राजस्थान विधानसभा में पौधारोपण के फर्जी आंकडों पर भाजपा ने ही सरकार को घेरा
राजस्थान विधानसभा में वन विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार और पौधारोपण के फर्जी आंकडे पेश करने पर भाजपा के सदस्यों ने ही सरकार को जमकर घेरा

जयपुर। राजस्थान विधानसभा में वन विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार और पौधारोपण के फर्जी आंकडे पेश करने पर भाजपा के सदस्यों ने ही सरकार को जमकर घेरा।
विधानसभा में प्रश्नकाल में भाजपा की विधायक अलका सिंह ने दौसा जिले में वन विभाग द्वारा पौधारोपण के आंकडों को गलत बताते हुये कहा कि क्षेत्र में आधे से ज्यादा क्षेत्र में रोपे गये पोैधे जीवित नहीं है और क्षेत्र में रोपित किये गये पौधों में से 20 से 30 प्रतिशत ही जीवित बचे हुये है।
वनमंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने कहा कि वन विभाग द्वारा वर्ष 2014 से 2018 तक 3650 हैक्टर क्षेत्र में पौधारोपण किया गया । इन पर 474 लाख रूपये खर्च कर कूल 11 लाख 38 हजार पौधे लगाये गये ।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा वन विभाग की ओर से गत चार सालों में लगाये गये पौधों का सत्यापन भी कराया गया है । जिनमें से 5 से 80 प्रतिशत और कई स्थानों पर 90 प्रतिशत तक पौधे जीवित पाये गये है। उन्होंने स्वीकार किया कि कई बार मानसून की स्थिति भी पौधे के जीवित रहने में परेशानी खडी करती है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा पशुधन के कारण भी वन क्षेत्रों को नुकसान पहुंचता है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में पौधरोपण के लिये नाबार्ड , जायका और कैम्पा की तीन योजनाएं संचालित की जा रही है। इसके तहत कैम्पा योजना के तहत वन क्षेत्रों में दीवार बनाने एवं अन्य कार्य किये जाते है, जबकि जापान के सहयोग से चलायी जा रही जायका और नाबार्ड के तहत पौधारोपण किया जाता है।
भाजपा की अलका सिंह ने वन अधिकारियों द्वारा सत्यापन के झूठे आंकडे पेश करने की चर्चा करते हुये कहा कि इसके सत्यापन के लिये फूल प्रुफ तकनीक विकसित की जाय ।
उन्होंने कहा कि कई बार वन अधिकारी सत्य को छुपाने के लिये वनों में आग लगा देते है।
खींवसर ने कहा कि वन विभाग में रिक्त पदों को भरने के लिये इस वर्ष 2500 नयी नियुक्तियां की जायेगी । भाजपा के फूल सिंह मीणा ने भी पौधारोपण के सत्यापन के लिये जीओ ट्रेकिंग की व्यवस्था की मांग की।


