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नववर्ष पर अपनों का इंतजार करते रहे बुजुर्ग

बिलासपुर ! नव वर्ष की सुबह जब लोग मंदिरों में परिवार की खुशहाली की कामना कर रहे थे वहीं वृद्धा आश्रम में एकाकी जीवन व्यतीत कर रहे बुजुर्ग अपने परिवार के सदस्यों का इंतजार करते रहे।

नववर्ष पर अपनों का इंतजार करते रहे बुजुर्ग
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अपनी-अपनी पीड़ा हर किसी की
अपनों का साथ न मिलने से निराश

बिलासपुर ! नव वर्ष की सुबह जब लोग मंदिरों में परिवार की खुशहाली की कामना कर रहे थे वहीं वृद्धा आश्रम में एकाकी जीवन व्यतीत कर रहे बुजुर्ग अपने परिवार के सदस्यों का इंतजार करते रहे। शहर के महिला थाना के समीप वृद्धा आश्रम में रहने वाले बुजुर्ग नववर्ष की सुबह से अपने रिश्तेदारों की राह देखते रहे लेकिन उनसे मिलने के लिए परिवार का कोई सदस्य नहीं पहुंचा आश्रम में जीवन व्यतीत करने वाले 65 वर्षीय एडविन फांक ने बताया कि औद्योगिक परिक्षेत्र सिरगिट्टी में फैक्ट्री चलाते थेा। घाटा होने के बाद उन्होंने बैंक में लोन के आवेदन दिया था लेकिन उनका लोन पास नहीं हुआ और उनकी फैक्ट्री बंद हो गई।
श्री फांक बताते हैं कि उनके बच्चे उन्हें छोडक़र अलग अलग रहने लगे उसके बाद वे वृद्धा आश्रम में रहने लगे। उनका कहना था कि वे नव वर्ष की सुबह से वह अपने बच्चों का इंतजार कर रहे लेकिन वे उनसे मिलने नहीं पहुंचे। वृद्ध एडविन ने यह भी बताया कि बेटों से ज्यादा बेटियां माता-पिता का ख्याल रखती हैं। बीच-बीच में उनकी बेटियां मिलने के लिए आश्रम आ जाती हैं लेकिन बेटे नहीं आते। आश्रम में निवास कर रहे वृद्ध गोरेलाल दुबे ने बताया कि वे पहले सिविल कोर्ट में काम करते थे। 1994 में सेवानिवृत्त होने के कुछ दिन बाद पत्नी का भी देहांत हो गया। बूढ़ी आंखों में आंसू लिए गोरेलाल ने बताया कि उनके पुत्र भी इस दुनियों में नहीं रहे। पत्नी की मौत के बाद वह बिल्कुल अकेले पड़ गए। किसी रिश्तेदार ने उनका साथ नहीं दिया। उसके बाद वह आश्रम में आकर रहने लगे। वहीं वृद्ध हनुमान प्रसाद द्विवेदी ने बताया कि उनका बेटा हिर्री में रहता है। वह रीवां से यह सोचकर आए थे कि उनका पुत्र उन्हें सहारा देगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बेटे के परिवार से अनबन हो गई और उसके बाद से वे आश्राम में रहकर अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं।


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