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रांची में नए मेडिकल कॉलेज के लिए जमीन अधिग्रहण के मुद्दे पर भाजपा और झामुमो आमने-सामने

रांची में मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल (रिम्स-2) के निर्माण के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी और झारखंड मुक्ति मोर्चा आमने-सामने आ गई हैं

रांची में नए मेडिकल कॉलेज के लिए जमीन अधिग्रहण के मुद्दे पर भाजपा और झामुमो आमने-सामने
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रांची। रांची में मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल (रिम्स-2) के निर्माण के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी और झारखंड मुक्ति मोर्चा आमने-सामने आ गई हैं। झारखंड प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने इस परियोजना का यह कहते हुए विरोध किया कि इसके लिए सरकार स्थानीय आदिवासी रैयतों की खेती वाली उपजाऊ जमीन जबरन अधिग्रहीत कर रही है।

दूसरी ओर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने कहा कि आज आदिवासी हितैषी बनने की कोशिश कर रहे नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में आदिवासी आंदोलनकारियों पर कई बार गोलियां चलवाई थीं। राज्य की सरकार ने रांची में एक और मेडिकल कॉलेज रिम्स-2 बनाने के लिए नगड़ी प्रखंड में भू-खंड चिन्हित किया है। इसका प्रस्ताव राज्य कैबिनेट ने भी पास किया है। पिछले महीने जमीन की मापी की प्रक्रिया भी शुरू की गई थी। नगड़ी के स्थानीय आदिवासी और रैयत इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि मेडिकल कॉलेज के लिए वे अपनी खेती की जमीन नहीं देंगे। हालांकि रांची जिला प्रशासन का कहना है कि जो जमीन चिन्हित की गई है, वह रैयतों की नहीं है।

झारखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने शनिवार को नगड़ी पहुंचकर रैयतों के विरोध का समर्थन किया था। मरांडी ने कहा कि इस भूमि पर हजारों गरीब आदिवासी परिवार वर्षों से खेती कर अपने जीवन का निर्वाह कर रहे हैं। सरकार को चाहिए कि वह कहीं अन्य स्थान पर उपलब्ध गैर-कृषि भूमि का चयन कर रिम्स के नए परिसर का निर्माण करे।

उन्होंने आरोप लगाया कि हेमंत सरकार की नज़र लगातार झारखंड के गरीब आदिवासियों की जमीन पर बनी हुई है। मरांडी ने सोशल मीडिया पर लिखा, "मैं सभी ग्रामीणों को आश्वस्त करता हूं कि गैरकानूनी ढंग से उनकी एक इंच जमीन भी हड़पने नहीं दी जाएगी। किसी भी गरीब परिवार को उजड़ने नहीं दिया जाएगा। भारतीय जनता पार्टी पूरी दृढ़ता और मजबूती के साथ झारखंड के गरीब आदिवासी परिवारों के साथ खड़ी है।"

मरांडी के इस स्टैंड पर रविवार को झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने पलटवार किया है। उन्होंने पार्टी के कैंप कार्यालय में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि बाबूलाल मरांडी खास एजेंडे के तहत रिम्स-2 का विरोध कर रहे हैं। वह सुनील साहू नाम के अपने एक खास आदमी का स्वार्थ साधना चाहते हैं और इसके लिए खुद को आदिवासी हितैषी बताने का छलावा कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि प्रथम मुख्यमंत्री रहते बाबूलाल मरांडी ने अपने कार्यकाल में कोयलकारो परियोजना और नेतरहाट के फील्ड फायरिंग रेंज के विरोध में उतरे आदिवासियों पर गोलियां चलवाई थीं। आदिवासियों की जिंदगी और अस्मिता से खिलवाड़ के लिए बाबूलाल मरांडी को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए।

झामुमो नेता ने कहा कि बाबूलाल के कार्यकाल और उसके बाद भाजपा के शासन काल में वर्ष 2003 से वर्ष 2006 तक 104 उद्योगों की स्थापना के लिए हुए थे। तब किसकी जमीन ली जानी थी, बाबूलाल मरांडी इस बात का जवाब दें। सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि भारत सरकार ने राज्य के आदिवासी-मूलवासियों की जितनी जमीन अधिग्रहण की है और उपयोग नहीं कर रही है, उसे बाबूलाल मरांडी भारत सरकार से आग्रह करा कर वापस कराएं।


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