बाघों के संरक्षण के लिए क्या किया 4 हफ्ते में बताएं
बिलासपुर ! छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने बाघों के संरक्षण तथा छत्तीसगढ़ में 3 बाघों की मौतों पर जवाबदेही तय करने हेतु दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए

बिलासपुर ! छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने बाघों के संरक्षण तथा छत्तीसगढ़ में 3 बाघों की मौतों पर जवाबदेही तय करने हेतु दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए शासन तथा वन विभाग को आदेशित किया कि बाघों के संरक्षण हेतु पिछले 6 माह में क्या कार्रवाई की गई इसकी जानकारी अगले 4 हफ्ते में बतायें। जस्टिस प्रशांत मिश्रा तथा जस्टिस अनिल शुक्ला की युगलपीठ ने कहा है कि बाघ संरक्षण के लिये वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम के तहत गठित स्टेरिंग कमेटी तथा टाईगर कंजर्वेशन फाउण्डेशन के अंतर्गत की गई कार्रवाइयों की जानकारी प्रस्तुत करने सुनवाई के दौरान न्यायालय ने बाघों की संख्या पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि टाईगर रिजर्व अचानकमार में 28 बाघों के होने का दावा व्यवहारिक प्रतीत नहीं होता, वहां पर इतने बाघ होत तो जरुर दिखते।
गौरतलब है कि कवर्धा के पंडरिया क्षेत्र में 20.12.2010 को एक बाघिन को जहर दे कर मारने, छुरा राजनांदगांव मेें 24.09.2011 को ग्रामीणों द्वारा बाघिन को मारने तथा भोरमदेव के जमुना पानी क्षेत्र में 15.11.2011 को बाघ को मारने के बाद रायपुर निवासी नितिन सिंघवी ने बाघों के संरक्षण तथा बाघों की मौत के मामले में दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही हेतु जनहित याचिका दायर की थी। छुरा में बाघिन को मारने के मामल की जांच राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने की थी तथा भोरमदेव में बाघ की मौत हेतु फेक्ट फाइंडिंग टीम गठित की थी, दोनों की जांच रिपोर्ट आ चुकी है। नितिन सिंघवी ने बताया कि प्रधानमंत्री ने अपे्रल 2016में टाईगर समिट में कहा था कि टाईगर का रहवासी क्षेत्र घट रहा है। टाईगर का संरक्षण भारत सरकार तथा राज्य सरकारों की सम्मिलित जवाबदारी है। टाईगर समिट में बाघों की संख्या वर्ष 2022 तक दुगुनी करने हेतु टीट् नाम से गोल भी दिया गया है।


