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आंध्र के मुद्दे पर भाजपा ने विश्वासघात किया: तेदेपा​​​​​​​

लुगू देशम पार्टी (तेदेपा) ने आज राज्यसभा में आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्ज़ा देने के मामले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर राज्य की जनता के साथ छल

आंध्र के मुद्दे पर भाजपा ने विश्वासघात किया: तेदेपा​​​​​​​
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नयी दिल्ली। तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) ने आज राज्यसभा में आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्ज़ा देने के मामले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर राज्य की जनता के साथ छल और विश्वासघात करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह सरकार से कोई भीख नहीं मांग रही बल्कि वह अपने अधिकार के लिए लड़ रही है।

कांग्रेस ने तेदेपा की इस मांग का समर्थन करते हुए उसे विशेष राज्य का दर्जा देने की सरकार से मांग की जबकि भाजपा ने कहा कि तेदेपा राजनीतिक दुष्प्रचार कर रही है और उसे उसकी मांगों के अनुरूप आर्थिक पैकेज दे दिया गया है, इसलिए विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की कोई जरूरत नहीं है।

सदन में आँध्र प्रदेश पुनर्गठन कानून के क्रियान्वयन पर अल्पकालिक चर्चा के दौरान इन दलों के सदस्यों ने यह बात कही। तेदेपा के वाई एस चौधरी ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि उनकी पार्टी आँध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्ज़ा देने के मामले में कोई रियायत की मांग नहीं कर रही और न कोई भीख मांग रही है बल्कि वह उन वादों को पूरा करने की मांग कर रही है जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्य की जनता के साथ किये थे। उन्होंने कहा कि श्री मोदी ने एक बार नहीं बल्कि तीन बार चुनाव के दौरान कहा था कि सत्ता में आने के बाद आन्ध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिया जायेगा और जब पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में सदन में आंध्रप्रदेश को पांच साल के लिए यह दर्ज़ा देने की बात उठी तो भाजपा ने उसे बढ़ाकर 10 साल करने की मांग की।

उन्होंने कहा कि चार साल तक तेदेपा इंतज़ार करती रही लेकिन भाजपा ने दोस्ती के नाम पर उस से छल करती रही और उसने जब विश्वासघात किया तब तेदेपा को उस से रिश्ता तोड़ना पड़ा, उन्होंने कहा कि भाजपा की कथनी और करनी में अंतर है क्योंकि वह सत्ता की राजनीति करती है तथा उसमें राजनीतिक नैतिकता बिलकुल नहीं है इसलिए उन्हें आज दुखी दिल से कहना पड़ रहा है कि मोदी सरकार ने हमारे साथ धोखा किया है।

सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने आंध्र प्रदेश के पुराने इतिहास का जिक्र करते हुए बताया कि किस तरह इस राज्य का निर्माण हुआ और उसका उचित विकास नहीं हो पाया, इसलिए हमारी पूरी सहानुभूति उसके साथ है। आन्ध्र प्रदेश एक नवजात शिशु की तरह है उसे विशेष राज्य का दर्जा मिलना ही चाहिए। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उसे पांच साल के लिए यह दर्ज़ा दिया तो उस समय इसी सदन में विपक्ष ने उसे बढाकर 10 साल करने की मांग की इसलिए अगर आज वह यह दर्ज़ा नहीं दे रही तो इसके लिए मौजूदा सरकार दोषी है, यह विशेषाधिकार हनन का मामला है।

भाजपा के नवनिर्वाचित सदस्य जी वी एल नरसिम्हा राव ने कहा कि तेदेपा राजनीतिक दुष्प्रचार के तहत इस मांग को उठा रही है क्योंकि जब मंत्रिमंडल से सोलह हज़ार करोड़ से अधिक की आंध्र प्रदेश को विशेष आर्थिक सहायता के पैकेज की घोषणा हुई थी तब तेदेपा ने एक प्रस्ताव पारित कर कहा था कि वह राशि पर्याप्त है लेकिन इस वर्ष तेदेपा ने अपना रवैया बदल दिया और अब विशेष राज्य के दर्जे की मांग करने लगी जो उचित नही है। श्री राव के इस बयान पर तेदेपा के सदस्यों ने कई बार आपत्ति भी की।


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