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चौथे चरण के मतदान के बाद की भाजपा

लोकसभा चुनाव के सोमवार को हुए चौथे चरण के मतदान के बाद एक बार फिर से यह जांचने-परखने की कवायद तेज़ हो गई है कि तीसरी बार सरकार बनाने के लिये जी-तोड़ मेहनत कर रही भारतीय जनता पार्टी कहां खड़ी है

चौथे चरण के मतदान के बाद की भाजपा
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लोकसभा चुनाव के सोमवार को हुए चौथे चरण के मतदान के बाद एक बार फिर से यह जांचने-परखने की कवायद तेज़ हो गई है कि तीसरी बार सरकार बनाने के लिये जी-तोड़ मेहनत कर रही भारतीय जनता पार्टी कहां खड़ी है। जिस प्रकार से 19 व 26 अप्रैल तथा 7 मई को क्रमश: पहले, दूसरे एवं तीसरे चरण के हुए मतदान में वह पिछड़ती हुई नज़र आई थी, क्या वह फिसलन चौथे चक्र में भी बरकरार रही या फिर वह मुकाबले में लौट रही है? शाम को जब मतदान थमा और चुनावी विश्लेषक दिन भर का लेखा-जोखा लेकर बैठे तो उनका यह मानना है कि भाजपा वहीं खड़ी है जहां वह तीसरे चरण के बाद खड़ी थी। पूरे भारत में बढ़ती गर्मी को पहले भी कम वोटिंग प्रतिशत का कारण बतलाया गया था, इस बार तो वह था ही लेकिन और भी कई ऐसे कारण बने जिन्होंने भाजपा के उत्साह को घटाया है।

सोमवार को 96 सीटों पर मतदान हुआ, जिसके साथ 379 सीटों पर चुनाव निपट गये हैं। माना जा रहा है कि अब तक भाजपा बड़ा नुकसान उठा चुकी है। कुछ राज्यों में तो चुनाव पूरे भी हो चुके हैं। इसके बाद बची 164 सीटों के लिये शेष तीन चरणों में मतदान होगा। क्या इस दौरान हुए नुकसान की भरपाई वह बची सीटों के जरिये पूरा कर सकेगी? कोई भी इसका जवाब 'हां' में नहीं दे रहा है। खुद भाजपा वाले भी ऐसा होता नहीं देख रहे हैं।

चौथे चरण के मतदान के दौरान जो कई क्षेत्रों में जो कुछ हुआ, उससे साफ है कि भाजपा को अपनी खस्ता हालत का पता चल गया है। एक मतदान केन्द्र में पीठासीन अधिकारी अपने उत्साह में भरकर 'मोदी मोदी' के नारे लगाने लगी। हॉट सीट कन्नौज में, जहां समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव चुनाव लड़ रहे हैं, भाजपा के लोगों ने उनकी पार्टी के लोगों पर हमला कर दिया। फर्रुखाबाद में फायरिंग हो गई तो कानपुर व औरैया में भी तनातनी रही। मतदान सम्बन्धी 150 से ज्यादा शिकायतें मिलीं। महाराष्ट्र के बारामती ईवीएम कक्ष में काफी देर तक सीसीटीवी कैमरा बन्द रहा क्योंकि बिजली गुल हो गई। हैदराबाद में भाजपा उम्मीदवार माधवी लता मुस्लिम उम्मीदवारों के बुर्के उठाकर उनकी शिनाख्त करती मिलीं जिससे विवाद हो गया। ये सारी गड़बड़ियां बता रही हैं कि भाजपा को इस बात का एहसास हो गया है कि इंडिया गठबन्धन के सामने वह लगातार पिछड़ रही है।

एक ओर मतदान जारी था तो वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को वाराणसी में एक भव्य रोड शो करना पड़ा। मंगलवार को उन्हें अपने नामांकन का परचा जो भरना था। (जो उन्होंने कर दिया)। इस रोड शो को करीब ढाई किलोमीटर की दूरी तय करने में पांच घंटों से भी ज्यादा समय लगा। एक रोज पहले उन्होंने बिहार की राजधानी पटना में जो रोड शो किया था, उसे लेकर अलग तरह की चर्चाएं रहीं। पूर्व केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद यहां से भाजपा के उम्मीदवार हैं। जिस रथ पर मोदी सवार होकर रोड शो कर रहे थे, उस पर प्रसाद के अलावा प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी भी सवार थे। 17 माह तक राष्ट्रीय जनता दल के साथ बिहार की सरकार चलाने वाले नीतीश बाबू की स्थिति तब विचित्र हो गई जब मोदी ने भाजपा का चुनाव चिन्ह (कमल) नीतीश को पकड़ा दिया। यह बतलाता है कि मोदी किस प्रकार से एक-एक सीट के लिये संघर्षरत हैं और अपना चुनाव चिन्ह दूसरी पार्टी के प्रमुख को सौंपने से भी गुरेज़ नहीं कर रहे। इसके पहले बिहार के ही मुजफ्फरपुर में हुई सभा में मोदी फिर अपने प्रचार में पाकिस्तान को लेकर आ गये। उन्होंने कहा कि 'इंडिया को सपने में भी पाकिस्तान का परमाणु बम दिखता है।' उसके नेता कहते हैं कि पाकिस्तान ने चूड़ियां नहीं पहनी हैं।' बकौल मोदी, 'अगर उसने चूड़ियां नहीं पहनी है तो वे (मोदी) पहना देंगे।' साफ है कि जैसे ही मोदी व भाजपा को अपनी हालत में कोई कमजोरी महसूस होती है तो देश के भीतर मुसलमान व बाहर पाकिस्तान उसे याद आता है।

इंडिया गठबन्धन की बढ़ती मजबूती भाजपा की परेशानी का बड़ा सबब है। उत्तर प्रदेश उसका सबसे मजबूत किला रहा है। तीसरे चरण के ठीक पहले रायबरेली से राहुल गांधी ने नामांकन दाखिल किया जिसका असर पूरे उप्र में पड़ता दिख रहा है। यहां उनकी सभाओं के अलावा प्रियंका गांधी की सभाएं भी जबरदस्त भीड़ बटोर रही हैं। इतना ही नहीं, अखिलेश के साथ राहुल के रोड शो व सभाओं को भी लोगों का जोरदार प्रतिसाद मिल रहा है। पहले धारणा थी कि यहां कांग्रेस-सपा के संयुक्त प्रतिरोध के बावजूद भाजपा सम्मानजनक संख्या में सीटें जीत लेगी लेकिन अब कहा जा रहा है कि यूपी में भाजपा को वैसी सफलता नहीं मिलने जा रही जिसका दावा हो रहा था।
इस बीच एक और जो महत्वपूर्ण बात हुई है वह यह कि अब लोग मोदी के विकल्प की चर्चा करने लगे हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसी बीच कह दिया कि मोदी डेढ़ साल के बाद 75 साल के होकर रिटायर हो जायेंगे। वे वोट अमित शाह के लिये मांग रहे हैं। शाह को जवाब देना पड़ा कि उनकी पार्टी के संविधान में ऐसा नियम नहीं है। जो हो, केजरीवाल ने मुद्दा तो छेड़ ही दिया है। यह मोदी के साथ पूरी पार्टी को कमजोर करता है और इसी कमजोरी के साथ भाजपा ने चौथा चरण लड़ा है। आगे भी उसे ऐसे ही लड़ना है।


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