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डाक्टरों से मारपीट करने तोडफ़ोड़ पर होगी जेल

बिलासपुर ! चिकित्सा के दौरान मरीजों की मौत होने से या विपरीत परिस्थितियों के मामलों में डाक्टरों पर मरीजों के परिजनों का गुस्सा उन्हे सलाखों के पीछे पहुंचा सकता है।

डाक्टरों से मारपीट करने तोडफ़ोड़ पर होगी जेल
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बिलासपुर ! चिकित्सा के दौरान मरीजों की मौत होने से या विपरीत परिस्थितियों के मामलों में डाक्टरों पर मरीजों के परिजनों का गुस्सा उन्हे सलाखों के पीछे पहुंचा सकता है। राज्य सरकार ने डाक्टरों और अस्पतालों पर होने वाले हिंसा की वारदातों को रोकने के लिए छत्तीसगढ़ चिकित्सा सेवक तथा चिकित्सा सेवा संस्थान हिंसा तथा संपत्ति की क्षति या हानि की रोकथाम विधेयक 2016 प्रस्तुत किया है। इस संशोधन में डाक्टर्स के सााि मारपीट व असपताल में 1000 रूपए से अधिक का तोडफ़ोड़ होने पर तीन वर्ष की कैद और जुर्माने का प्रावधान होगा।
विधानसभा में सत्तापक्ष के साथ ही विपक्ष के सदस्यों ने भी संशोधन विधेयक का साथ देकर इसे सर्वसम्मति से पारित किया है। स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर ने संशोधन विधेयक को विधानसभा के पटल पर रखते हुए कहा कि धरती में डाक्टरों की तुलना ईश्वर से की जाती है। कई बार ऐसी परिस्थितियां निर्मित होती है कि उन्हें हिंसा का सामना करना पड़ता है। इससे प्रदेश के डक्टर्स चिंतित हैं। यही वजह है कि राज्य सरकार ऐसे अपराधों को रोकने के लिए विधेयक में संशोधन कर रही है। इसके बाद 100 रूपये से अधिक का नुकसान होने पर तीन वर्ष की कैद और जुर्माने का प्रावधान होगा। ऐसे प्रकरण जमानती के स्थान पर गैर जमानती माने जाएंगे। इससे डाक्टरों या चिकित्सा संस्थाओं के खिलाफ होने वाली हिंसात्मक वारदातों पर लगाम लगेगी। इस फैसले से विधानसभा में संशोधन एक्ट लाया गया है। जिसे लेकर डाक्टरों में खुशी है। आईएमए व अन्य चिकित्सकीय संगठनों ने अस्पतालों में होने वाले विवाद और मारपीट की घटनाओं पर चिंता जताई थी वहीं मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री तथा सचिव से भी इन घटनाओं से चिकित्सा सेवा में इसका असर पडऩे की जानकारी दी थी। साथ ही असुरक्षित होने की बात कही थी। इस फैसले से स्वास्थ्य विभाग में हर्ष व्याप्त है।
ज्ञात हो कि शासकीय अस्पतालों व प्राइवेट हास्पिटलों में इलाज के दौरान मरीजों की मौत व विपरीत स्थितियों के हो जाने से मरीज के परिजनों द्वारा जमकर हंगामा किया जाता है। वहीं अस्पतालों में मौजूद डाक्टरों पर मारपीट तथा तोडफ़ोड़ जैसी घटनाएं की जाती है जिससे चिकित्सक व अस्पताल प्रबंधन की सुरक्षा भगवान भरोसे रहती है। मरीज के मौत की जिम्मेदारी डाक्टर्स व प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए परिजन व कुछ संगठनों व छुटमुये नेताओं द्वारा अक्सर हंगामा किया जाता है जिससे अस्पताल में भर्ती अन्य मरीजों पर भी इसका गलत असर पड़ता है।
आए दिन होता है हंगामा
शहर के सिम्स,जिला अस्पताल व अन्य निजी अस्पतालों में इलाज के दौरान मरीज की मौत हो जाने से या अन्य स्थिति में गंभीर बीमारी हो जाने से मरीजों के परिजनों द्वारा अक्सर हंगामा मचाया जाता है जिससे मरीज व उपचार कर रहे डाक्टर व अन्य स्टाफ के जान पर बन आती है। इस हो हंगामे के बीच कई बार कुछ असामाजिक तत्व व कुछ नेतागिरी करने वाले अपना हाथ साफ कर लेते हैं। व अपनी राजनीति चमका लेते हैं। हाल ही में ये सिम्स व जिला अस्पताल व एक निजी हास्पिटल में हो हंगामा हुआ है जिससे डाक्टर व महिला स्टाफ कर्मी दहशत में हैं। अब इन नियमों से हो हंगामा व तोडफ़ोड़ करने वालों पर तीन साल की सजा व जुर्माना किया जाएगा।


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