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"कांग्रेस पार्टी के हिस्से जो भी सीटें आई हैं, उनको हमने सीईसी में मुहर लगवा ली है" : शकील अहमद खान

कांग्रेस विधायक और कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शकील अहमद खान ने गुरुवार को बिहार की राजधानी पटना में महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने बताया कि बुधवार को दिल्ली में कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की बैठक हुई, जिसमें बिहार चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे को लेकर चर्चा हुई

कांग्रेस पार्टी के हिस्से जो भी सीटें आई हैं, उनको हमने सीईसी में मुहर लगवा ली है : शकील अहमद खान
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कांग्रेस ने सीईसी में बिहार चुनाव की पारंपरिक सीटों पर लगाई मुहर: शकील अहमद खान

पटना। कांग्रेस विधायक और कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शकील अहमद खान ने गुरुवार को बिहार की राजधानी पटना में महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने बताया कि बुधवार को दिल्ली में कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की बैठक हुई, जिसमें बिहार चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे को लेकर चर्चा हुई।

बैठक के बाद प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम पटना लौटे हैं और पार्टी ने उन सीटों पर मुहर लगा दी है, जो कांग्रेस के लिए पारंपरिक और मजबूत मानी जाती हैं।

शकील अहमद खान ने कहा, "कांग्रेस पार्टी के हिस्से जो भी सीटें आई हैं, उनको हमने सीईसी में मुहर लगवा ली है। ये वे सीटें हैं, जिन पर हम लगातार लड़ रहे हैं और जहां हमारा आधार मजबूत है। इनमें कोई नेगोशिएशन की गुंजाइश नहीं है।" उन्होंने आगे कहा कि नई सीटों को लेकर आज फिर से चर्चा होगी और उसके बाद इसे सीईसी में लेकर जाएंगे।

कांग्रेस नेता ने मुकेश सहनी के बयान पर भी प्रतिक्रिया दी, जिसमें सहनी ने कहा था कि उन्हें 14 सीटें मिलें या 40, वे उपमुख्यमंत्री बनेंगे। इस पर शकील अहमद ने कहा, "सबको सीट मांगने का हक है, मुकेश सहनी को भी, कांग्रेस को भी। मुसलमानों और दलितों को भी सम्मान मिलना चाहिए। सबकी अपनी-अपनी ख्वाहिशें होती हैं।"

एनडीए के अंदर सीट बंटवारे को लेकर बढ़ती खींचतान पर भी उन्होंने चिंता जताई। शकील ने कहा, "एनडीए में सबसे बड़ी झूठी पार्टी टेकओवर करना चाहती है। सबसे पहले तो जीतन राम मांझी और चिराग पासवान को संज्ञान लेना चाहिए कि मुख्य न्यायाधीश पर जो दुर्व्यवहार हुआ है, उसका कोई प्रतिकार नहीं हो रहा। उन्हें शर्म से डूब मरना चाहिए।"

कांग्रेस पार्टी फिलहाल अपनी सीटों को लेकर आत्मविश्वास में है, लेकिन गठबंधन और सीट बंटवारे के मुद्दे पर राजनीतिक दलों के बीच जटिलता बनी हुई है। आगामी दिनों में सीट बंटवारे और गठबंधन की राजनीति में नए बदलाव देखने को मिल सकते हैं।


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