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एमपी में सत्ता बचाना, छत्तीसगढ़-राजस्थान में वापसी करना और तेलंगाना में चमत्कारिक नतीजे लाना है भाजपा का लक्ष्य

चुनाव आयोग ने सोमवार को दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर देश के पांच राज्यों - मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम - में विधान सभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है

एमपी में सत्ता बचाना, छत्तीसगढ़-राजस्थान में वापसी करना और तेलंगाना में चमत्कारिक नतीजे लाना है भाजपा का लक्ष्य
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नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने सोमवार को दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर देश के पांच राज्यों - मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम - में विधान सभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। चुनाव की तारीखों की घोषणा के तुरंत बाद भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने यह दावा किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा भारी बहुमत से सभी राज्यों में सरकार बनाएगी।

दरअसल, कैडर और विचारधारा आधारित पार्टी होने के बावजूद भाजपा के पास तीन राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में क्रमशः शिवराज सिंह चौहान (वर्तमान सीएम), वसुंधरा राजे सिंधिया (पूर्व सीएम) और रमन सिंह (पूर्व सीएम) के रूप में तीन बड़े चेहरे हैं। लेकिन, पार्टी इस बार तीनों राज्यों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ रही है।

यहां तक कि दक्षिण भारत के राज्य तेलंगाना में सरकार बनाने का दावा करने वाली भाजपा ने जी. किशन रेड्डी और बी. संजय कुमार जैसे बड़े नेता होने के बावजूद राज्य में प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ने का फैसला किया है।

दरअसल, पांच राज्यों में होने वाले विधान सभा चुनाव भाजपा के लिए काफी अहम माने जा रहे हैं क्योंकि 3 दिसंबर को आने वाले चुनावी नतीजों के कुछ महीने बाद ही देश में लोक सभा का चुनाव होना है और इस जीत का मनोवैज्ञानिक असर पड़ना तय माना जा रहा है।

तीन बड़े राज्यों - मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ - में भाजपा का सीधा मुकाबला कांग्रेस से होना है इसलिए भाजपा हर कीमत पर मध्य प्रदेश में न केवल अपनी सरकार की वापसी को सुनिश्चित करना चाहती है बल्कि गांधी परिवार के करीबी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को हरा कर भी दोनों राज्यों की सत्ता में वापसी करना चाहती है।

वहीं, भाजपा के लिए कर्नाटक की हार के बाद तेलंगाना में शानदार प्रदर्शन करना दक्षिण भारत की राजनीति के लिहाज से काफी अहम हो गया है।


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