त्रिपुरा में भाजपा कार्यकर्ताओं पर माकपा के कार्यालयों में तोड़फोड़ का आरोप
त्रिपुरा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को विपक्षी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के दो पार्टी कार्यालयों में तोड़फोड़ करने और उत्तरी त्रिपुरा तथा अगरतला में उसके कई नेताओं पर हमला करने के बाद आलोचना का सामना करना पड़ रहा है

अगरतला। त्रिपुरा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को विपक्षी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के दो पार्टी कार्यालयों में तोड़फोड़ करने और उत्तरी त्रिपुरा तथा अगरतला में उसके कई नेताओं पर हमला करने के बाद आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार माकपा ने राज्य भर में 31 ग्रामीण विकास खंडों के समक्ष 200 दिन काम और मनरेगा के लिए 340 रुपये मजदूरी, लंबित मजदूरी का तत्काल भुगतान और सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के माध्यम से रियायती दरों पर आवश्यक वस्तुओं की नियमित आपूर्ति की मांग को लेकर राज्यव्यापी रैलियां, बड़े पैमाने पर धरना प्रदर्शन और प्रतिनिधिमंडल आयोजित किए थे। माकपा के राज्य सचिव एवं विपक्ष के नेता (एलओपी) जितेंद्र चौधरी ने आरोप लगाया कि अगरतला में डुकली में भाजपा कार्यकर्ताओं के एक समूह ने प्रखंड विकास अधिकारी (बीडीओ) आधिकारिक कक्ष में प्रवेश किया और अराजकता पैदा की, लेकिन सतर्क बीडीओ ने स्थिति को विफल कर दिया। उस समय माकपा का प्रतिनिधिमंडल वीडियो से मिलने के लिए गया था।
प्रतिनिधिमंडल के बाद जब पार्टी समर्थक और नेता दुकली उप-विभागीय पार्टी कार्यालय लौटे, (जो अमताली थाना के सामने है) तो युवाओं के एक समूह ने अंधाधुंध पथराव शुरू कर दिया। कार्यालय के सामने खड़ी एक कार और मोटरसाइकिलों को निशाना बनाया और तोड़फोड़ की। श्री चौधरी ने आरोप लगाया, “ भाजपा कार्यकर्ताओं ने पुलिस के सामने अपनी बाहुबल का प्रदर्शन किया और हमले जारी रखे; पुलिस मूकदर्शक बनी रही। विशिष्ट शिकायतें दर्ज करने के बावजूद, पुलिस ने किसी को गिरफ्तार नहीं किया।” उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री और राज्य के मुख्यमंत्री ने लोगों से पाकिस्तान के खिलाफ एकजुट होने का आग्रह कर रहे हैं, तो ऐसे समय में उनके कार्यकर्ताओं ने अराजकता का प्रदर्शन किया, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। उत्तरी त्रिपुरा के धर्मनगर में एक अन्य हमले में, भाजपा कार्यकर्ताओं के एक समूह ने बिना किसी उकसावे के मोटरसाइकिल रैली के बाद धर्मनगर में माकपा कार्यालय में तोड़फोड़ की और दिनदहाड़े चार नेताओं पर शारीरिक हमला किया।
चौधरी ने आरोप लगाया कि राज्य के ग्रामीण और पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों का एक बड़ा वर्ग भोजन और रोजगार के संकट से जूझ रहा है। उन्हें राहत पहुंचाने के बजाय सत्तारूढ़ पार्टी आम लोगों की आवाज दबाने के लिए गुंडागर्दी पर उतर आई है। जब विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को उठाया तो भाजपा कार्यकर्ताओं ने हमला बोल दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. माणिक साहा से मुख्यमंत्री के रूप में अपना निष्पक्ष शासन बनाए रखने और विपक्षी दलों के लोकतांत्रिक अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया।


