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योगी सरकार के कामकाज का ऑडिट करेगी भाजपा

भाजपा 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सक्रिय हो गई है, इसीलिए वह योगी सरकार की योजनाओं की जमीनी हकीकत जानने के लिए उनका ऑडिट कराने जा रही

योगी सरकार के कामकाज का ऑडिट करेगी भाजपा
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लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सक्रिय हो गई है, इसीलिए वह योगी सरकार की योजनाओं की जमीनी हकीकत जानने के लिए उनका ऑडिट कराने जा रही है।

भाजपा के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि पहले चरण में मंडल से ऊपर के पदाधिकारी एक-एक गांव गोद लेंगे। इसके अलावा, प्रत्येक गांव जाकर पता लगाएंगे कि योगी सरकार की योजनाओं का लाभ लभार्थियों को मिल पा रहा है या नहीं। ढाई सालों में सरकार की कौन सी योजना सबसे अच्छी रही। सरकार की योजना को जनता तक पहुंचाने में रोड़ा कौन अटका रहा है। इन सब चीजों का ऑडिट होगा और इसके बाद वह रिपोर्ट शीर्ष नेतृत्व को सौंपी जाएगी।

इस दौरान गांवों में जल व पर्यावरण संरक्षण, सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, सबको शिक्षा एवं स्वास्थ्य जैसे कार्यक्रमों की जमीनी हकीकत का जायजा लिया जाएगा।

उन्होंने बताया कि इस मौके पर गांवों में प्रभावी लोगों से संपर्क कर उन्हें भाजपा के पक्ष में जोड़ने का प्रयास किया जाएगा। प्रभावी व्यक्ति के साथ सुबह चाय पर चर्चा भी हो सकती है। इसके अलावा दलित बस्तियों में खास फोकस होगा।

गांव की दलित बस्तियों में एक दिन के प्रवास के दौरान भोजन किया जाएगा। इसके अलावा बूथ समिति के सदस्यों के साथ बैठकर भी हकीकत जानने का प्रयास किया जाएगा। वह खासतौर से बूथ समितियों की थाह लेने के बाद गांव के प्रबुद्ध लोगों को भी भाजपा से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा। इसके बाद इन सभी का फीडबैक लेने के बाद रिपोर्ट प्रदेश मुख्यालय में देंगे और उसकी बाद में समीक्षा होगी। उसी आधार पर आगे के कार्यक्रम तैयार किए जाएंगे, ताकि मिशन 2022 में कोई परेशानी न हो।

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक राजीव श्रीवास्तव ने बताया कि योगी आदित्यनाथ भाजपा के एक बड़े नेता हैं। सरकार सिर्फ उनकी नहीं है। भाजपा यह फीडबैक अपने लिए भी ले रही है। अपनी जमीनी तैयारी के लिए भी ऑडिट कर रहे हैं। सरकार से ज्यादा योजनाओं की जानकारी ली जा रही है। कोई भी सत्ताधारी पार्टी जब चुनाव में जाती है तो उसे अपना रिपोर्ट कार्ड देना होता है।

यह अभियान इसलिए चलाया जा रहा है कि जो काम जमीन पर पहुंचा है, उसकी जानकारी पार्टी के पास हो और कार्यकर्ता उसे बता सकें। जब वे जनता के सामने जाएंगे, तब पता चलेगा कि अधिकारी के दावे के अनुरूप काम हुआ है कि नहीं, क्योंकि अधिकारी बताते कुछ हैं और करते कुछ हैं। फीडबैक मिलने के बाद अभी समय है तो सुधार भी हो जाएगा, बाद में बहुत देर हो जाएगी।


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