स्थानांतरण आदेश यथावत तो कार्यमुक्त करना आवश्यक
बिलासपुर ! अगर किसी शासकीय कर्मचारी का आदेश निलंबित या निरस्त नहीं हुआ है तो ऐसे कर्मचारी को कार्यमुक्त से नहीं रोका जा सकता। हाईकोर्ट ने सुकमा जिले के कुछ पटवारियों को उनके स्थानांतरण स्थल के लिए

बिलासपुर ! अगर किसी शासकीय कर्मचारी का आदेश निलंबित या निरस्त नहीं हुआ है तो ऐसे कर्मचारी को कार्यमुक्त से नहीं रोका जा सकता। हाईकोर्ट ने सुकमा जिले के कुछ पटवारियों को उनके स्थानांतरण स्थल के लिए कार्यमुक्त करने का आदेश दिया।
स्थानांतरण के लंबे समय के बाद भी कार्यमुक्त नहीं किए जाने के खिलाफ पटवारियों द्वारा दायर की गई याचिका पर हाईकोर्ट ने यह आदेश दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के स्थानांतरण आदेश में कोई परिवर्तन नहीं हुआ तो उन्हें स्थानांतरण स्थान के लिए कार्यमुक्त करें।
दूबेश्वर देहारी एवं अन्य याचिकाकर्ता पटवारी के पद पर सुकमा जिले में कार्यरत है। उनका स्थानांतरण 21 जुलाई 2016 को कांकेर एवं अन्य जिले में किया गया किन्तु रिलीवर नहीं आने के कारण उनको कार्यमुक्त नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कई बार संबंधित अधिकारियों से निवेदन किया किन्तु उनके द्वारा कहा गया कि जब तक रिलीवर नहीं आता तब तक अनुसूचित क्षेत्र से कार्यमुक्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने अधिवक्ता अजय श्रीवास्तव के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत किया। जिसमें हाईकोर्ट द्वारा पूर्व में ही निर्णित किया गया है कि एक बार स्थानांतरण के बाद उसे क्रियान्वित किया जाना आवश्यक है। जब तक स्थानांतरण आदेश को निलंबित, निरस्त या संशोधित नहीं किया गया हो। चूंकि पटवारियों के प्रकरण में स्थानांतरण आदेश में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। हाईकोर्ट ने आदेशित किया कि यदि याचिकाकर्ताओं का स्थानांतरण आदेश निलंबित या संशोधित नहीं हुआ तो उन्हें तत्काल कार्यमुक्त करे।


