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बंगाल में भाजपा, तृणमूल कांग्रेस हमारेे लिए एक जैसी प्रतिद्वंद्वी हैं : माकपा

माकपा ने रविवार को कहा कि पश्चिम बंगाल में भाजपा और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) उसके लिए एक जैसी प्रतिद्वंद्वी हैं। पार्टी लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टियों के खिलाफ चुनावी लड़ाई लड़ेगी

बंगाल में भाजपा, तृणमूल कांग्रेस हमारेे लिए एक जैसी प्रतिद्वंद्वी हैं : माकपा
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कोलकाता। माकपा ने रविवार को कहा कि पश्चिम बंगाल में भाजपा और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) उसके लिए एक जैसी प्रतिद्वंद्वी हैं। पार्टी लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टियों के खिलाफ चुनावी लड़ाई लड़ेगी।

माकपा पोलित ब्यूरो सदस्य और पश्चिम बंगाल में पार्टी के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने पार्टी की युवा शाखा डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई) के लिए इंसाफ समावेश (न्याय के लिए सभा) के बैनर तले माकपा द्वारा आयोजित एक मेगा रैली के दौरान कहा, ''पिछले साल के पंचायत चुनावों में हमारा प्रभावशाली परिणाम एक ट्रेलर था। अब समय आ गया है कि हम आगामी लोकसभा चुनाव में पूरी फिल्म दिखाएं।''

मोहम्मद सलीम ने कहा भाजपा और टीएमसी गुप्त साझेदार हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी महत्वपूर्ण प्रशासनिक बैठकों से बचती हैं। वह केवल अपने भतीजे को बचाने के लिए शीर्ष नेताओं के साथ बैठक के लिए नई दिल्ली में कई दिनों तक इंतजार करती हैं।

पश्चिम बंगाल में वित्तीय भ्रष्टाचार केंद्र में भाजपा के सत्ता में आने के साथ ही हुआ। यहां तक कि कलकत्ता हाईकोर्ट के एक न्यायाधीश ने भी देखा है कि उनके भतीजे की संपत्ति 2014 से आसमान छूने लगी है। यह वही साल था जब भाजपा पश्चिम बंगाल में सत्ता में आई थी। इससे यह सब सिद्ध होता है।

भाजपा नेता दिलीप घोष ने मोहम्मद सलीम के बयान पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि एक तरफ पश्चिम बंगाल में माकपा के युवा नेता तृणमूल के खिलाफ आर-पार की लड़ाई का आह्वान कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ उनके राष्ट्रीय नेता एक ही मंच पर बिरयानी की थाली साझा कर रहे हैं।

रविवार को मध्य कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में आयोजित माकपा की रैली में अल्पसंख्यक और आदिवासी समुदाय के लोग भी बड़ी संख्या में शामिल हुए।

वाम मोर्चा शासन के अंतिम वर्षों में हमारा आदिवासी समर्थन आधार घटने लगा। पिछले 12 वर्षों में यह सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया था। अल्पसंख्यक मतदाताओं का भी यही हाल था।

माकपा की राज्य समिति के एक सदस्य ने कहा, ''लेकिन इन दोनों समुदायों के लोगों की प्रभावशाली मौजूदगी उत्साहवर्धक है। हमारी सबसे बड़ी चुनौती इस उत्साह को फिर से अपने समर्पित वोट बैंक में बदलना है।''


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