कर्नाटक उपचुनावों में भाजपा की बड़ी जीत
कर्नाटक में बी एस येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली सरकार के लिए अग्नि परीक्षा के रूप में देखे जा रहे राज्य विधानसभा की 15 सीटों पर हुए उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आज शानदार प्रदर्शन

बेंगलुरु। कर्नाटक में बी एस येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली सरकार के लिए अग्नि परीक्षा के रूप में देखे जा रहे राज्य विधानसभा की 15 सीटों पर हुए उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आज शानदार प्रदर्शन करते हुए अब तक सात सीटें जीतकर और पांच पर सीटों पर मजबूत बढ़त बनाकर कांग्रेस और अन्य दलों का लगभग सफाया कर दिया है। कांग्रेस की झोली में केवल दो सीट गई हैं जबकि एक सीट पर उसे बढ़त हासिल है जबकि जनता दल (एस) का खाता भी नहीं खुल पाया है। एक सीट पर निर्दलीय आगे है।
एच डी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के पतन के बाद येदियुरप्पा ने इस वर्ष 26 जुलाई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इन उपचुनावों में येदियुरप्पा को अपनी सरकार के लिए साधारण बहुमत हासिल करने के लिए कम से कम छह सीटों की जरूरत थी। भाजपा ने उपचुनाव में बड़ी सफलता हासिल कर राज्य में स्थायी बहुमत वाली सरकार बनाने का मार्ग प्रशस्त कर लिया है। यह उपचुनाव कर्नाटक विधानसभा के 15 अयोग्य विधायकों के राजनीतिक भाग्य के लिए भी निर्णायक था।येदियुरप्पा ने जीतने वाले विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह देने का वादा किया है। पार्टी हाई कमान से हालांकि अभी इसकी मंजूरी लेनी होगी।
निवर्तमान विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार के कांग्रेस और जद एस के विधायकों को स्वीकार नहीं करने और उन्हें अयोग्य ठहराये जाने के बाद यह उपचुनाव महत्वपूर्ण माना जा रहा था। बाद विधायकों ने अयोग्यता को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी और शीर्ष अदालत से इन्हें उपचुनाव लड़ने की अनुमति मिली थी।
भाजपा गोकाक, येल्लापुर, रानीबेन्नूर, विजयनगर, चिकबल्लारपुर, महालक्ष्मी लेआउट और कृष्णाराजपेट सीटें जीत चुकी है जबकि अथानी, कगवाड,के आर पुर, हीरेकेरुर, और यशंवतपुर में अच्छे अंतर से बढ़त बनाये हुए है ।
कांग्रेस शिवाजी नगर और हुनाशुरु में जीती है। उपचुनाव में होसाकोटे निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार शरद कुमार बचेगोड़ा आगेे चल रहे हैं।
कर्नाटक विधानसभा में 224 सीटें हैं। सत्रह विधायकों को अयोग्य ठहराने जाने के बाद 207 सदस्य रह गए। इस लिहाज से बहुमत के लिए 104 सीटों की जरूरत थी। भाजपा के पास वर्तमान में 105 सीटों के अलावा एक निर्दलीय उम्मीवार का समर्थन प्राप्त था। पंद्रह सीटों पर उपचुनाव होने के बाद विधायकों की संख्या 222 हो जाती और ऐसी स्थिति में भाजपा को बहुमत के लिए 112 सदस्य चाहिए। भाजपा को सत्ता में बने रहने के लिए कम से कम छह सीटों की जरूरत थी।
पिछले साल मई में कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कोई भी पार्टी बहुमत हासिल नहीं कर पाई थी। भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी लेकिन बहुमत से कुछ सीटें दूर रह गई। कांग्रेस दूसरे नंबर पर और जेडी (एस) तीसरे पायदान पर रही।
त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति आने पर सबसे बड़े दल के रूप में भाजपा की तरफ से श्री येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली लेकिन वह बहुमत का आवश्यक आंकड़ा जुटाने में कामयाब नहीं हो सके और इस्तीफा देना पड़ा।
बाद में कांग्रेस और जेडी (एस) ने गठबंधन कर राज्य में सरकार बनाई लेकिन यह सरकार शुरुआत से हिचकोले खाती रही। कांग्रेस के पास 78 सदस्य थे। इसके बावजूद वह 37 सदस्यों वाली जेडी (एस) की अगुवाई में गठबंधन सरकार के लिए सहमत हुई। अटहत्तर सीटों के साथ कांग्रेस है जबकि जेडी (एस)37 सीटें जीतने में सफल हुई है।
कुमारस्वामी वाली गठबंधन सरकार शुरू से ही अंतविरोध झेलती रहीं और अंतत: इस वर्ष जुलाई में कांग्रेस और जेडी(एस) के 17 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया और जेडी (एस) की अगुवाई वाली सरकार अल्पमत में आ गई। इस वर्ष 17 जुलाई को श्री कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और इसके बाद श्री येदियुरप्पा की अगुवाई में फिर सरकार गठित हुई।
कांग्रेस और जेडी (एस) से इस्तीफा देने वाले 17 विधायकों को लेकर भी कई दिन नाटक चला और मामला उच्चतम न्यायालय तक पहुंचा। बाद में उच्चतम न्यायालय ने अयोग्य ठहराये गए विधायकों को उपचुनाव लड़ने के लिए अनुमति दी और यह उपचुनाव हुए।


