक बयान देने से रोकने के लिए वानखेड़े की अंतरिम याचिका पर आदेश पारित करेंगे।

पिछले छह हफ्तों में लगातार कई खुलासे करते हुए मलिक ने समीर वानखेड़े पर एक आरक्षित श्रेणी के तहत आईआरएस कैडर में यूपीएससी की नौकरी पाने के लिए कथित तौर पर फर्जी जाति प्रमाणपत्र जमा करने का आरोप लगाया है।

यहां तक कि जब वानखेड़े ने आरोपों का खंडन किया, तो मलिक ने स्कूल छोड़ने के उनके प्रमाणपत्र (एसएलसी) का खुलासा किया, जिस पर समीर दाऊद वानखेड़े नाम है और धर्म मुस्लिम दर्शाया गया है।

हालांकि, समीर की पत्नी क्रांति रेडकर-वानखेड़े ने 'सुधार' के साथ कथित एसएलसी का एक सेट पोस्ट कर आरोप का विरोध किया। संशोधित एसएलसी हालांकि तीन साल बाद बनवाया गया था।

वानखेड़े के वकील अरशद शेख ने 1974 के जाति प्रमाणपत्र, पासपोर्ट और एसएलसी सहित 28 दस्तावेज अदालत में पेश किए हैं, जिसमें दिखाया गया है कि उनके पिता का नाम 'ज्ञानदेव' था और वह महार समुदाय से हैं।

मलिक ने एनसीबी अधिकारी के दावों को चुनौती दी है और सच्चाई को उजागर करने के लिए जाति सत्यापन प्राधिकरण के अलावा महाराष्ट्र और मुंबई पुलिस से जांच कराने की मांग की है।


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