Top
Begin typing your search above and press return to search.

कासगंज साम्प्रदायिक हिंसा में भाजपा सांसद राजवीर सिंह की भूमिका की उच्चस्तरीय जाँच हो: रिहाई मंच

रिहाई मंच ने कासगंज साम्प्रदायिक हिंसा के लिए भाजपा और संघ परिवार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि जिस संघ परिवार ने तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज नही स्वीकार किया

कासगंज साम्प्रदायिक हिंसा में भाजपा सांसद राजवीर सिंह की भूमिका की उच्चस्तरीय जाँच हो: रिहाई मंच
X

लखनऊ। रिहाई मंच ने कासगंज साम्प्रदायिक हिंसा के लिए भाजपा और संघ परिवार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि जिस संघ परिवार ने तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज नही स्वीकार किया। वे आज तिरंगा यात्रा निकाल कर साम्प्रदायिक हिंसा फैला रहे हैं। कासगंज साम्प्रदायिक हिंसा की एक वीडियो में साफ-साफ दिख रहा है कि साम्प्रदायिक तत्व भगवा झंडा लेकर यात्रा निकाल रहे थे और मुस्लिम इलाके में तिरंगे के जगह भगवा झंडा फहरा रहे थे।

मंच ने मांग कि इस तरह के साम्प्रदायिक तत्वों के खिलाफ राष्ट्रीय ध्वज अधिनियम के तहत कार्यवाही की जाये।

मंच ने मांग की कासगंज साम्प्रदायिक हिंसा में भाजपा सांसद राजवीर सिंह की भूमिका की उच्चस्तरीय जाँच हो।

रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव और आरिफ ने अलीगढ़ अस्पताल में पीडितो मुलाकात की।

रिहाई मंच नेता मुहम्मद आरिफ ने कासगंज साम्प्रदायिक के पीड़ितों से मुलाकात की और बताया कि नौशाद अहमद की उम्र लगभग 32 साल है। नौशाद मजदूरी करने वाले गरीब परिवार से आते हैं। आमतौर पर जिस दिन काम मिल जाता है 200- 400 रुपये तक कमा लेते हैं। कई बार काम नहीं मिलने पर दिन ऐसे ही बेकार जाता है।

नौशाद के तीन बेटियां हैं जिनमें से एक पढने जाती है और दो अभी छोटी हैं। नौशाद अहमद 26 जनवरी के दिन अपने घर से बाज़ार की दुकान जहां वे काम करते हैं गए थे। नौशाद बताते हैं कि सुबह तकरीबन 9 बजे एक बड़ा जुलूस भगवा झंडे के साथ जय श्रीराम के नारे लगते हुए शहर में घूम रहा था। उनका कहना है- ”इस तरह का जुलूस हमने पहले कभी 26 जनवरी को नहीं देखा था।”

नौशाद जब दुकान पर पहुंचे तो दुकान बंद थी, इसलिए वे वापस अपने घर की तरफ लौटने लगे। वे अपने घर की तरफ लौट ही रहे थे उन्‍हें रास्ते में पुलिस दिखाई दी। वे अपने घर की तरफ बढ़ रहे थे, लेकिन तभी पुलिस ने फायरिंग शुरू कर दी। नौशाद के मुताबिक़ पुलिस बिल्कुल सामने से फायरिंग कर रही थी। इसी फायरिंग में एक गोली उनके दाएं पैर में जाँघों को पार करते हुए निकल गई। नौशाद इस वक़्त जेएनएमसी, अलीगढ़ में भर्ती हैं।

नौशाद के भाई दिलशाद बताते हैं कि हमीद चौक के पास मुसलमानों ने ध्वजारोहण का प्रोग्राम रखा था, लेकिन सुबह तकरीबन 9 बजे के आसपास भगवा झंडे के साथ 70-75 बाइक पर लोग आए और भगवा झंडे लहराने लगे और साथ में पाकिस्तान मुर्दाबाद, वन्दे मातरम, गाने के लिए जबरदस्ती करने लगे।

इस पर वहां मौजूद लोगों ने थाने पर इसकी सूचना दी, लेकिन उन लोगों ने मुसलमानों को गालियां देनी शुरू कर दीं और मारपीट पर उतारू हो गए। जब वे लोग मारपीट करने लगे तो लोगों ने उन्हें खदेड़ लिया। इस पर वे लोग अपनी गाड़ियां छोड़ कर भागने लगे। थोड़ी देर में वहां पुलिस भी आ गई।

इसके लगभग एक घंटे बाद उन लोगों ने वापस और अधिक संख्या में इकट्ठा होकर वापस के घरों के पास नारेबाजी और हमला शुरू कर दिया। इसके बाद कुछ लोगों ने मुसलमानों के घरों में भी घुसने की कोशिश की और पुलिस मूकदर्शक बनी रही। इसके बाद जब स्थिति बिगड़ने लगी तो पुलिस ने फायरिंग शुरू कर दी और इतना होने के बाद भी धारा 144 या अलर्ट जारी नहीं किया। नौशाद कहते हैं कि इसमें एटा के सांसद राजवीर सिंह उर्फ़ राजू ने पुलिस को न सिर्फ इस्तेमाल किया बल्कि उन्हीं के संरक्षण में सांप्रदायिक हिंसा भी शुरू हुई।

नौशाद के मुताबिक कासगंज में 1990 के बाद से कभी कोई साम्प्रदायिक हिंसा नहीं हुई। इस बार घटना का कोई तात्कालिक कारण नहीं था, बल्कि जान-बूझ कर हिंसा फैलाई गई। इसमें पुलिस प्रशासन की भूमिका संदिग्ध है।

आज की घटनाएं इन आरोपों की पुष्टि करती हैं कि पुलिस ने समय रहते कार्यवाही नहीं की, इसके उलट उन्हीं लोगों का साथ दिया जो हिंसा के आरोपी हैं। उनका कहना है कि सच अब निष्पक्ष जांच से ही सामने आएगा, लेकिन इतना तो तय है कि पुलिस प्रशासन ने जान-बूझ कर सांप्रदायिक तत्वों को खुलेआम हिंसा करने की ढील दी।

साम्प्रदायिक हिंसा में मोहम्मद अकरम जो अलीगढ लौट रहे थे उनपर साम्प्रदायिक तत्वों ने हमला किया उनकी आँख में गोली मार दिया जिनको अलीगढ से दिल्ली रिफर कर दिया गया है.


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it