सुराज अभियान की समीक्षा बैठक में अफसरों पर भडक़े मंत्री चंद्राकर
बिलासपुर ! सुराज अभियान की महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक में आज जिले के प्रभारी मंत्री अजय चंद्राकर जिले के अफसरा पर जमकर भडक़े।

हाथी से जनधन की कितनी क्षति.. नवाजतन और अमृत योजना का जवाब नहीं दे पाए अफसर
बिलासपुर ! सुराज अभियान की महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक में आज जिले के प्रभारी मंत्री अजय चंद्राकर जिले के अफसरा पर जमकर भडक़े। नगर निगम आयुक्त सौमिल रंजन चौबे से मंत्री चंद्राकर ने प्रधानमंत्री आवास योजना की जानकारी ली और पूछा कि शहर में कौन-कौन से प्रोजेक्ट चल रहे हैं। पीएम आवास योजना में कितने मकान बनाओगे और कब तक कार्य पूर्ण होगा। सौमिल रंजन चौबे ने बताया कि शहर में पीएम आवास योजना के तहत पहले चरण में 2088 मकान बनाने की योजना है जिसमें से 18 माह के भीतर 1488 मकान निगम बना लेंगे। कुछ जगहों में बेजा कब्जा की वजह से आवास बनाने में देरी हो रही है। 15 अप्रैल तक चर्चा कर बेजा-कब्जा हटा लिया जाएगा।
आयुक्त की बात सुनते ही मंत्री अजय चंद्राकर भडक़ उठे और कहने लगे क्या बेजा कब्जा हटाने के लिए भी उनसे पूछोगे फिर निर्माण कार्य के टेंडर के लिए बेजा कब्जाधारियों से पूछोगे, तब बेजा कब्जा हटाओगे, फिर कहोगे बारिश आ गई फिर सितम्बर माह आ जाएगा ठंड शुरु हो जाएगी फिर नवम्बर माह आ जाएगा और चुनाव का समय आ गया। गुस्से में मंत्री ने आयुक्त से कहा मकानों के टेंडर कब तक करोगे आयुक्त ने कहा तीन तीन दिन के भीतर तब फिर मंत्री ने पूछा 1488 मकान कब तक बन जाएंगे आयुक्त ने जवाब दिया सितम्बर माह तक मकान बनकर तैयार हो जाएंगे। आज नगर निगम की हालात को लेकर भी समीक्षा बैठक में चर्चा हुई। मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह के दौरा के पहले प्रभारी मंत्री ने अफसरों से कहा कि गांव-गांव में शासन की योजनाएं पहुंचाने के लिए आप लोग मौके पर पहुंचे। बहुत सी चीजें बिना कागज के करना होता है। लक्ष्य कितना है पूरा करो आज समीक्षा बैठक में बिल्हा पर चर्चा नहीं हुई लेकिन कोटा ब्लाक अफसर को मंत्री ने जमकर फटकार लगाई।
मंथन सभाकक्ष में समीक्षा बैठक में निगम आयुक्त सौमिल रंजन चौबे से मंत्री ने पूछा यहां शौचालय की क्या स्थिति है। तब आयुक्त ने बताया कि शहर में 3300 घरों में शौचालय बनना है। हितग्राही को 19000 रूपए दिए गए हैं। वर्तमान में 600 घरों में शौचालय का काम पूर्ण हो गया है तब मंत्री ने कहा मैं शहर में शौचालय देखने जाऊंगा। गड़बड़ी नहीं मिलना चाहिए। उन्होंने लोकसेवा केन्द्र की भी जानकारी ली। बैठक में संभागायुक्त निहारिका बारिक सिंह, कलेक्टर अन्बलगन पी, जिला पंचायत सीईओ जेपी मौर्य के अलावा सभी विभागों के अफसर मौजूद थे। तीन घंटे तक चली मैराथन बैठक में प्रभारी मंत्री ने महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी विस्फोट्टा से पूछा कि नवाजतन, महतारी जतन और अमृत योजना क्या है। मंत्री के सवालों का जवाब उल्टा-पुल्टा दे रहे इस अवसर को मंत्री ने जमकर फटकार लगाई और पूछा कि तुम्हे कितने बच्चों का टारगेट मिला है। अफसर ने कहा 4800 बच्चों का टारगेट मिला है। मार्च माह तक पूरा करना है मंत्री ने पूछा अब कौन सा माह चल रहा है अफसर जवाब नहीं दे पाए तब मंत्री ने कलेक्टर से कहा-मीनिट बुक में लिखो ये गलत जानकारी दे रहे हैं। जतन में कितन पंचायत शामिल हैं जवाब नहीं दे पा रहे हैं तत्काल कार्रवाई करो। हाथी के प्रकरण तथरा जनधन की क्षति की जानकारी को लेकर वनविभाग के अफसर की बोलती बंद हो गई। मरवाही के डीएफओ बैठक में नहीं पहुंचे। सामाजिक वानिकी के अफसर को भेज दिया जो मंत्री के सवालों का जवाब नहीं दे पाए।
