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भोपाल नगर निगम बंटवारे के खिलाफ अभियान तेज करेगी भाजपा

भाजपा ने मध्यप्रदेश सरकार की भोपाल नगर निगम को दो हिस्सों में बांटने की कवायद का विरोध तेज करने का निर्णय लिया है

भोपाल नगर निगम बंटवारे के खिलाफ अभियान तेज करेगी भाजपा
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भोपाल। भाजपा ने मध्यप्रदेश सरकार की भोपाल नगर निगम को दो हिस्सों में बांटने की कवायद का विरोध तेज करने का निर्णय लिया है। विपक्षी पार्टी का आरोप है कि यह संस्कृति और धरोहर का नष्ट करने का प्रयास है। भाजपा ने नगरीय निकाय चुनाव संशोधन अध्यादेश के खिलाफ प्रदेशव्यापी हस्ताक्षर अभियान चलाने का निर्णय भी लिया है।

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने गुरुवार को पार्टी के प्रदेश कार्यालय में वरिष्ठ पदाधिकारियों की बैठक बुलाई, जिसमें कहा गया कि "प्रदेश की कांग्रेस सरकार राजधानी भोपाल को दो नगर निगमों में विभाजित कर यहां की संस्कृति और धरोहर को नष्ट करना चाहती है। हम सरकार की इस कोशिश का विरोध करने के साथ शहर को बांटने के इस षड्यंत्र को किसी कीमत पर सफल नहीं होने देगी।"

प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में दो नगर निगम बनाने के सरकार के प्रस्ताव के खिलाफ पार्टी की कार्ययोजना तैयार की गई। तय किया गया है कि पार्टी इस प्रस्ताव के विरोध में जनजागरण अभियान चलाएगी। प्रत्येक वार्ड और विधानसभा क्षेत्रों में सरकार के इस प्रस्ताव के विरोध में आपत्तियां दर्ज कराई जाएंगी। शहर के प्रबुद्धजनों और बुद्धिजीवियों को सरकार के इस प्रस्ताव की जानकारी देकर उनसे आपत्तियां दर्ज कराई जाएंगी।

पार्टी की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया कि बैठक में तय किया गया कि इस संबंध में विभिन्न मोहल्लों, कलोनियों के रहवासी संघों, रिटायर्ड अधिकारियों, सरकारी कर्मचारियों, व्यापारी संगठनों से चर्चा कर उन्हें भी सरकार के इस कदम के बारे में जानकारी देकर इसके खतरों के प्रति आगाह किया जाएगा। साथ ही, भाजपा प्रदेश सरकार द्वारा नगरीय निकाय चुनाव में किए गए संशोधन के खिलाफ पूरे प्रदेश में हस्ताक्षर अभियान चलाएगी।

यह अभियान प्रत्येक नगर पंचायत, नगरपालिका और नगर निगम क्षेत्रों में 19 से 21 अक्टूबर तक चलेगा। इस अभियान के दौरान प्रदेशभर से एकत्रित हस्ताक्षर सरकार द्वारा किए गए संशोधन के खिलाफ ज्ञापन के साथ राज्यपाल को सौंपें जाएंगे।

राज्य सरकार ने भोपाल नगर निगम को दो हिस्सों में बांटने के साथ ही महापौर और पालिका अध्यक्ष का चुनाव जनता की बजाय पार्षदों से कराने का संशोधन अध्यादेश लाया है। इस अध्यादेश को राज्यपाल की मंजूरी मिल गई है। इस तरह इस बार के चुनाव में महापौर और अध्यक्ष सीधे जनता नहीं चुनेगी। जनता पार्षदों को चुनेगी और पार्षद महापौर व अध्यक्ष चुनेंगे।


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