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भाजपा को झटका, तेदेपा ने छोड़ा मोदी सरकार का साथ

भाजपा को तगड़ा झटका देते हुए तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) ने गुरुवार को मोदी सरकार से किनारा कर लिया

भाजपा को झटका, तेदेपा ने छोड़ा मोदी सरकार का साथ
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नई दिल्ली। भाजपा को तगड़ा झटका देते हुए तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) ने गुरुवार को मोदी सरकार से किनारा कर लिया। पार्टी के मंत्री पी. अशोक गजपति राजू (उड्डयन मंत्री) और वाई. एस. चौधरी (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री) ने अपने-अपने इस्तीफे प्रधानमंत्री को सौंप दिए। हालांकि दोनों मंत्रियों ने कहा कि पार्टी अभी भी सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का हिस्सा बनी रहेगी और उन्हें आशा है कि द्विभाजन के वक्त आंध्र प्रदेश से किया हुआ वादा जैसे शेष राज्य को विशेष श्रेणी का दर्जा देना और अन्य वित्तीय मांग पूरी होंगी।

राजू और चौधरी ने मोदी से उनके आवास पर मुलाकात के बाद मीडिया को बताया, "पार्टी ने बीती रात यह फैसला किया था कि हमें इस्तीफा देना चाहिए। हमने अब इस्तीफा दे दिया है। यह शिष्टाचार का मामला है कि हमने प्रधानमंत्री से मुलाकात की और इस्तीफा पेश किया।"

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से मोदी द्वारा टेलीफोन पर बात करने और कथित रूप से राजग सरकार से बाहर निकलने के सवाल पर पुनर्विचार करने के लिए आग्रह करने के बाद मंत्रियों ने इस्तीफा दिया है। लेकिन नायडू ने प्रत्यक्ष रूप से उन्हें अपनी मजबूरी बताई।

इसी से संबंधित कड़ी में भाजपा ने गुरुवार सुबह आंध्र प्रदेश में नायडू सरकार से अपने दो मंत्रियों को वापस बुला लिया था।

तेदेपा के इस कदम से मोदी सरकार की स्थिरता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि उसके पास संसद में पर्याप्त संख्या है लेकिन उसके लिए यह किसी झटके से कम नहीं है क्योंकि तेदेपा करीब चार साल में केंद्र से बाहर होने वाली पहली पूर्व चुनाव सहयोगी पार्टी है। तेदेपा के लोकसभा में 16 और राज्यसभा में छह सदस्य हैं।

चौधरी ने कहा, "हम राजग का हिस्सा बने रहेंगे। समस्याएं जगजाहिर हैं और हमें आशा है कि द्विभाजन के वक्त राष्ट्रीय दलों द्वारा किए गए वादे पूरे होंगे। आंध्र प्रदेश में सभी चाहते हैं कि वादों को लागू किया जाए। समाधानों का प्रयास किया जाए। हम समाधानों का तलाशने का प्रयास कर रहे हैं। हमें आशा है कि समाधान होगा। हमने सौहार्दपूर्ण माहौल में इस्तीफा दिया है।"

दोनों मंत्रियों ने कहा कि वह जानते हैं कि समय को द्विभाजन के वक्त वापस नहीं लाया जा सकता लेकिन राज्य में भावनाओं और विचारों का ध्यान रखा जाना चाहिए।

यह पूछने पर कि प्रधानमंत्री की क्या प्रतिक्रिया थी, जिस पर उन्होंने मोदी के हवाले से कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन वह जानते हैं कि यह पार्टी का फैसला है। मोदी ने उन्हें बताया, "मैं आंध्र प्रदेश और राज्य के लोगों के साथ हूं।"

चौधरी ने कहा कि मीडिया के लिए यह संभावना जताना कि हम प्रधानमंत्री से बात करने के लिए गए थे, गलत था। आंध्र प्रदेश की मांगों को पूरा करना केंद्र के विभिन्न विभागों का काम है।

उन्होंने कहा, "बड़े भावुक मुद्दे को समय पर हल नहीं किया गया। कम से कम विशेष पैकेज को निर्धारित समय में लागू किया जाना चाहिए था। आंध्र प्रदेश के लोग बहुत ही भावुक हैं। एक राष्ट्रीय दल ने हमें ठगा तो दूसरे ने हमें धोखा दिया।"

तेदेपा की मांगों को पूरा करने के लिए केंद्र को समयसीमा के सवाल पर उन्होंने कहा, "16वीं लोकसभा।"

उन्होंने यह भी कहा कि संसद में हंगामे के बीच आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम पारित नहीं किया जाना चाहिए था।

चौधरी ने स्वीकार किया कि केंद्र ने कुछ मांगों को पूरा किया लेकिन आंध्र प्रदेश को बहुत कुछ चीजों की जरूरत है क्योंकि विशेष श्रेणी के दर्जा की मांग एक बहुत ही भावनात्मक और भावशील मुद्दा है।

राजू ने अपने इस्तीफा पत्र में मंत्री परिषद में एक सदस्य के रूप में जगह देने के लिए अपना आभार व्यक्त किया। चौधरी ने अपने पत्र में कहा कि उन्होंने मोदी के साथ करने का मजा लिया और उन्हें समर्थन देने के लिए सराहना की।


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