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जब सभी आरोपी बरी हो गए, तो किसने दिया इस ब्लास्ट को अंजाम : इसरायल मंसूरी

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) विधायक मोहम्मद इसरायल मंसूरी ने मालेगांव ब्लास्ट मामले में बरी हुए सभी आरोपियों के संदर्भ में कहा कि जब सभी आरोपी बरी ही हो गए

जब सभी आरोपी बरी हो गए, तो किसने दिया इस ब्लास्ट को अंजाम : इसरायल मंसूरी
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  • मालेगांव ब्लास्ट : सभी आरोपी बरी, सवाल- हमला किसने किया?

पटना। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) विधायक मोहम्मद इसरायल मंसूरी ने गुरुवार को मालेगांव ब्लास्ट मामले में बरी हुए सभी आरोपियों के संदर्भ में कहा कि जब सभी आरोपी बरी ही हो गए, तो इस हमले को किसने अंजाम दिया था?

उन्होंने कहा कि यह फैसला न्यायालय की तरफ से आया है। ऐसी स्थिति में इस पर किसी भी प्रकार की टिप्पणी करना उचित नहीं है। आज भी देश के लोगों के जेहन में यह सवाल उठ रहा है कि इस ब्लास्ट को किसने अंजाम दिया है?

राजद विधायक इसरायल मंसूरी ने उठाया सवाल : ब्लास्ट किसने किया?

उन्होंने कहा कि इस बात को तो खारिज नहीं किया जा सकता है कि यह ब्लास्ट हुआ था, जिसमें कई लोग मारे गए थे। अब ऐसे में लोग यह जानना चाहते हैं कि आखिर इसे किसने अंजाम दिया था? इस घटना को 17 साल हो चुके हैं। इतने साल बीत जाने के बाद भी अगर यह साफ नहीं हो पाया कि आखिर इसे किसने अंजाम दिया, तो मैं समझता हूं कि यह देश के लिए बहुत बड़ी चुनौती है।

मालेगांव फैसला : सबूतों के अभाव में सभी आरोपी बरी, 17 साल बाद भी अनसुलझा, देश के लिए बड़ी चुनौती

बता दें कि मालेगांव बम ब्लास्ट मामले में 17 साल के लंबे इंतजार के बाद गुरुवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत ने फैसला सुनाया। सबूत के अभाव में कोर्ट ने सभी सातों आरोपियों को बरी कर दिया।

कोर्ट का फैसला : एटीएस-एनआईए चार्जशीट में अंतर, सबूतों में गड़बड़ी

कोर्ट ने कहा कि एटीएस और एनआईए की चार्जशीट में काफी अंतर है। अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि बम मोटरसाइकिल में था। पुरोहित के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला कि उन्होंने बम बनाया या उसे सप्लाई किया। यह भी साबित नहीं हुआ कि बम किसने लगाया। घटना के बाद विशेषज्ञों ने सबूत इकट्ठा नहीं किए, जिससे सबूतों में गड़बड़ी हुई।

कोर्ट ने यह भी कहा कि धमाके के बाद पंचनामा ठीक से नहीं किया गया, घटनास्थल से फिंगरप्रिंट नहीं लिए गए और बाइक का चेसिस नंबर कभी रिकवर नहीं हुआ। साथ ही, वह बाइक साध्वी प्रज्ञा के नाम से थी, यह भी सिद्ध नहीं हो पाया।


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