पत्थरबाजों पर भाजपा-पीडीपी सरकार मेहरबान
जम्मू-कश्मीर में सैनिकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के मामले पर हो रही सियासत के बीच राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लिया है

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में सैनिकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के मामले पर हो रही सियासत के बीच राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। राज्य की महबूबा मुफ्ती सरकार ने 2008 से 2017 के बीच पथराव की घटनाओं में शामिल 9730 लोगों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने की मंजूरी दे दी है।
जिन पत्थरबाजों के खिलाफ मामले वापस लिए जा रहे हैं, उनमें पहली बार अपराध करने वाले लोग भी शामिल हैं। गौर करने वाली बात है कि यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब तीन नागरिकों की मौत के मामले में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक मेजर समेत 10 गढ़वाल राइफल के सैनिकों को आरोपी बनाया गया है। इसका काफी विरोध हो रहा है। दरअसल, कुछ दिन पहले शोपियां में पत्थरबाजों की भीड़ ने सैनिकों के 4 वाहनों को घेर लिया था।
सेना के सूत्रों ने बताया कि पत्थर फेंक रही भीड़ जेसीओ को मारने के लिए बढ़ रही थी। कई बार चेतावनी देने के बाद भी जब पत्थरबाज शांत नहीं हुए तो मजबूरन सैनिकों को फायरिंग करनी पड़ी। इस पर राज्य विधानसभा में काफी हंगामा हुआ है। दूसरी तरफ, सैनिकों के खिलाफ एफआईआर वापस लेने की मांग भी की जा रही है।
मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने शनिवार को कहा कि 1745 मामले वापस लेने की सरकार की कार्रवाई कुछ शर्तों पर निर्भर करेगी और यह मामले की पड़ताल के लिए गठित एक समिति की सिफारिशों पर आधारित हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने 4000 से अधिक लोगों को माफी देने की सिफारिश की है। ये लोग पिछले दो वर्षों में पथराव में शामिल रहे हैं।
विधानसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में मुफ्ती ने कहा कि वह पहली बार अपराध में शामिल लोगों के ब्योरे का खुलासा ऐसे लोगों और उनके परिवार की सुरक्षा की वजह से नहीं करेंगी। बहरहाल, उन्होंने कहा कि 2016 और 2017 के बीच 3773 मामले दर्ज किए गए थे। इनमें 11 हजार 290 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
233 का अब तक पता नहीं लगा है। 7 मामले स्वीकार नहीं किए गए और 1692 मामलों में आरोप पत्र दायर किए गए जबकि 1841 मामलों में जांच चल रही है।


