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मप्र उप-चुनाव में भाजपा का मुरैना पर खास फोकस

मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा के उप-चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने खास रणनीति पर अमल करना शुरु कर दिया है

मप्र उप-चुनाव में भाजपा का मुरैना पर खास फोकस
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भोपाल | मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा के उप-चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने खास रणनीति पर अमल करना शुरु कर दिया है और उसका सबसे ज्यादा फोकस मुरैना जिले की पांच विधानसभा सीटों पर है। यह जिला भाजपा सांसद और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के संसदीय क्षेत्र में आता है।

राज्य में जिन 27 विधानसभा क्षेत्रों में उप चुनाव होने वाले हैं उनमें से 16 सीटें ग्वालियर-चंबल अंचल से आती हैं तो पांच सीटें मुरैना जिले की हैं। इन सीटों पर भाजपा ने जीत के लिए खास रणनीति बनाई है और उसके मुताबिक पार्टी ने आगे बढ़ना शुरू भी कर दिया है।

सूत्रों की माने तो भाजपा ने आंतरिक तौर पर जो सर्वे कराया है, उसमें मुरैना की अधिकांश सीटों पर खास मेहनत करने की बात निकल कर सामने आई है। कुल मिलाकर यहां मुकाबला कांग्रेस के साथ त्रिकोणीय होने की संभावना बनी हुई है। यही कारण है कि भाजपा ने प्रमुख कार्यकर्ताओं से सीधे संवाद करने की जो शुरुआत की है, वो मुरैना जिले की पांचों विधानसभा सीटें ही हैं।

मुरैना जिले के पांच विधानसभा क्षेत्रों -- दिमनी, मुरैना, सुमावली, अम्बाह व जौरा के प्रमुख कार्यकर्ताओं के साथ हुई बैठक में प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मौजूद रहे। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने अपने मन की बात भी कही, जिस पर दोनों नेताओं ने भरोसा दिलाया कि उनके मान-सम्मान का हर कोई ध्यान रखेगा।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा का कहना है कि भाजपा विधानसभा जीतना नहीं बल्कि हर बूथ पर जीत दर्ज कराना है और कार्यकर्ता इसके लिए तैयार भी है।

वहीं, कांग्रेस की ओर से सभी 27 सीटों पर जीत के किए जा रहे दावों पर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने तंज कसा और कहा कि यह तो उनका सर्वे है, कुछ भी करा कर रख लो, वैसे उपचुनाव की सभी 27 सीटों पर तो भाजपा जीतने वाली है।

वरिष्ठ पत्रकार हरीष दुबे का कहना है कि वैसे तो ग्वालियर-चंबल अंचल के चुनाव में पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्येातिरादित्य सिंधिया की प्रतिष्ठा दांव पर है, मगर मुरैना में पूरा मामला केद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से जुड़ा हुआ है। मुरैना की पांच सीटों पर मिली हार और जीत तोमर के राजनीतिक प्रभाव पर असर तो डालेगी ही। यही कारण है कि तोमर अपना पूरा जोर लगाए हुए है। वैसे उप-चुनाव के कश्मकश भरे होने की संभावना बनी हुई है।


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