कांग्रेस पर तुष्टिकरण का आरोप लगाने वाली भाजपा भी उसी की राह पर
विपक्ष में रहते हुए भारतीय जनता पार्टी राजनीति के जिन मुद्दों का सारेआम विरोध किया करती थी

- ज्ञानेन्द्र पाण्डेय
देश की किन सीटों पर भाजपा के मुस्लिम उम्मीदवार खड़े होने हैं उनकी पहचान का काम भी पूरा कर लिया गया है, बस घोषणा ही बाकी है। भाजपा ने 2009 के लोकसभा में चार मुस्लिम नेताओं को पार्टी का उम्मीदवार बनाया था इनमें एक शाहनवाज खान ही चुनाव जीते थे। तब भाजपा सरकार बनाने की स्थिति में नहीं थी। 2014 में भाजपा ने 7 मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे थे लेकिन एक भी चुनाव नहीं जीत सका था।
विपक्ष में रहते हुए भारतीय जनता पार्टी राजनीति के जिन मुद्दों का सारेआम विरोध किया करती थी, सरकार में आने के बाद उन्हीं मुद्दों को न केवल अपनाने लगती है बल्कि जोर-शोर से उनका प्रचार भी करने लगती है। भाजपा का यह विरोधाभास कई रूपों में देखने को मिला है। विपक्ष में रहते हुए भाजपा ने आधार कार्ड का भी विरोध किया था और जीएसटी कानून का भी। तब कांग्रेस सरकार की तमाम योजनाओं का भाजपा ने व्यापक तरीके से विरोध किया था लेकिन केंद्र की सत्ता में आते ही इन तमाम योजनाओं को ऐसे गले लगा लिया मानो ये उनकी अपनी योजनाएं हों और भाजपा ने कई दशक की मेहनत के बाद उन योजनाओं को तैयार किया हो। यही नहीं किसी जमाने में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, बसपा, समाजवादी पार्टी, द्रमुक, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी समेत देश की एक दर्जन से अधिक गैरकांग्रेसी पार्टियों के नेताओं पर वोटों की राजनीति के लिए मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगाने वाली पार्टी अब खुद भी मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति में किसी से पीछे नहीं दिखना चाहती।
मुस्लिम समुदाय में भी भाजपा ने पसमांदा मुसलमानों को अपने पक्ष में करने का टारगेट रखा है जिसके लिए पार्टी बड़ी तेजी से काम भी करने लगी है। मुस्लिम तुष्टिकरण का यही लक्ष्य हासिल करने की चाह में ही भाजपा ने 2024 के लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और उत्तरप्रदेश विधान परिषद के सदस्य तारिक मंसूर को पार्टी का नया राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी बनाया है। तारिक मंसूर पसमांदा मुसलमान हैं। भारतीय मुस्लिम समाज में पसमांदा मुसलमान उस तबके को कहा जाता है जो आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से पिछड़ा होता है।
मुस्लिम समाज में इस तबके के 85 प्रतिशत लोग हैं जबकि सिर्फ 15 प्रतिशत उच्च वर्ग के अशरफ तबके का प्रतिनिधित्व करते हैं। मुसलमानों का अशरफ तबका आर्थिक रूप से सम्पन्न होने के नाते नौकरी और राजनीति से लेकर शिक्षा, व्यापार समेत तमाम क्षेत्रों में अपनी अलग पहचान बना लेता है इसलिए हर जगह वही दिखाई भी देता है। पसमांदा मुसलमान संख्या में ज्यादा होने के साथ ही उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, केरल और कर्नाटक समेत देश के ज्यादातर राज्यों में मुस्लिम मतदाताओं की प्रभावशाली संख्या है इसलिए भाजपा ने मुस्लिम तबके को गले लगाने की योजना बनाई है। योजना के मुताबिक भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव में कम से कम 66 मुस्लिम उम्मीदवार उतारना चाहती है।
देश की किन सीटों पर भाजपा के मुस्लिम उम्मीदवार खड़े होने हैं उनकी पहचान का काम भी पूरा कर लिया गया है, बस घोषणा ही बाकी है। भाजपा ने 2009 के लोकसभा में चार मुस्लिम नेताओं को पार्टी का उम्मीदवार बनाया था इनमें एक शाहनवाज खान ही चुनाव जीते थे। तब भाजपा सरकार बनाने की स्थिति में नहीं थी। 2014 में भाजपा ने 7 मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे थे लेकिन एक भी चुनाव नहीं जीत सका था। 2019 के चुनाव में भाजपा ने जम्मू-कश्मीर से तीन, पश्चिम बंगाल से दो और लक्ष द्वीप से एक कुल 6 मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव में खड़े किये थे लेकिन चुनाव एक भी नहीं जीत सका था। 2024 के चुनाव में भाजपा 66 मुस्लिम उम्मीदवार खड़े करना चाहती है इसलिए उसका जोर 85प्रतिशत पसमांदा मुसलमानों को तुष्टिकरण के बल पर अपने साथ लाने पर है। गौरतलब है कि पहले 2015 फिर 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी को वांछित सफलता न मिलने से बिहार के कई मुस्लिम नेता भाजपा छोड़ कर चले गए थे। इसके बाद ही पार्टी को लगाने लगा था कि मुस्लिम समुदाय को साथ में लिए बगैर चुनाव जीतना आसान नहीं होगा।
इसी बात को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनवरी 2023 में पार्टी के नेताओं से अल्पसंख्यक समुदाय को लेकर बेवजह की बयानबाजी से दूर रहने का आग्रह किया था। इसका कितना असर हुआ यह तो नहीं कहा जा सकता लेकिन इसके तीन महीने बाद ही मार्च के महीने में कर्नाटक भाजपा के नेताओं ने हिजाब मामले में उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने वाली मुस्लिम महिलाओं को आतंकवादी और देशद्रोही कहने से संकोच नहीं किया था। इसका जवाब भाजपा को मई के महीने में सम्पन्न कर्नाटक विधानसभा के चुनाव में मिल ही गया था। इस बीच इतना जरूर हुआ कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश के स्थानीय निकाय चुनाव में भाजपा ने जो 325 मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव में खड़े किये थे उनमें 45 चुनाव जीत गए थे। इस जीत से भाजपा के हौसले बुलंद हुए और उसने पसमांदा मुसलमानों के बीच पैठ करनी शुरू कर दी थी। इसी क्रम में प्रधानमंत्री ने जून 2023 को भोपाल में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह भी कहा था कि पसमांदा मुसलमानों को उनके ही समुदाय के उच्च वर्ग द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है। अजीब बात है कि एक तरफ तो इस पार्टी के लोग जरा- जरा सी बात पर देश के मुसलमानों को पाकिस्तान जाने की सलाह देते रहते हैं, दूसरी तरफ अपने पक्ष में वोट बैंक की राजनीति करने की गरज से मुस्लिम तुष्टिकरण से भी बाज नहीं आते।


