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'भाजपा ने एक आदिवासी नेता का शिकार किया', चंपई सोरेन के भाजपा में शामिल होने पर बोले अमरजीत भगत

झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के साथ दशकों की राजनीतिक यात्रा को विराम देते हुए झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने भाजपा का दामन थाम लिया

भाजपा ने एक आदिवासी नेता का शिकार किया, चंपई सोरेन के भाजपा में शामिल होने पर बोले अमरजीत भगत
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रायपुर। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के साथ दशकों की राजनीतिक यात्रा को विराम देते हुए झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने शुक्रवार को भाजपा का दामन थाम लिया। भाजपा के दिग्गज नेताओं की मौजूदगी में उन्होंने पार्टी का दामन थामा।

चंपई सोरेन के भाजपा में शामिल होने के बाद कांग्रेस नेता और छत्तीसगढ़ के पूर्व कैबिनेट मंत्री अमरजीत भगत ने प्रतिक्रिया जाहिर की। अमरजीत भगत ने आईएएनएस से खात बातचीत करते हुए कहा, 'फूट डालो और शासन करो', भारतीय जनता पार्टी की नीति है। भाजपा ने एक आदिवासी नेता का शिकार किया।

उन्होंने कहा कि चंपई सोरेन बहुत सीनियर नेता हैं, वह कैसे भारतीय जनता पार्टी के चक्कर में फंस गए, यह समझ से परे है। हालांकि, झारखंड में पहले भी इंडिया गठबंधन की सरकार है और आगे भी रहेगी।

हिमाचल प्रदेश के वित्तीय संकट को लेकर उन्होंने कहा कि पूरे देश के लिए, वित्त मंत्री के लिए और प्रधानमंत्री के लिए यह चिंता का विषय है। एक ओर हम विश्व गुरु बनने के सपने देख रहे हैं, वहीं दूसरी ओर हमारे अपने देश में वित्तीय संकट की स्थिति बनी हुई है, जिसे पहले ठीक करने की आवश्यकता है।

बता दें कि चंपई सोरेन ने बीते दिनों झारखंड मुक्ति मोर्चा में अपने अपमान का आरोप लगाकर पार्टी से अलग होने की बात कही थी। इसके बाद, उन्होंने दिल्ली में भाजपा नेतृत्व से मुलाकात की थी और बाद में असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने एक पोस्ट कर जानकारी दी थी कि चंपई सोरेन 30 अगस्त को भाजपा में शामिल होंगे।

चंपई सोरेन ने 28 अगस्त को झारखंड मुक्ति मोर्चा से इस्तीफा दिया था। अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा था कि झारखंड मुक्ति मोर्चा की प्राथमिक सदस्यता और सभी पदों से त्याग पत्र दे रहा हूं। उन्होंने कहा था कि झारखंड के आदिवासियों, मूलवासियों, दलितों, पिछड़ों और आम लोगों के मुद्दों को लेकर उनका संघर्ष जारी रहेगा।

आपको बताते चलें, चंपई सोरेन पहली बार साल 1991 में हुए उपचुनाव में निर्दलीय जीत दर्ज कर विधायक बने थे। इसके बाद साल 1995 में वह झामुमो के टिकट पर चुनाव जीतकर विधायक बने थे। उन्हें 'झारखंड टाइगर' के नाम से भी जाना जाता है।


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