एसपी-बीएसपी की रणनीति में फंसी बीजेपी
यूपी विधानसभा चुनाव चार महीने बाद होने हैं. राज्य की सत्ताधारी बीजेपी में चिंतन चल रहा है. और इस चिंतन में चिंता भी झलक रही है. चिंता का सबसे बड़ा कारण है विपक्ष द्वारा उसके वोट बैंक में सेंधमारी की कोशिश. जिसमें विपक्ष सफल भी होता दिख रहा है. और विपक्ष की इस रणनीति का जवाब देने की कोशिश अब बीजेपी की ओर से भी शुरू हो रही है.

यूपी चुनावों से पहले राज्य का ब्राह्मण वोट सभी दलों के निशाने पर है. राज्य की करीब 10 प्रतिशत आबादी वाला ये वोट बैंक जिस ओर जाएगा, चुनाव में उस पार्टी की जीत की संभावनाएं सबसे ज्यादा हो जाएंगी. पिछले तीन चुनाव इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. 2007 में बीएसपी ने दलित—ब्राह्मण गठबंधन के सहारे पहली बार यूपी में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई. तो 2012 में ये प्रयोग सपा ने किया. 2017 में जब ब्राह्मण वोटबैंक बीजेपी में लौटा तो बीजेपी 300 पार चली गई. लेकिन योगी राज में ब्राह्मणों की परेशानी कई बार खुलकर सामने आई. हालाँकि सत्ता की ताकत के चलते ये नाराजगी बड़े आंदोलन में तब्दील नहीं हो पाई. ब्राह्मणों की नाराजगी का एहसास बीजेपी को पंचायत चुनावों में हुआ. इस साल पंचायत सदस्यों के चुनाव में बीजेपी पहले नम्बर की जगह तीसरे नम्बर पर पहुंच गई. वो बात अलग है अध्यक्ष पद के चुनावों में बीजेपी की जुगाड़ नीति विपक्ष पर भारी पड़ गई और अधिकांश जिलों में बीजेपी ने अपना अध्यक्ष बनवा लिया. लेकिन अब विधानसभा चुनाव सामने हैं और बीजेपी को चिंता है कि पंचायत चुनावों की तरह ब्राह्मणों ने विधानसभा चुनावों में भी मतदान किया तो बीजेपी के लिए 300 तो क्या 100 पार जाना भी मुश्किल हो जाएगा। सपा, कांग्रेस और बीएसपी ने ब्राह्मण मतदाताओं को लेकर बीजेपी की मुश्किलें और बढ़ा दी है. क्योंकि इन दलों ने भी ब्राह्मणों को अपने पाले में करने के लिए सरकार बनने पर कई बड़े ऐलान तो किए ही हैं. साथ ही ब्राह्मण सम्मेलन के नाम पर उन्हें अपने पाले में खींचने की कोशिश हो रही है और विपक्ष इसमें सफल होता भी दिख रहा है. जिस कारण बीजेपी की नींद उड गई है. इसलिए अब बीजेपी भी एसपी—बीएसपी की रणनीति पर चलती दिख रही है. बीजेपी की ओर से भी ब्राह्मणों को मनाने के लिए यूपी की सभी विधानसभाओं में प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन करने का ऐलान कर दिया है. 5 सितम्बर से इन सम्मेलनों की शुरूआत होगी जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य सहित पार्टी के तमाम बड़े नेता शामिल होंगे. बीजेपी के ऐलान से साफ हो गया है कि पार्टी को अब अपनी हार दिखाई देने लगी है.


