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सिर्फ बीपीएल कार्डधारियों के लिए ही आरटीई कैसे? : हाईकोर्ट छत्तीसगढ़

बिलासपुर ! शिक्षा अधिकार कानून (आरटीई) के तह सिर्फ बीपीएल राशन कार्डधारी परिवारों के बच्चों को ही स्कूलों में प्रवेश के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर हाईकोर्ट

सिर्फ बीपीएल कार्डधारियों के लिए ही आरटीई कैसे? : हाईकोर्ट छत्तीसगढ़
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हाईकोर्ट ने महाधिवक्ता से कहा सरकार से निर्देश लेकर बताएं

जनहित याचिका पर अगली सुनवाई 20 को
बिलासपुर ! शिक्षा अधिकार कानून (आरटीई) के तह सिर्फ बीपीएल राशन कार्डधारी परिवारों के बच्चों को ही स्कूलों में प्रवेश के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने महाधिवक्ता को आदेश दिया कि वह शासन से उचित निर्देश प्राप्त कर कोर्ट को सूचित करे कि आखिर ऐसा किस आधार किया गया है। अगली सुनवाई 20 अप्रैल को होगी।
(ईडब्ल्यूएस) शिक्षा अधिकार कानून 2009 में इकोनॉमी वीकर सेक्शन की परिभाषा के अनुसार जिन परिवारों की वार्षिक आय तीन लाख रूपए से कम है उनके बच्चे को निजी स्कूलों में नि:शुल्क प्रवेश का प्रावधान किया गया है। छत्तीसगढ़ सरकार ने केन्द्र सरकार के इस कानून को दरकिनार सिर्फ बीपीएल राशन कार्डधारी परिवारों के बच्चों को ही शिक्षा अधिकार कानून के तहत स्कूलों में प्रवेश देने का प्रावधान लागू कर दिया गया है। भिलाई के रिटायर्ड इंजीनियर सीवी भगवन्त राव ने अपने अधिवक्ता देवर्षी ठाकुर के माध्यम से हाईकोर्ट में जनहित याचिका पेश कर राज्य सरकार के इस प्रावधान को चुनौती है। इसमें कहा गया है कि केन्द्र सरकार के शिक्षा अधिकार कानून में राज्य फेरबदल नहीं कर सकते । पूरे प्रदेश में लगभग चार लाख परिवार ऐसे हैं जो नगर पंचायत, नगर निगम व पंचायतों में नौकरी कर रहे हैं व लगभग 30 लाख परिवार ऐसे हैं जो टैक्स भरते हैं और जिनकी वार्षिक आय तीन लाख रूपए से ज्यादा नहीं है। राज्य शासन द्वारा 2007 व 2002 के सर्वे सूची के अनुसार प्रवेश दिया जा रहा है। इसका अर्थ यह है कि 2007 के बाद के गरीब परिवारों के बच्चों को इस कानून का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने महाधिवक्ता को आदेश दिया कि पूरे मामले पर शासन से निर्देश लेकर कोर्ट को सूचित करे कि शिक्षा अधिकार कानून के प्रावधानों में इस बदलाव का आधार क्या है।

हाईकोर्ट ने एसडीएम से फिर से मांगा जवाब
नायब तहसीलदार की जाति संबंधी जांच के खिलाफ याचिका पर हाईकोर्ट ने एसडीएम को पुन: जवाब पेश करने का आदेश दिया है।
पेण्ड्रारोड निवासी रमेश कुमार मरवाही में नायब तहसीलदार के पद पर पदस्थ थे। उनके विरुद्ध फर्जी जाति संबंधी मामले में एसडीएम (राजस्व), पेण्ड्रारोड के समक्ष शिकायत प्राप्त होने पर एसडीएम (राजस्व) , पेण्ड्रारोड द्वारा रमेश कुमार कमार की जाति संबंधी जांच की कार्रवाई शुरू कर दी गई इससे रमेश कुमार कमार द्वारा हाईकोर्ट अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय के माध्यम से हाईकोर्ट बिलासपुर में याचिका दायर की गई। अधिवक्ता द्वारा हाईकोर्ट के समक्ष यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा कुमारी माधुरी पाटिल एवं अन्य विरुद्ध एडीशनल कमीश्नर, ट्राईबल डेव्हलपमेंट एवं अन्य के वाद में यह अवधारित किया है कि किसी भी व्यक्ति के जाति संबंधी मामले की जांच सिर्फ हाई पॉवर जाति समिति द्वारा ही की जायेगी किसी अन्य प्राधिकारी द्वारा नहीं परंतु याचिकाकर्ता के जाति संबंधी मामले की जांच एसडीएम (राजस्व) को उक्त मामले में जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था परंतु आज दिनांक को 01 (एक) वर्ष बीत जाने के पश्चात भी एसडीएम (राजस्व) , पेण्ड्रारोड द्वारा जवाब प्रस्तुत न किये जाने पर उच्चन्यायालय बिलासपुर द्वारा पुन: जवाब प्रस्तुत करने का आदेश दिया।


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