हिन्द-चीन में खूनी संघर्ष, 20 से ज्यादा शहीद, 45 चीनी सैनिक भी हताहत
लद्दाख में चीन की सीमा पर गलवान वैली मेंं हिन्दुस्तानी और चीन की लाल सेना के बीच हुई खूनी जंग में 70 के करीब सैनिकों के मारे जाने की खबर है

- सुरेश एस डुग्गर
जम्मू। लद्दाख में चीन की सीमा पर गलवान वैली मेंं हिन्दुस्तानी और चीन की लाल सेना के बीच हुई खूनी जंग में दोनों देशों के 70 के करीब सैनिकों के मारे जाने की खबर है। इनमें भारतीय सेना के 20 से अधिक फौजी भी शामिल हैं जिनमें एक कर्नल रैंक के अधिकारी भी शहीद हुआ है। भारतीय सेना ने 20 जवानों की शहादत की पुष्टि की है। जबकि दुश्मन के भी 45 से अधिक जवान संघर्ष में मारे गए हैं। फिलहाल चीन की तरफ से इस पर कोई अधिकारिक बयान नहींआया है। वहीं भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस संघर्ष पर कहा कि दोनों देशों की सेनाओं को काफी नुकसान पहुंचा है।
भारत हमेशा एलएसी पर शांति बनाने के पक्ष में रहा है। इससे पहले मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया था कि चीन ने भारत के 36 जवानों को बंधक बना लिया था हालांकि बाद में 32 जवानों को रिहा कर दिया गया। 4 जवान अभी भी लापता बताए जा रहे हैं। इसमें एक मेजर रैंक का अधिकारी भी शामिल है।
रक्षा सूत्रों के बकौल, शहीदों की संख्या बढ़ भी सकती है। यह घटना कल रात उस समय हुई जब भारतीय सेना के दावानुसार, गलवान वैली क्षेत्र से दोनों फौजों पीछे हटने की प्रक्रिया में जुटी हुई थीं। इस खूनी झड़प में चीनी सेना के 45 से अधिक कई जवान व अधिकारी भी हताहत हुए हैं। ताजा घटना, अधिकारियों के अनुसार, कल दोपहर को आरंभ हुई थी जब चीनी सैनिक गलवान वैली में उस समय हिंसा पर उतर आए जब भारतीय सैनिकों ने उन्हें समझौतानुसार पीछे हटने को बोला था।
आधिकारिक तौर पर दावा किया जा रहा है कि दोनों पक्षों में कोई गोली नहीं चली है। संघर्ष में कमांडिंग आफिसर कर्नल संतोष बाबू शहीद हो गए। जानकारी के लिए भारत-चीन के बीच सीमाओं को लेकर विवाद है। दोनों देशों के बीच लाइन आफ एलएसी पर अधिकारिक बंटवारा नहीं हुआ है। लद्दाख में भारतीय सेना की ओर से निर्माण कार्य किया जा रहा है जिसको लेकर चीन ने आपत्ति जताई है। चीन का दावा है कि भारत उसके इलाके में निर्माण कर रहा है। पैंगांग सो में हिंसक झड़प के बाद पांच मई से ही भारत और चीन की सेना के बीच गतिरोध चल रहा है। पैंगांग सो झील के पास फिंगर 4 व 5 इलाके में भारत द्वारा महत्वपूर्ण सड़क बनाने पर चीन ने कड़ा ऐतराज किया था।


