मतीन सिद्दीकी हाईकोर्ट के न्यायमित्र नियुक्त
बिलासपुर ! दुर्ग के विमल कुमार विश्वकर्मा ने अपनी मानसिक निशक्तता प्रमाण पत्र प्रदान किए जाने हेतु सिविल सर्जन सह मुख्श्य अस्पताल अधीक्षक दुर्ग के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया था,

बिलासपुर ! दुर्ग के विमल कुमार विश्वकर्मा ने अपनी मानसिक निशक्तता प्रमाण पत्र प्रदान किए जाने हेतु सिविल सर्जन सह मुख्श्य अस्पताल अधीक्षक दुर्ग के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया था, परंतु उन्हें सिविल सर्जन द्वारा यह जानकारी दी गई कि मानसिक निशक्तता प्रमाण पत्र डा.बी आर अम्बेडकर अस्पताल रायपुर से ही जारी किया जा सकता है। इसके पश्चात वह अम्बेडकर अस्पताल रायपुर में अपने पिता के साथ जांच हेतु उपस्थित हुए किन्तु बार-बार उपस्थित होने के बावजूद सही तरीके के से जांच नहीं की गई एवं 26 फरवरी 2017 को अम्बेडकर अस्पताल रायपुर द्वारा अपूर्ण जांच रिपोर्ट दी गई। चूंकि विमल कुमार विश्वकर्मा को अपने दिमागी इलाज हेतु एम्स नई दिल्ली जाना पड़ता है। परंतु उन्हें इस बाबत प्रमाण पत्र का लाभ रेल किराए हेतु नहीं मिल पाता है और निशक्तजनों को मिलने वाले अन्य कोई भी लाभ उन्हें नहीं मिल पा रहा था। इससे क्षुब्ध होकर इन्होंने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में विधिक सेवा के माध्यम से याचिका प्रस्तुत की कि चिकित्सा अधीक्षक, अंबेडकर अस्पताल रायपुर को जांच कर प्रमाण पत्र जारी किया जाए। साथ ही सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक दुर्ग को भी इस बाबत निर्देशित किया जावे। इस मामले की सुनवाई जस्टिस प्रशांत मिश्रा ने की। उच्च न्यायालय ने सुनवाई करते हुए अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी को न्यायमित्र नियुक्त किया है। जस्टिस प्रशांत मिश्रा ने सुनवाई करते हुए राज्य शासन को यह निर्देश जारी किया कि राज्य शासन यह जवाब दें कि निशक्तता हेतु गठित मेडिकल बोर्ड नि:शक्तजन (समान अवसर, अधिकारों एवं पूर्ण भागीदारी के संरक्षण) नियम, 1996 का गठन किया गया है कि नहीं। साथ ही यह भी जवाब दें कि मानसिक निशक्तता हेतु आईक्यू टेस्ट करने के लिए चिकित्सा केन्द्र है कि नहीं उच्च न्यायालय ने राज्य शासन को उक्त जवाब पेश करने हेतु दो सप्ताह का समय दिया है।


