चुरू जिले में भाजपा कांग्रेस और बसपा के त्रिकोणीय मुकाबला
चुरु विधानसभा सीट पर पहले चुनाव से अब तक छह बार कांग्रेस ने अपना कब्जा जमाया हैं जबकि चार बार भाजपा एवं तीन बार निर्दलीय और एक बार जनता पार्टी एवं एक बार जनता दल का प्रत्याशी चुनाव जीता हैं

जयपुर। राजस्थान विधानसभा चुनाव में चुरु जिले में दो विधानसभा क्षेत्रों में सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एवं कांग्रेस प्रत्याशी के बीच सीधा एवं शेष चार सीटों पर इन दोनों प्रमुख दलों के साथ बहुजन समाज पार्टी (बसपा) एवं बागियों की वजह से त्रिकोणात्मक मुकाबला होने के आसार हैं।
जिले में पंचायत राज मंत्री राजेन्द्र राठौड़, देवस्थान मंत्री राजकुमार रिणवा, पूर्व मंत्री पंडित भंवर लाल शर्मा एवं पूर्व शिक्षा मंत्री मास्टर भंवरलाल शर्मा एवं राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ी कृष्णा पूनिया, विधायक मनोज न्यांगली एवं खेमाराम मेघवाल , पूर्व सांसद नरेन्द्र बुडानिया एवं पूर्व विधायक रामेश्वर भाटी सहित कुल 78 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं।
जिले की चुरु विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के उम्मीदवार राठौड़ का मुकाबला पूर्व विधायक मकबूल मंडेलिया के पुत्र कांग्रेस प्रत्याशी रफीक मंडेलिया से हैं। यहां कुल बारह उम्मीदवार चुनाव मैदान में अपना भाग्य आजमा रहे हैं जहां मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस में होने की संभावना हैं और रफीक मंडेलिया छह बार विधायक बन चुके श्री राठौड़ को कड़ी टक्कर दे सकते हैं। राठौड़ का राजनीतिक दबदबा रहा है और वह पांच बार चुरु एवं एक बार तारानगर से चुनाव जीत चुके हैं।
चुरु विधानसभा सीट पर पहले चुनाव से पहले चुनाव वर्ष 1952 में कांग्रेस के दो उम्मीदवार प्रभुदयाल एवं कुंभाराम विजयी रहे। इसी तरह 1957 के चुनाव में भी दो उम्मीदवार विजयी रहे जिनमें कांग्रेस के रेवता और निर्दलीय मोहर सिंह शामिल हैं।
वर्ष 1962 में मोहर सिंह फिर निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में चुनाव जीता। वर्ष 1967 में मेघराज निर्दलीय, 1972 में मोहर सिंह कांग्रेस, 1977 में फिर मोहर सिंह जनता पार्टी, 1980 में भालू खान कांग्रेस (आई ) 1985 हमीदा बेगम कांग्रेस, 1990 में राजेन्द्र राठौड़ जनता दल, 1993 से 2008 तक लगातार तीन बार श्री राठौड़ भाजपा एवं 2008 में मकबूल मंडेलिया तथा 2013 में फिर श्री राठौड़ भाजपा प्रत्याशी के रुप में चुरु से चुनाव जीता।
इसी तरह सरदार शहर से कांग्रेस प्रत्याशी विधायक पंडित भंवर लाल शर्मा और भाजपा प्रत्याशी पूर्व विधायक अशोक पींचा के बीच मुख्य मुकाबला होने की संभावना हैं। सरदारशहर से कुल तेरह उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। पहला चुनाव 1952 में चंदनमल कांग्रेस प्रत्याशी ने जीता तथा इसके बाद उन्होंने 1957 , 1962 तथा 1972 का चुनाव भी कांग्रेस प्रत्याशी के रुप में जीता।
वर्ष 1967 में रुप सिंह निर्दलीय 1977 हजारीमल जनता पार्टी 1980 मोहन लाल भाजपा, 1985 में भंवर लाल शर्मा लोकदल एवं 1990 में जनता दल, 1998, 2003 एवं 2013 में कांग्रेस उम्मीदवार के रुप में चुनाव जीता। 1993 में नरेन्द्र बुडानिया भाजपा प्रत्याशी के रुप में चुनाव जीता।
शर्मा पांच बार चुनाव जीत चुके हैं और क्षेत्र में उनकी अच्छी पकड़ बताई जा रही है वहीं श्री पींचा के विधायक पूर्व में विधायक रहने तथा उनकी पत्नी सुषमा पींचा पालिकाध्यक्ष होने के कारण श्री शर्मा को टक्कर मिल सकती हैं।
जिले की सादुलपुर सीट पर इस बार भाजपा प्रत्याशी पूर्व सांसद राम सिंह कस्वां तथा कांग्रेस प्रत्याशी एथलीट कृष्णा पूनिया एवं बसपा उम्मीदवार विधायक मनोज न्यांगली सहित कुल बारह उम्मीदवार चुनाव मैदान में अपना भाग्य आजमा रहे हैं जहां मुकाबला त्रिकोणात्मक नजर आ रहा हैं।
सादुलपुर से श्री कस्वां वर्ष 1972 में कांग्रेस उम्मीदवार के रुप में चुनाव जीत चुके हैं। इसके बाद यहां से वह 1998 में भाजपा प्रत्याशी के रुप में विधायक चुने गये। वर्ष 2008 में उनकी पत्नी कमला कस्वां ने भाजपा प्रत्याशी के रुप में चुनाव जीता।
कस्वां सांसद भी रह चुके हैं। क्षेत्र में उनका राजनीतिक प्रभुत्व रहा हैं लेकिन पिछली बार कांग्रेस की प्रत्याशी रही कृष्णा पूनिया इस बार उन्हें कड़ी टक्कर दे सकती हैं। हालांकि बसपा उम्मीदवार मनोज न्यांगली पिछली बार यहां से बसपा टिकट पर चुनाव जीता हैं और क्षेत्र में उनकी बढ़ती जा रही पकड़ दोनों प्रमुख दलों के लिए दिक्कत खड़ी हो सकती हैं।
सादुलपुर से पहला चुनाव वर्ष 1962 में रावतराम कांग्रेस, 1967 में शीशराम ओला कांग्रेस, 1974 में उपचुनाव मोहर सिंह मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, 1977 में जयनारायण जनता पार्टी, 1980 में दीपचंद निर्दलीय, 1985, 1990 एवं 1993 में इंदर सिंह पूनियां एवं 2003 में नंदलाल पूनियां कांग्रेस तथा 2013 में श्री न्यांगली विधायक बने। इस सीट पर अनुसूचित जाति एवं जाट मतदाता निर्णायक माने जा रहे हैं।


