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मप्र में भाजपा का कविता पाटीदार के जरिए 'मास्टर स्ट्रोक'

मध्य प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग का हितैषी बनने के दावों के बीच भारतीय जनता पार्टी ने राज्यसभा के उम्मीदवार के तौर पर कविता पाटीदार के नाम का चयन कर मास्टर स्ट्रोक चल दिया है

मप्र में भाजपा का कविता पाटीदार के जरिए मास्टर स्ट्रोक
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भोपाल। मध्य प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग का हितैषी बनने के दावों के बीच भारतीय जनता पार्टी ने राज्यसभा के उम्मीदवार के तौर पर कविता पाटीदार के नाम का चयन कर मास्टर स्ट्रोक चल दिया है। वहीं कांग्रेस हाथ मलने को मजबूर है। राज्य में बीते कुछ अच्छे से सियासत अन्य पिछड़ा वर्ग के इर्द-गिर्द घूम रही है, क्योंकि पंचायत चुनाव में ओबीसी वर्ग को आरक्षण दिए जाने का मामला सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंचा। दोनों दल इस वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण दिए जाने की पैरवी करते रहे मगर जब सर्वोच्च न्यायालय से कोई राहत नहीं मिली तो दोनों दलों ने 27 फीसदी से ज्यादा उम्मीदवार मैदान में उतारने की फैसले का ऐलान कर दिया।

एक तरफ जहां पंचायत चुनाव की प्रक्रिया चल रही है और नगरीय निकाय चुनाव की तारीखों का ऐलान होने वाला है, ता राज्यसभा के चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। राज्य में तीन राज्यसभा की सीटें रिक्त हो रही हैं, जिनमें से दो भाजपा के खाते में जाना तय है और एक कांग्रेस के हिस्से में।

कांग्रेस ने राज्यसभा के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा के नाम का ऐलान कर दिया है। तन्खा लगातार दूसरी बार राज्यसभा में जाएंगे। वहीं भाजपा ने राज्य की सियासी नब्ज को समझते हुए पिछड़े वर्ग से नाता रखने वाली कविता पाटीदार को राज्यसभा में भेजने का फैसला किया है। अभी दूसरे नाम का ऐलान होना बाकी है।

भाजपा की ओर से पिछड़े वर्ग की कविता पाटीदार के नाम का ऐलान किए जाने के बाद भाजपा की ओर से कांग्रेस पर हमले की शुरू हो गए हैं। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता हितेश वाजपेयी ने ट्वीट कर कहा है, "ओबीसी विरोधी कांग्रेस ने ओबीसी नेता अरुण यादव की पीठ में फिर छुरा नहीं घोंपा? जवाब दें कमलनाथ कि उन्होंने पिछड़े वर्ग के साथ राज्यसभा में अन्याय क्यों किया? बधाई कविता पाटीदार और विष्णु दत्त शर्मा, आपने पिछड़े वर्ग को सम्मान व स्थान दिया। धन्यवाद नरेंद्र मोदी और जेपी नड्डा।"

राजनीतिक विश्लेषक भाजपा के चौंकाने वाले फैसले को एक सफल राजनीतिक दल और उसके संगठन की दूरदर्शी सोच मानते हैं। उनका कहना है कि राज्य में इन दिनों ओबीसी आरक्षण का मुद्दा जोर पकड़े हुए है, ऐसे में भाजपा ने पिछड़े वर्ग से उम्मीदवार बनाकर बड़ा दाव चल दिया है। इसका जवाब फिलहाल कांग्रेस के लिए खोजना आसान नहीं होगा।


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