भाजपा ने किया सवाल : निजी अस्पताल के कर्ताधर्ता को राज्यसभा, आखिर डील क्या है?
भाजपा ने भी आज केजरीवाल सरकार पर सीधे हमला किया और कहा कि दिल्ली में अस्पतालों के घटते बेड,निजी अस्पताल के प्रबंधक को राज्यसभा में भेजने को जोड़कर देखें तो केजरीवाल सरकार के दावों की पोल खुलती है

नई दिल्ली। भाजपा ने भी आज अरविन्द केजरीवाल सरकार पर सीधे हमला किया और कहा कि दिल्ली में अस्पतालों के घटते बेड,निजी अस्पताल के प्रबंधक को राज्यसभा में भेजने को जोड़कर देखें तो केजरीवाल सरकार के दावों की पोल खुलती है।
भाजपाप्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि केजरीवाल ने अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य का वायदा किया और बिजली के दाम हाफऔर पानी के माफउनका संकल्प था। बेघरों को सुरक्षा देने के भी अरविन्द केजरीवाल ने बड़े-बड़े दावे किये थे। लेकिन आज जीबी पंत जैसे अस्पताल में ही बिस्तरों की संख्या में कमी हो गई और एक प्राइवेट अस्पताल वाले को राज्यसभा भेज रहे हैं, आखिर इसमें डील क्या है?
श्री तिवारी ने कहा किकेजरीवाल सरकार के रहते दिल्ली में सरकारी अस्पतालों में ढांचा पूरी तरह चरमरा गया है। जीबी पन्त अस्पताल में भी मरीजों के लिए उपलब्ध बेड की संख्या तेजी से गिर रही है। आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार जीबी पन्त अस्पताल में स्वीकृत 758 बेड के स्थान पर केवल 735 बेड ही आज मरीजों को उपलब्ध हैं तो जनकपुरी स्थित सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल में 250 बेड के स्थान पर 100 बेड ही मरीजों के लिए उपलब्ध हैं।
लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल प्रबंधन ने तो बेडों की उपलब्धता के बारे में जानकारी होने से ही इंकार कर दिया। जीबी पन्त में मरीजों के लिए उपलब्ध बेड की संख्या में कमी और खुद सरकार द्वारा निजी अस्पतालों से इलाज करवाने की बात दर्शाता है कि केजरीवाल सरकार स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार में असफल रही है।
श्री तिवारी ने कहा कि सरकारी अस्पतालों को सुदृढ़ करने के केजरीवाल सरकार के संकल्प पर न सिर्फ निजी अस्पतालों में इलाज के प्रस्ताव से शंका उत्पन्न हुई है बल्कि अब राज्यसभा के लिए भी एक निजी अस्पताल के कर्ताधर्ता को नामांकित किये जाने से सरकार सवालों के कटघरे के बीच है।
हमें किसी अस्पताल के प्रबंधक के नामांकन पर कोई आपत्ति नहीं है पर हमें सरकारी अस्पतालों के स्तर में गिरावट एवं सरकार द्वारा निजी अस्पताल में फ्री इलाज के पक्ष में बयान, इन पर चिंता है और जब हम इसे एक निजी अस्पताल के प्रबंधक के नामांकन से जोड़कर देखते है तो संदेह उत्पन्न होना स्वाभाविक है।
केजरीवाल सरकार बेघरों के मुद्दे को भी एक राजनीतिक मुद्दे की तरह इस्तेमाल करती है जबकि इस वर्ष की सर्दियों में दिल्ली में लगभग 200 लोग ठंड के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं।दिल्ली में लगभग 1 से 2 लाख निराश्रित एवं बेघर लोगों के होने का अनुमान है पर दिल्ली सरकार के सभी आश्रय केन्द्रों की संख्या मिलकर 25000 लोगों को भी सुरक्षा नहीं दे पा रही है।


