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पहली बार राज्यसभा जाने को तैयार भाजपा के नए चेहरे

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जिन 16 राज्यसभा सीटों के लिए उम्मीदवार घोषित किए हैं, उनमें अधिकांश नए चेहरे

पहली बार राज्यसभा जाने को तैयार भाजपा के नए चेहरे
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नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जिन 16 राज्यसभा सीटों के लिए उम्मीदवार घोषित किए हैं, उनमें अधिकांश नए चेहरे हैं। हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, असम, हिमाचल प्रदेश आदि राज्यों की खाली सीटों पर पार्टी ने ऐसे नेताओं को मौका दिया है, जो पहली बार राज्यसभा पहुंचेंगे। संख्या बल को देखते हुए अधिकतर भाजपा उम्मीदवारों की जीत तय मानी जा रही है। देश में कुल 17 राज्यों की अप्रैल में खाली हो रहीं 55 सीटों पर 26 मार्च को चुनाव होना है। इनमें से भाजपा ने कुल 16 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं।

दुष्यंत गौतम (हरियाणा)

हरियाणा से भाजपा उम्मीदवार दुष्यंत गौतम पहली बार राज्यसभा जाने को तैयार हैं। हालांकि वह पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में शुमार हैं, लेकिन राज्यसभा के लिए पहली बार उन्हें टिकट मिला है। इस वक्त वह भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। 29 सितंबर, 1957 को दिल्ली में जन्मे दुष्यंत कुमार गौतम भाजपा में कई अहम पदों पर रह चुके हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़े गौतम बाद में भाजपा की मुख्यधारा की राजनीति में आए और तीन बार अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष बनें। वह भाजपा के सदस्यता अभियान के राष्ट्रीय सह संयोजक भी हैं।

रामचंद्र जांगड़ा (हरियाणा)

भाजपा ने हरियाणा से रामचंद्र जांगड़ा को भी राज्यसभा का टिकट दिया है। रोहतक के महम कस्बे के रहने वाले जांगड़ा हरियाणा में तीन बार भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष रह चुके हैं। वह पिछड़ा वर्ग मोर्चा के उपाध्यक्ष भी रहे हैं। जांगड़ा पहले हरियाणा विकास पार्टी में रहे। मगर 1991 में महम और 2004 में करनाल से विधानसभा चुनाव हारने के बाद वह भाजपा में शामिल हुए। पार्टी ने 2014 में गोहाना विधानसभा सीट से उन्हें टिकट दिया था, मगर वह हार गए। जांगड़ा जीवन में अब तक कोई विधानसभा चुनाव नहीं जीत पाए हैं।

इंदू गोस्वामी (हिमाचल प्रदेश)

इंदू गोस्वामी को पार्टी ने हिमाचल प्रदेश से राज्यसभा का टिकट दिया है। कांगड़ा जिला निवासी इंदू गोस्वामी धूमल सरकार में राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रह चुकी हैं। पार्टी ने 2017 में उन्हें पालमपुर सीट से विधानसभा का टिकट दिया था, मगर जीत नहीं पाई थीं। इंदू भाजपा महिला मोर्चा के लिए भी काम कर चुकी हैं।

सुमेर सिंह सोलंकी (मध्य प्रदेश)

भाजपा ने मध्य प्रदेश से युवा आदिवासी चेहरे सुमेर सिंह सोलंकी को राज्यसभा उम्मीदवार बनाया है। सुमेर मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले के शहीद भीमा नायक शासकीय महाविद्यालय में इतिहास विभाग में सहायक प्राध्यापक हैं। वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से लंबे समय से जुड़े रहे हैं। वह वनवासियों के बीच काम करने के लिए भी जाने जाते हैं।

दीपक प्रकाश (झारखंड)

भाजपा ने झारखंड से दीपक प्रकाश को राज्यसभा के लिए मौका दिया है। दीपक प्रकाश को महीने भर के भीतर यह दूसरा तोहफा मिला है। पिछले महीने ही पार्टी ने उन्हें झारखंड का अध्यक्ष बनाया था। बाबूलाल मरांडी के करीबी माने जाने वाले दीपक प्रकाश प्रदेश अध्यक्ष बनने से पहले महामंत्री थे।

अभय भारद्वाज (गुजरात)

गुजरात से राज्यसभा टिकट पाने वाले अभय भारद्वाज राजकोट के वकील हैं। इनकी पहचान गुजरात सरकार के लिए समय-समय पर कई बड़े केस लड़ने वाले सरकारी वकील की रही है। भारद्वाज चर्चित गुलमर्ग सोसायटी कांड, भाजपा के पूर्व विधायक जयंती भानुशाली की हत्या, आईएएस अफसर प्रदीप शर्मा आदि मामलों से जुड़े केस में सरकार की तरफ से वकील रह चुके हैं। भाजपा गुजरात इकाई के एक महासचिव ने आईएएनस से फोन पर कहा कि अभय भारद्वाज पार्टी से बहुत पहले से जुड़े रहे हैं, इसलिए उन्हें राज्यसभा का टिकट दिया गया है।

रमीलाबेन बारा (गुजरात)

रमीलाबेन बारा को भी पार्टी ने गुजरात से राज्यसभा का टिकट दिया है। वह गुजरात में पार्टी की आदिवासी चेहरा होने के साथ प्रदेश उपाध्यक्ष भी हैं। पूर्व विधायक रमीलाबेन आदिवासी विकास विभाग की चेयरमैन भी हैं। 2017 में खेडब्रह्मा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के हाथों 2012 की तरह विधानसभा चुनाव हार गई थीं।

राजेंद्र गहलोत (राजस्थान)

राष्ट्रीय स्तर पर राजेंद्र गहलोत की कुछ खास पहचान भले न हो, मगर वह राजस्थान में भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं। वह भैरो सिंह शेखावत सरकार में मंत्री रह चुके हैं। जोधपुर के रहने वाले गहलोत आपातकाल के दौरान जेल जा चुके हैं। वह हाल में भाजपा में हुए संगठन चुनाव में भी जिम्मेदारी निभा चुके हैं।

लिएसेंबा महाराजा (मणिपुर)

भाजपा ने लिएसेंबा महाराजा को असम की दूसरी सीट से राज्यसभा का टिकट दिया है। लिएंसेबा मणिपुर के आखिरी राजा बोधचंद्र के प्रपौत्र हैं। खास बात है कि वह किसी पार्टी से कभी जुड़े नहीं रहे हैं, मगर राज परिवार से जुड़े होने के कारण उनका मणिपुर में खास प्रभाव है।


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