छत्तीसगढ़ में सत्ता में आने की तैयारी में बीजेपी
छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने 15 साल शासन किया, लेकिन 2018 में कांग्रेस ने फिर से बीजेपी से सत्ता छीन ली। मगर अब खबर है कि बीजेपी छत्तीसगढ़ में वापसी की रणनीति बना रही है। इसमें कांग्रेस की आंतरिक कलह का फायदा भी बीजेपी उठा सकती है।

छत्तीसगढ़ में 15 साल के लंबे इंतजार के बाद 2018 में सत्ता में कांग्रेस की वापसी हुई। सरकार तो कांग्रेस ने बना ली. लेकिन इस सरकार का मुखिया कौन होगा, इस बात के लिए काफी माथापच्ची हुई। हाईकमान ने भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया, लेकिन टीएस सिंहदेव भी इस पद के दावेदार थे। मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए दोनों दिग्गजों के बीच शुरु से ही तनातनी रही और अब ये रार औऱ बढ़ चुकी है। कांग्रेस हाईकमान फिलहाल भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के बीच संतुलन कायम करने में लगा है, लेकिन छत्तीसगढ़ में सीएम पद के लिए छिड़ी कांग्रेस की अंदरूनी रार का फायदा भाजपा अगले विधानसभा चुनावों में फायदा उठाने का प्लान बना रही है। इसके लिए पार्टी ने बस्तर जिले के जगदलपुर में एक चिंतन शिविर का आयोजन कर तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ में साल 2003 से 2018 तक सत्ता में रही है। फिर कांग्रेस से हार मिलने पर बीजेपी सत्ता से बाहर हो गई। मगर अब एक बार फिर से पार्टी ने 2023 के चुनावों के लिए अपने काडर में जोश भरना शुरू कर दिया है। बीजेपी ने इसकी शुरुआत आदिवासी इलाकों से की है।
छत्तीसगढ़ के तीन बार के मुख्यमंत्री रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता रमन सिंह के मुताबिक यह पहला चिंतन शिविर है जो रायपुर से बाहर के इलाके में आयोजित हो रहा है। अभी तक यह सिर्फ राज्य की राजधानी में ही होता था। लेकिन इस बार इसका आयोजन बस्तर में हो रहा है। जो चुनाव की तैयारियों को दिखा रहा है। इस दो दिवसीय चिंतन शिविर का आयोजन 1 और 2 सितंबर को होगा। बीजेपी को उम्मीद है कि इसके जरिए वह आदिवासी इलाकों में फिर से पकड़ मजबूत करेगी। शिविर में बीजेपी के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव शिव प्रकाश, राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष, राष्ट्र महासचिव प्रभारी डी पुरंदेश्वरी और सह-प्रभारी नितिन नबीन सिन्हा शामिल होंगे। इस दौरान कांग्रेस के अधूरे वादों को जनता के सामने लाने की रणनीति बीजेपी कार्यकर्ता बना सकते हैं।


