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बुंदेलखंड में नए चेहरों पर दांव लगाएगी भाजपा

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के नए फार्मूले ने बुंदेलखंड में भाजपा के नए सांसदों की नींद उड़ा दी है

बुंदेलखंड में नए चेहरों पर दांव लगाएगी भाजपा
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छतरपुर/मप्र। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के नए फार्मूले ने बुंदेलखंड में भाजपा के नए सांसदों की नींद उड़ा दी है। कहा जाता है कि सभी के रिपोर्ट कार्ड खराब ही नहीं बल्कि मोदी सरकार के स्वच्छता मिशन के कचरे के डिब्बे में जगह लायक है। इसलिए सूत्र बताते है कि बुंदेलखंड की सभी चार सीटों पर भाजपा नए चेहरो पर दांव लगा सकती है। अब नए चेहरे कौन होगे, इसे लेकर कयासो का दोर जारी है। कहा जा रहा है कि खजुराहो सीट से महिला उम्मीदवार हो सकती है वहीं सुरक्षित सीट टीकमगढ में नया प्रयोग हो सकता है।

दमोह से प्रहलाद पटेल को नया क्षेत्र मिल सकता है तो सागर लोकसभा से भी नया दांव खेला जा सकता है। सर्जिकल स्ट्राईक के बाद मूल मुद्दों से हट बदलते राष्ट्रवाद की दुहाई पर भाजपा अपना अगला चुनाव लड़ेगी। ये तो हाईकमान ने भी तय कर लिया है। ये वो मसला है जिसमे बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार सहित अन्य मूल मुद्दे स्वत: ही खत्म हो जाते है। माना जा रहा है कि देष के वर्तमान उबलने वाले मसलो पर जो भाजपा का टिकिट पा जायेगा वो विजय हो जाएगा। कुछ इसी तरह जो पिछले चुनाव में मोदी लहर की तरह था। इसलिए भाजपा में टिकिट दावेदारों की बढ़ी टीम एक दूसरे को पटकनी देने की तैयारी में है। सभी चाहते हैं कि क्रिकेट के मैदान की तरह मौके पर चैका लगाया जाए। अब इसी चैका लगाने की उम्मीदो पर भाजपा के अम्पायर अमित शाह ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए वर्तमान सांसदों से संसदीय क्षेत्र में केंद्र सरकार की पांच योजनाओ के क्रियान्वयन का मापदंड मांग लिया है।

इसी में बुंदेलखंड के वर्तमान सांसद क्लीनबोर्ड होते दिख रहे है और नए खिलाड़ी पिच में उतरने की तैयारी कर रहे है। माना जा रहा है कि अंदरूनी सर्वे में लोकतंत्र के असली मूल्यांकनकर्ता जनता के मूल्यांकन में सांसद तो खरे उतरते नही दिखाई दे रहे है।

इसलिए कयासो का दौर जारी है कि भाजपा बुंदेलखंड से संबधित चारो लोकसभा क्षेत्रो में नये चेहरे पर दांव लगा सकती है। हालांकि पिछले चुनाव में इन चारो सीटो पर भाजपा काबिज हुई थी। अब कुछ हालात भी बदले है। खजुराहो से सांसद नागेन्द्र सिंह हाल के विधानसभा चुनाव में विधायक बन चुके है। जिनका बदला जाना तो तय है। इसी तरह सागर सीट से सांसद लक्ष्मीनारायण यादव पहले ही कह चुके है कि वे चुनाव नही लडेगे। खास यह भी है कि उनके पुत्र सुधीर यादव को हाल के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याषी से करारी हार का सामना करना पडा है। यह पराजय भी सांसद के टिकिट की दौड को अंतिम ठिकाने तक पंहुचाती है।

टीकमगढ सुरक्षित लोकसभा क्षेत्र सांसद वीरेन्द्र खटीक केन्द्र सरकार में महिला बाल विकास राज्य मंत्री भी है। अफसोसजनक की वे अपने क्षेत्र में कुपोषण के बढते मामले में घिरे है। साथ ही वे अमित षाह के उपलब्धियो वाले फरमान में भी कुछ कहने की स्थिति में नही है। लगातार दस वर्षो से सांसद रहने और केन्द्र सरकार में मंत्री रहने के बाद भी क्षेत्र में कोई ऐसी सौगात नही है जिससे वे अपनी पीठ थपथपा सके। हालात यह है कि जनता के बीच जाने पर उन्हे खरी खोटी सुननी पढती है।

दमोह सीट से सांसद प्रहलाद पटेल के तो नंबर अच्छे है लेकिन भाजपा के क्षेत्रीय पर प्रदेष स्तरीय दिग्गज नेताओ से उनका मनमुटाव जगजाहिर है। कहा जाता है कि उन्होने दमोह और बडामलहरा से अपने करीबियो को कांग्रेस से टिकिट दिलाया और दोनेा ही विजय हुये। यहां तक कि षिव सरकार के वित मंत्री जंयत मलैया को भी पराजय का सामना करना पडा। अब अपने ही विरोधी मौका आने पर प्रहलाद पटेल के लिये घातक हो सकते है। जिसे भाजपा हाईकमान भी गंभीरता से ले रहा है।

विधानसभा चुनाव में हुई मनमुटाव की गलतियो से सत्ता परिवर्तन का खामियाजा भुगतने का सबक लेते हुये माना जा रहा है कि बुंदेलखंड की सभी चार सीटो पर प्रत्याषियो के बदलाव की बयार में भाजपा अपना भविष्य तलाष सकती है।


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