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भाजपा 'विधायक-मंत्री खरीदो', 'ईडी-सीबीआई से धमकी दिलवाओ' का खेल खेलती है : हेमंत सोरेन

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गुरुवार को गुमला जिला मुख्यालय में 'आपकी सरकार, आपके द्वार' कार्यक्रम के दौरान जनसभा को संबोधित करते हुए भारतीय जनता पार्टी और केंद्र की सरकार पर जोरदार हमला बोला

भाजपा विधायक-मंत्री खरीदो, ईडी-सीबीआई से धमकी दिलवाओ का खेल खेलती है : हेमंत सोरेन
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रांची। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गुरुवार को गुमला जिला मुख्यालय में 'आपकी सरकार, आपके द्वार' कार्यक्रम के दौरान जनसभा को संबोधित करते हुए भारतीय जनता पार्टी और केंद्र की सरकार पर जोरदार हमला बोला।

उन्होंने कहा कि अगर जनता इन्हें नहीं चुनती है तो ये विधायक खरीदो, मंत्री खरीदो, ईडी-सीबीआई से धमकी दिलवाओ, छापे पड़वाओ, जेल भिजवाओ का खेल शुरू कर देते हैं। लोकतंत्र में जनता सरकार चुनती है, लेकिन इन्हें आपसे मतलब नहीं। अगर आपने किसी और की सरकार बनाई तो ये सरकार ही खरीद लेते हैं। ये लोग हमारे पीछे भी दो साल से पड़े हैं। हमारे विधायकों के पीछे पड़े हैं, लेकिन हमलोग पैसे पर नहीं बिकते।

हेमंत सोरेन ने भाजपा पर आदिवासी विरोधी होने का आरोप मढ़ते हुए कहा, ''इन लोगों ने बड़े-बड़े, ऊंचे-ऊंचे पदों पर बैठकर सदियों से पूरे देश में आदिवासी-पिछड़ों का शोषण किया है। अब जब हम मंत्री बन रहे हैं, मुख्यमंत्री बन रहे हैं तो इनके पेट में दर्द हो रहा है। हमको चार साल से चैन से बैठने नहीं दिया। दो साल तो कोरोना से नहीं बैठ पाए और अब बचे हुए समय में इन लोगों ने हमें परेशान कर दिया। इतना दिन-रात हम काम करते हैं, लेकिन इनको काम नहीं दिखता है।''

सोरेन ने कहा कि अब इनके पास कुछ बोलने के लिए नहीं रहा तो ये लोग छत्तीसगढ़ से, असम से, मध्य प्रदेश से नेता बुलाते हैं और हिंदू-मुस्लिम का जहर घोलते हैं। हम लोग नियुक्तियां कर रहे हैं, वो इन्हें नहीं दिखता है। हम जितना आप लोगों के लिए काम करते हैं, उतना ही ये लोग हमें काटने के लिए दौड़ते हैं। ये तो आपका आशीर्वाद था कि मैं आप लोगों के सामने खड़ा हूं।

उन्होंने विपक्ष पर सरकार की योजनाओं में बाधा डालने का आरोप लगाते हुए कहा कि हमारी योजनाओं का लाभ कैसे आप तक नहीं पहुंचे, उसकी कोशिश दिन-रात करते हैं। अभी मंईयां योजना के जरिए 50 लाख लोगों के खाते में पैसा चला गया और इनके लोगों ने कोर्ट में जाकर केस कर दिया है। हम यहां के नौजवानों को नौकरी देने के लिए 1932 के खतियान पर आधारित नियोजन नीति बनाते हैं। ये लोग कोर्ट चले जाते हैं और उसे असंवैधानिक बता देते हैं। यही कानून भाजपा शासित राज्य में बनता है तो वहां संवैधानिक हो जाता है।


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