गरीबों का दाल-भात हजम कर रहे संचालक
बिलासपुर ! आम जनता को जिले के दाल भात केन्द्रों में दाल भात नहीं मिल रहा है। जबकि जिले में 19 केन्द्र संचालित हो रहे हैं। लेकिन अधिकांश केन्द्रों में दाल भात आम जनता के लिए उपलब्ध ही नहीं रहता।

जिले में 19 दाल-भात केन्द्र,अधिकांश में नहीं पकता भोजन
हर माह 119 क्विंटल चावल की होती है आपूर्ति
बाजार में चावल बेचकर की जा रही कमाई
बिलासपुर ! आम जनता को जिले के दाल भात केन्द्रों में दाल भात नहीं मिल रहा है। जबकि जिले में 19 केन्द्र संचालित हो रहे हैं। लेकिन अधिकांश केन्द्रों में दाल भात आम जनता के लिए उपलब्ध ही नहीं रहता। हर माह खाद्य आपूर्ति निगम से एक सौ 19 क्विंटल चावल का आबंटन हो रहा है। लेकिन जनता को पांच रूपये में भोजन नहीं मिल रहा है। दाल भात केन्द्र के संचालकों द्वारा सरकारी चावल की हेराफेरी की जा रही है। लाखों रूपए का चावल बाजार में बेचा जा रहा है जबकि शासन ने दाल भात केन्द्र को शुरू करने की योजना इसलिए शुरू की थी कि गरीबों को पांच रूपये में पेट भरकर भोजन मिल सकें। शासन दाल भात केन्द्रों में हर साल करोड़ों रूपये खर्च कर रहा है। केन्द्रों में भोजन नहीं मिलने की शिकायत जिला प्रशासन से की गई है। लेकिन जिला प्रशासन दाल भात केन्द्रों पर कार्रवाई नहीं कर रहा है। अधिकांश केन्द्रों को नेताओं द्वारा संचालित किया जा रहा है। खाद्य निरीक्षक भी इन केन्द्रों की जांच नहीं करते जबकि जिले के दाल भात केन्द्र खाद्य विभाग के देखरेख में संचालित होते हैं। हर दिन हजारों गरीब केन्द्रों से वापस लौट जाते हैं।
जिले में दाल भात केन्द्र केवल औपचारिक तौर पर चलाए जा रहे हैं। दाल भात केन्द्रों में भोजन उपलब्ध नहीं हो रहा है, जबकि दाल भात केन्द्र को हर माह सरकारी चावल का आबंटन खाद्य विभाग निगम से हो रहा है। खाद्य आपूर्ति निगम हर माह एक सौ 19 क्विंटल चावल का आबंटन दाल भात केन्द्रों को करता है। गरीब जब दाल भात केन्द्रों में जाते हैं तो केन्द्र संचालक द्वारा यही जवाब मिलता है कि दाल भात खत्म हो गया है।
कई केन्द्रों में लटक रहा ताला
जिले में 19 दाल भात केन्द्र संचालित है। अधिकांश केन्द्रों में दाल भात पकाया ही नहीं जा रहा है। आम जनता को बिना भोजन किए वापस होना पड़ रहा है। ग्रामीण क्षेत्र में दाल भात केन्द्र अधिकांश बंद रहते हैं। मगर जिला शासन या खाद्य विभाग ने आज तक कोई कार्रवाई नहीं की है। अधिकतर केन्द्र नेताओं द्वारा द्वारा संचालित किए जा रहे हैं। दाल भात केन्द्रों के देखरेख की जिम्मेदारी खाद्य विभाग की है। फूड इंस्पेक्टर केन्द्रों का निरीक्षण करना है।
नहीं की जाती जांच
खाद्य निरीक्षकों द्वारा दाल भात केन्द्र की जांच नहीं की जाती, जबकि केन्द्रों के लिए खाद्य निरीक्षक के जरिए चावल का आबंटन की सूची खाद्य आपूर्ति निगम के पास पहुंंचती है। खाद्य निरीक्षक बिना चावल के स्टाक की जांच किए चावल आबंटन की सूची भेज देते हैं। खाद्य आपूर्ति निगम सूची के आधार पर दाल भात केन्द्रों में चावल की सप्लाई करता है।
बाजार में खप रहा चावल
प्रश्न यहां उठा रहा है कि जब दाल भात केन्द्र में आम जनता को दाल भात पांच रूपये में नहीं मिल रहा है तो सरकारी चावल कहां जा रहा है? दाल भात केन्द्र का हिसाब केवल कागजों में हो रहा है। केन्द्र संचालक सरकारी चावल की हेराफेरी कर रहे हैं। सरीकारी चावल को बाजार में बेचा जा रहा है। हर माह सरकारी चावल को बाजार में बेचकर मुनाफा कमाया जा रहा है। शिकायतों के बाद भी इन केन्द्रों पर कार्रवाई नहीं की जा रही है। शासन दाल भात केन्द्रों के पीछे करोड़ों रूपए खर्च करता है।
जांच कराई जाएगी
सभी दाल भात केन्द्रों की जांच कराई जाएगी। जांच के बाद केन्द्र संचालक पर कार्रवाई की जाएगी।
आशुतोष चतुर्वेदी
खाद्य नियंत्रक
जांच के बाद कार्रवाई
दाल भात केन्द्रों की जांच का निर्देश दिया जाएगा। जांच प्रक्रिया पूरी होने के बाद कार्रवाई की जाएगी।
पुन्नूलाल मोहले
खाद्य मंत्री


