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शिक्षाकर्मियों की नियुक्ति का मामला : जिपं गरियाबंद की जांच रिपोर्ट पर रोक

बिलासपुर ! शासकीय प्राथमिक शाला सोरीपारा में शिक्षाकर्मी वर्ग 3 के पद पर पदस्थ सुनील कुमार अवस्थी की नियुक्ति वर्ष 2005 में हुई थी।

शिक्षाकर्मियों की नियुक्ति का मामला : जिपं गरियाबंद की जांच रिपोर्ट पर रोक
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बिलासपुर ! शासकीय प्राथमिक शाला सोरीपारा में शिक्षाकर्मी वर्ग 3 के पद पर पदस्थ सुनील कुमार अवस्थी की नियुक्ति वर्ष 2005 में हुई थी। जिला कांग्रेस कमेटी गरियाबंद के अध्यक्ष बाबू लाल साहू ने एक लिखित शिकायत जिला पंचायत गरियाबंद में यह कहते हुए कर दी थी कि वर्ष 2005 एवं 2007 में की गई शिक्षाकर्मियों की भर्ती के समय भ्रष्टाचार करते हुए फर्जी अनुभव प्रमाण पत्रों के आधार पर नियुक्ति प्राप्त कर ली गई। उक्त शिकायत पर जिला पंचायत गरियाबंद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा एक जांच कमेटी तैयार कर भर्ती मामले की जांच कराई गई। जांच रिपोर्ट में पाया गया कि सुनील अवस्थी द्वारा प्रस्तुत अनुभव प्रमाण चूंकि शासकीय स्कूल से प्रदान किया गया था। इसलिए अनुभव के अंक प्रदान किए जाने हेतु वह पत्र नहीं है। इसी तरह जांच रिपोर्ट में अन्य शिक्षाकर्मियों के बारे में यह उल्लेख किया गया कि उनके अनुभव प्रमाण पत्र शासकीय स्कूल के हैं, इसलिए उन्हें दिए गए अनुभव के अंक सही नहीं है।
उक्त जांच रिपोर्ट के खिलाफ सुनील अवस्थी एवं 13 अन्य लोगों ने याचिकाएं हाईकोर्ट के समक्ष अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी एवं नरेन्द्र मेहर के माध्यम से चुनौती दी। सभी मामलों की सुनवाई न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की एकलपीठ में हुई। उच्च न्यायालय ने यह भी पाया कि 20/07/2007 के आदेश जिसमें कि संयुक्त सचिव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने देवभोग के शिक्षाकर्मियों के मामले में यह स्पष्ट उल्लेख किया है कि शासकीय स्कूल से यदि कोई अभ्यर्थी शिक्षा प्रदान कर अनुभव प्रमाण पत्र प्राप्त करता है तो वह भी मान्य होगा।
उच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि जिला पंचायत गरियाबंद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी कोई भी अंतिम निर्णय लेने के पहले इस बात का ध्यान रखें कि नियम-1997 के नियम 9 (1)(ख) और राज्य शासन के परिपत्र 20 जुलाई 2007 के दिशा-निर्देशों के तारतम्य में कोई भी पूर्णत: परिपालन करते हुए करें। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के पक्ष में अंतरिम राहत प्रदान करते हुए यह भी निर्देश दिया कि कोई भी आदेश पारित किया जाता है तो उसे एक महीने तक किसी भी प्रकार का प्रतिकूल निर्णय/ कार्रवाई क्रियान्वित नहीं की जाएं।


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