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राजीव प्रताप रूडी का हमला- बिहार ने लालू यादव का जंगलराज देखा, अब दोहराना नहीं चाहता

बिहार चुनाव के बीच भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी ने राजद और जन सुराज पार्टी पर निशाना साधा है

राजीव प्रताप रूडी का हमला- बिहार ने लालू यादव का जंगलराज देखा, अब दोहराना नहीं चाहता
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प्रशांत किशोर पर दो आईडी का आरोप, रूडी बोले- चुनाव लड़ते तो बात सुनने लायक होती

  • राजद के घोषणापत्र पर तंज- रूडी बोले, नौकरी का रेट भी तय कर दें
  • तेजस्वी की पहचान नहीं बनी, चुनाव लालू यादव के खिलाफ: भाजपा सांसद
  • रूडी का बयान- बिहार की जनता जंगलराज से डरी हुई है, एनडीए को मिलेगा समर्थन

पटना। बिहार चुनाव के बीच भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी ने राजद और जन सुराज पार्टी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि प्रशांत किशोर को जवाब देना होगा कि उनके पास दो आईडी कार्ड कहां से आए। आखिरकार, उनके पास पहले से ही दो आईडी हैं। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति के पास दो आईडी का होना अपराध है और इस पर कार्रवाई भी हो सकती है।

भाजपा सांसद ने राजद के घोषणा पत्र को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि उनके घोषणापत्र में क्या होगा। अगर वो नौकरी देने की बात कहेंगे तो उसका रेट भी फिक्स कर दें, क्योंकि अगर वो यह बता देंगे कि कौन सी नौकरी का क्या रेट होगा तो लोगों को थोड़ा भरोसा हो जाएगा।

उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद यादव के समय का जंगलराज पूरे बिहार ने देखा है। यही वजह है कि पूरा बिहार आज उनके भय और जंगलराज के खिलाफ है। तेजस्वी यादव तो अपनी कोई पहचान बना नहीं पाए हैं, इसलिए यह चुनाव लालू यादव के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि छपरा में 30 अक्टूबर को प्रधानमंत्री का कार्यक्रम है। इसके साथ ही पटना और दूसरे शहरों में भी उनके कार्यक्रम हैं।

इससे पहले भाजपा के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर के प्रत्याशियों को तोड़ने के आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि प्रशांत किशोर को बिहार को समझने के लिए एक चुनाव लड़ना चाहिए था। उन्होंने प्रशांत किशोर के चुनाव नहीं लड़ने के फैसले पर अफसोस जताते हुए कहा कि यह चिंता की बात है।

सारण के सांसद राजीव प्रताप रूडी ने पटना में मीडिया से बातचीत में जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर को अच्छा दोस्त और आदमी बताते हुए कहा कि कौन किसके प्रत्याशी को तोड़ रहा है, खरीद रहा है, यह तो बाद की बात है, लेकिन मुझे सदमा लगा है कि वे चुनाव नहीं लड़ रहे हैं।

उन्होंने कहा कि बिहार में नहीं, बल्कि दिल्ली और मुंबई में लोग कहते थे कि एक बड़ा नेता उभरकर आया है। ऐसे में वे चुनाव मैदान में नहीं हैं। बिहार को समझने के लिए कम से कम एक बार चुनाव लड़ना चाहिए था और जनता के बीच में जाना चाहिए था। जीतकर विधानसभा में जाना चाहिए था और तब टिप्पणी करनी चाहिए थी।

उन्होंने कहा कि मुझे अफसोस है कि वे चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। बिहार की जनता को भी अफसोस है कि इतने बड़े पार्टी का जनरल बना हो और खुद ही मैदान से बाहर निकल जाए। यह चिंता की बात है। और क्या हो रहा है, क्या नहीं हो रहा है, यह तो तब सुना जाता जब वे चुनाव लड़ते।


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