झारखंड में खेला करती भाजपा
31 जनवरी को जब एक जमीन घोटाले के आरोप में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया गया था तो उन्होंने जेल जाने के पहले अपने पद पर उनके खास एवं वरिष्ठ सहयोगी चंपई सोरेन को बिठा दिया था

इस बार लोकसभा में अपने लक्ष्य से काफी कम सीटें पाने के बाद भारतीय जनता पार्टी उन हरकतों से बाज नहीं आ रही, जिनके कारण उसकी लोकसभा में सदस्य संख्या 303 से घटकर 240 हुई है। आज हालात ऐसे हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दो-दो पार्टियों के सहारे सरकार चला रहे हैं। जून में शपथ ग्रहण करने के बाद मोदी और उनके तथाकथित 'चाणक्य' ने परिस्थितियों की नज़ाकत को समझते हुए अपने 'आपरेशन लोटस' कार्यक्रम को विराम दे रखा था। लेकिन अब लगता है कि झारखंड के माध्यम से इसे पुनर्जीवित किया जा रहा है। हालांकि इसका पूरा श्रेय भाजपा को नहीं दिया जा सकता लेकिन इस बात को मानना होगा कि यदि स्थितियां बनीं तो भाजपा इसका पूरा फायदा उठायेगी।
31 जनवरी को जब एक जमीन घोटाले के आरोप में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया गया था तो उन्होंने जेल जाने के पहले अपने पद पर उनके खास एवं वरिष्ठ सहयोगी चंपई सोरेन को बिठा दिया था जिनका ज्यादा नाम तो नहीं था, लेकिन जिनकी मजबूत जमीनी पकड़ है। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते समय उन्होंने स्पष्ट किया था कि वे केवल हेमंत की कुर्सी सम्हाल रहे हैं और उनके प्रतिनिधि मात्र हैं। उन्होंने उस वक्त भी उनकी झारखंड मुक्ति मोर्चे की सरकार को गिरने और पार्टी को विभाजन से बचाया था, जो भाजपा की मंशा थी। इतना ही नहीं, उस दौरान लगातार मजबूत होते इंडिया गठबन्धन में भी उन्होंने कल्पना सोरेन के साथ मिलकर सक्रिय भूमिका निभाई थी। दिल्ली में वहां के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के खिलाफ आयोजित इंडिया के घटक दलों की विशाल रैली में हिस्सा लिया था। सभी को भरोसा हो चला था कि तमाम संकटों के बावजूद झारखंड की सरकार टिकी रहेगी (जिसमें कांग्रेस भी भागीदार है) और वहां भाजपा की दाल फिलहाल नहीं गलने वाली। जुलाई की शुरुआत में जमानत मिल जाने पर हेमंत सोरेन लौटे तथा फिर मुख्यमंत्री पद पर विराजमान हो गये। चंपई सोरेन भी बिना किसी ना-नुकूर के कुर्सी से उतर आये।
रविवार को सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर अपने बयानों से उन्होंने साफ संकेत दे दिया है कि वे बगावत पर उतर आये हैं। उनके साथ 6 और विधायकों के होने की भी बात कही जाती है। उन्होंने पोस्ट में लिखा है कि वे एक वरिष्ठ नेता रहे हैं लेकिन सीएम पद पर रहने के दौरान उन्हें कई तरीकों से अपमानित किया गया। उनका आरोप है कि वे अपने कार्यक्रम तक खुद नहीं बना सकते थे और कई बैठकों में उन्हें बुलाया तक नहीं जाता था। उन्हें सूचित किये बगैर ही उनके कार्यक्रम भी रद्द किये जाने की उन्होंने शिकायत की। उनका दावा है कि उनके इस अपमान के कारण वे अब विकल्प तलाशने पर मजबूर हो गये हैं। बताया जाता है कि वे पिछले कुछ अरसे से भाजपा के सम्पर्क में भी रहे हैं। हालांकि झारखंड के भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने इस बात से इंकार करते हुए कहा है कि उनसे चंपई की कोई बात हुई है। उन्होंने कहा कि चंपई अपना रास्ता खुद तय करेंगे। राज्य भाजपा के कई नेता चंपई को लेकर बहुत सम्मान व्यक्त करने वाले बयान दे रहे हैं और इस बात को उभारने की कोशिश कर रहे हैं कि चंपई को अपमानित होना पड़ रहा है। यह भाषा बतला रही है कि चंपई अगर भाजपा में जाते हैं तो उन्हें प्रवेश दिया जायेगा। केन्द्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने तो अपने एक्स पर उनका एनडीए में स्वागत तक कर डाला। 'कोल्हान टाइगर' के नाम से पहचाने जाने वाले चंपई के बारे में जीतनराम ने यह भी कहा कि 'आप टाइगर थे, टाइगर हैं और टाइगर ही रहेंगे।' अनुमान है कि चंपई कभी भी भाजपा में शामिल हो सकते हैं। वैसे खुद चंपई ने इस बात की पुष्टि नहीं की है; और हेमंत का आरोप है कि भाजपा पैसों के बल पर पार्टियां और परिवार तोड़ रही है। यह भी माना जाता है कि वे अलग पार्टी बनायेंगे। आदिवासियों के बीच अच्छी पैठ रखने वाले चंपई के पार्टी छोड़ने का असर वहां जेएमएम और इंडिया पर पड़ेगा- इसमें दो राय नहीं है।
सवाल यह है कि यदि चंपई और उनके साथ 6 अन्य लोग जेएमएम छोड़ते हैं तो क्या झारखंड सरकार गिर जायेगी, तो ऐसा खतरा फिलहाल नहीं दिखता पर वहां की कुल 81 में 28 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षित हैं जिन पर हेमंत एवं चंपई के बीच मुकाबला बढ़ सकता है। इस राज्य में बहुत ही जल्दी विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। शुक्रवार को घोषित हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के साथ यहां के भी (और महाराष्ट्र भी) चुनावों का ऐलान होने की अपेक्षा थी। 82 सदस्यीय (1 मनोनीत) विधानसभा में झामुमो के पास 27, कांग्रेस 18, माले व राष्ट्रीय जनता दल के पास 1-1 सीटें हैं जिन्हें मिलकर सरकार बनी है। विपक्ष के पास कुल 30 सीटें हैं- भाजपा 24, आजसू 3, राकपा 1, निर्दलीय 2 और चार खाली हैं। यानी चंपई के बल पर भाजपा की सरकार नहीं बन सकती और हेमंत की गिर नहीं सकती, लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव में जेएमएम-इंडिया को यहां मजबूती से चुनाव लड़ना होगा।


