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चुनाव नजदीक देख संवैधानिक दर्जा देने के नाम छलावा कर रही है भाजपा: मायावती

 बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने आरोप लगाया है कि लोकसभा चुनाव को नजदीक आता देख भारतीय जनता पार्टी पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के नाम पर पिछड़े वर्ग के लोगों के साथ छलावा कर

चुनाव नजदीक देख संवैधानिक दर्जा देने के नाम छलावा कर रही है भाजपा:  मायावती
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लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने आरोप लगाया है कि लोकसभा चुनाव को नजदीक आता देख भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के नाम पर पिछड़े वर्ग के लोगों के साथ छलावा कर रही है।

मायावती ने गुरूवार को यहां जारी बयान मेें कहा है कि भाजपा पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के नाम संसद में विधेयक लाकर पिछड़ों को लुभाने का प्रयास कर रही है ताकि चुनाव में इनका कुछ वोट हासिल कर लिया जाये। उन्होेने कहा कि इन वर्ग के लोगों को भाजपा से सावधान रहने की जरूरत है।

उन्होेने कहा कि देश के करोड़ों दलितों तथा आदिवासियों की तरह ही अन्य पिछड़े वर्गों का भी राजनीति, शिक्षा, रोजगार, न्यायपालिका आदि के क्षेत्र में उनके हकों से वंचित रखने का प्रयास में लगी भाजपा अब चुनाव के समय में ओ.बी.सी. वर्गों को भी छलना चाहती है। उनको लुभाने के लिये संसद में पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का विधेयक लाया गया है। यह उनकी चुनावी स्वार्थ की राजनीति के सिवाय कुछ भी नहीं है। भाजपा हमेशा से ही पिछड़ा वर्ग और इनके आरक्षण विरोधी रही है। भाजपा ने मण्डल आयोग की रिपोर्ट को देश में लागू करने का भी देश भर में विरोध किया था।

बसपा अध्यक्ष ने कहा कि पिछले सवा चार वर्षों के केन्द्र में भाजपा के शासनकाल में ऐसा कुछ भी नहीं किया गया। अब लोकसभा तथा तीन राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ में चुनाव नजदीक आ गये है। इस सम्बंध में यदि नीयत थोड़ी भी साफ होती तो यह काम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार अपने पहले वर्ष में ही आसानी से कर सकती थी।

उस समय किसान-विरोधी नया भूमि अधिग्रहण कानून बनाने के लिये तत्पर थी। उसके लिये बार-बार अध्यादेश लाती जा रही थी, ताकि बड़े-बडे पूंजीपतियों तथा धन्नासेठों को खुश कर सके।

मायावती ने कहा कि भाजपा की केन्द्र तथा राज्य सरकारों की सोच ओ.बी.सी. हितैषी कतई नहीं हैं। इनका रवैया दलितों तथा आदिवासियों के मामलों की तरह ही पिछड़े वर्ग विरोधी भी रहा है।


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