वहीं बैठक शुरू होते ही कोटा एसडीएम को मंत्री ने तलब किया कोटा के दूसरे अफसर फाईल लेकर मंत्री के सामने खड़े हो गए तो अजय चंद्राकर नाराज हो गए और कहा कि एसडीएम को बुलाओ बैठक में। सुराज अभियान की समीक्षा बैठक में मंत्री अजय चंद्राकर ने आज जिले के अफसरों को खरी-खोटी सुनाई। श्रम आयुक्त अनिता गुप्ता ने मंत्रीने पूछा कितने संगठित व असंगठित मजदूरों को योजना का लाभ मिला है कितने खाते खुले आधार से जुड़े आदि सवाल पूछे। तब अनीता गुप्ता ने हड़बड़ी में मंत्री को बतायाकि संगठित मजदूरों के 64 हजार का पंजीयन किया गया है। असंगठित मजदूरों के 1 लाख 74 हजार का पंजीयन किया गया है जिसमें से केवल 10 प्रतिशत मजदूरों का ही ऑनलाईन पंजीयन बाकी है।
मंत्री ने पूछा कितने खाते आधार से जुड़े, कितने श्रमिकों के बच्चे को छात्रवृत्ति मिली। तब अनिता गुप्ता ने बताया कि अब तक जिले में 8472 बच्चों को छात्रवृत्ति एवं 32 हजार श्रमिकों को आधार व खाता से जोड़ा गया। आज वन विभाग, राजस्व विभाग, जल संकट एवं शिक्षा विभाग को लेकर मंत्री ने पूरी जानकारी ली और कहा कि मुख्यमंत्री यहां आने वाले हैं। पूरी तैयारी रखे सवालों का सही जवाब दें। योजनाओंं की समीक्षा करें और गांव-गांव में जाकर मौके पर देखें।
स्वास्थ्य मंत्री को काला कपड़ा दिखाने के पहले युकां कार्यकर्ता गिरफ्तार
जिले में बदहाल स्वास्थ्य सेवा भ्रष्टाचार व गड़बड़ी तथा मासूम की मौत के मामले में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर को काला कपड़ा दिखाने जा रहे युकां नेताओं को पुलिस ने नेहरु चौक में ही हिरासत में ले लिया। युकां नेता मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। कांग्रेस भवन से युकां कार्यकर्ता रैली की शक्ल में कलेक्टेट जा रहे थे और स्वास्थ्य मंत्री को काला कपड़ा दिखाने की तैयारी में थी लेकिन पुलिस अधिकारी प्रशांत कतलम व लखन पटले दलबल के साथ नेहरु चौक पहुंचे और मंत्री का काफिला गुजरने के बाद युकां नेता जावेद मेमन, गोपाल दुबे, अमित दुबे, शेरु असलम, विनय वैद्य, आशीष गोयल समेत 27 पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया। युकां नेता सिम्स प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। युकां नेताओं को कोनी थाना ले जाया गया है। कुछ देर के लिए यहां विवाद की स्थिति बन गई। युकां नेता काला शर्ट पहनकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे लेकिन स्वास्थ्य मंत्री को युकांई काला कपड़ा नहीं दिखा पाए। जब कलेक्टे्रट में मंत्री अजय चंद्राकर बैठक ले रहे थे तो युकांई कलेक्ट्रेट जा रहे थे जिन्हें पुलिस ने नेहरु चौक पर रोक लिया।
युकां नेता जावेद मेमन का कहना है कि प्रदेश में लचर स्वास्थ्य सेवा के कारण अनेक मरीजों की इलाज के अभाव में मौत हो रही है। सिम्स में चिकित्सकों की लापरवाही से एक मासूम बच्ची को दूसरे ग्रुप का ब्लड चढ़ा दिया गया और उसकी मौत हो गई। मृतक के परिजनों को भी सिम्स प्रबंधन में परेशानी का सामना रकना पड़ रहा है। मच्र्यूरी में पोस्टमार्टम के नाम पर अवैध रुप से वसूली की जा रही है। स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर के खिलाफ आक्रोश जताते हुए युकां नेता जावेद मेमन ने कहा कि सिम्स व जिला अस्पताल में पीएम रिपोर्ट में छेडख़ानी की जाती है। मरीजों को सिम्स में सिर्फ प्राथमिक उपचार किया जाता है। यहां के चिकित्सक गरीब मरीजों को भी सिम्स से अपोलो रिफर कर देते हैं। किडनी, मस्तिष्क तथा युरोलॉजी व हार्ट के वरिष्ठ चिकित्सक सिम्स में मौजूद नहीं हैं। शिशु विभाग में भी लापरवाही के चलते कई मासूमों की मौत हो गई। स्वास्थ्य विभाग ने आज तक कोई कार्रवाई नहीं की। युकां नेता अमित दुबे, गोपाल, विनय वैद्य, आशीष गोयल, भास्कर, शेरु असलम आदि का कहना है कि जिले में स्वास्थ्य केन्द्रों में चिकित्सक नहीं रहते। नर्स व कंपाउंडर के भरोसे गांव में अस्पताल चल रहे हैं। इधर झोलाछाप डाक्टरों के अस्पताल बंद कर देने से गांव में अब इलाज की सुविधा नहीं मिल रही है। रात को गांव के अस्पताल में गंभीर मरीजों को भटकना पड़ता है।


