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जंगलों में पानी नहीं, भटकने लगे वन्यप्राणी

बिलासपुर ! भीषण गर्मी व तेज धूप में जंगल के भीतर पानी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के कारण वन्यप्राणी जंगल के बाहर प्यास बुझाने निकल रहे हैं और शिकार या दुर्घटना में अपनी जान गंवा रहे हैं।

जंगलों में पानी नहीं, भटकने लगे वन्यप्राणी
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जंगलों में स्टापडेम, तालाबों के लिए 2 साल से वनविभाग से कोई प्रस्ताव नहीं
तालाबों, डबरियों में पानी नहीं

बिलासपुर ! भीषण गर्मी व तेज धूप में जंगल के भीतर पानी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के कारण वन्यप्राणी जंगल के बाहर प्यास बुझाने निकल रहे हैं और शिकार या दुर्घटना में अपनी जान गंवा रहे हैं। मनरेगा के तहत पिछले दो वर्षों में जंगल के भीतर एक भी तालाब, स्टापडेम व डबरी के लिए वन विभाग ने प्रस्ताव नहीं भेजा है और अधिकारियों का दावा है कि जंगल के भीतर पानी की कोई कमी नहीं है। हालांकि सरंक्षित क्षेत्रों में थोड़ बहुत पानी की व्यवस्था की जाती है लेकिन वह भी पर्याप्त नहीं है। वनक्षेत्र में स्थित ज्यादातर तालाबों में पानी बहुत ही कम है लेकिन कोरी व खूंटाघाट डेम के भरोसे काम चलाने की कोशिश में वनविभाग लगा है।
तेज धूप व भीषण गर्मी ने जंगली जानवरों को भोजन पानी की तलाश में जंगल े से बाहर आने विवश कर दिया है और वन्यप्राणी जान जोखिम में डालकर प्यास बुझाने जंगल के बाहर आ रहे हैं। एक्सीडेंट या फिर शिकार में अपनी जान गंवा रहे हैं। जंगल के भीतर पर्याप्त पानी नहीं होने के कारण शिकारी भी मौके का फायदा उठा रहे हैं और जंगल किनारे लगे तालाबों में रात होते ही शिकार के लिए जा रहे हैं।
पानी की जांच नहीं होती
जंगलों के भीतर स्थित तालाबों, स्टापडेम व अन्य वन्यप्राणी के पानी पीने का स्थान जहां जल भराव है की जांच की जानी चाहिए लेकिन वन विभाग की उदासीनता के कारण ऐसा नहीं हो पाता है और कभी भी अप्रिय घटना घटने की संभावना होती है। कुछ वर्ष पहले ही शिवतराई स्थित तालाब का पानी पीकर दर्जनों बंदर मर गए थे, उसके बाद भी वन विभाग द्वारा जंगल के भीतर तालाब पोखरों में स्थित जल की जांच नहीं होती है।
काफी राशि
संरक्षित वन क्षेत्र को छोडक़र अन्य क्षेत्रों में गर्मी के दिनों में वन्यप्राणियों के लिए पानी की व्यवस्था के लिए शासन द्वारा नाममात्र का फंड दिया जाता है इसलिए पानी की उचित व्यवस्था नहीं की जाती है। वहीं जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि तालाब पोखरों से काम चल जाता है फायर सीजन में वन्यप्राणियों को जंगल के भीतर ही भोजन पानी उपलब्ध कराना वन विभाग के लिए किसी चुनौती से कम नहीं।
वन्यप्राणी बाहुल्य क्षेत्रों में व्यवस्था

ज्यादातर वन्यप्राणी बाहुल्य क्षेत्रों में गर्मी के दिनों में पानी का व्यवस्था की जाती है जिन क्षेत्रों में वन्यप्राणियों का कम आना जाना होता है वहां तालाबों से काम चल जाता है। अधिकांश वन्यप्राणी कोरी व खूटाघाट डेम पापी पीने आते हैं।
एस के पैकरा
डीएफओ,वन मण्डल, बिलासपुर
जंगलों में पानी की कमी नहीं
वन ग्राम क्षेत्रों में तालाब, स्टापडेम पोखरों में पानी होता है जिससे वन्यप्राणी पानी पीते हैं। साथ ही वन विभाग द्वारा गर्मी के दिनों में पानी की व्यवस्था पर लगातार निगरानी रखी जाती है जंगलों में पानी की कोई कमी नहीं है।
डीएन त्रिपाठी
एसडीओ कोटा रेंज
प्रस्ताव नहीं आया
वर्ष 2015-16 से इस वित्तीय वर्ष तक वन विभाग द्वारा जंगलों के भीतर तालाब, डबरी व स्टापडेम निर्माण के लिए कोई प्रस्ताव नहीं भेजा गया है। प्रस्ताव भेजेंगे तो स्वीकृत किया जाएगा।
प्रमिल लठारे
समन्वयक शिकायत निवारण,मनरेगा


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