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राहुल गांधी झूठ बोलने में माहिर, लोगों को धमकाना और डराना खुद उनकी फितरत : रविशंकर प्रसाद

भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने राहुल गांधी की ओर से भाजपा के दिवंगत नेता अरुण जेटली पर लगाए आरोपों पर पलटवार किया

राहुल गांधी झूठ बोलने में माहिर, लोगों को धमकाना और डराना खुद उनकी फितरत : रविशंकर प्रसाद
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  • अरुण जेटली पर राहुल गांधी के आरोप : रविशंकर प्रसाद का पलटवार

पटना। भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने शनिवार को राहुल गांधी की ओर से भाजपा के दिवंगत नेता अरुण जेटली पर लगाए आरोपों पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी वैसे तो झूठे बोलने में माहिर हैं, लेकिन आज उन्होंने सारी हदें पार कर दी।

राहुल गांधी पर झूठ बोलने और धमकाने की फितरत का आरोप

राहुल गांधी ने कहा कि जब वे कृषि कानून का विरोध कर रहे थे, तब अरूण जेटली ने उन्हें धमकाया था और कहा था कि आपको यह विरोध बंद करना होगा, नहीं तो आपके खिलाफ कार्रवाई होगी।

इस पर रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आज अरूण जेटली हमारे बीच नहीं हैं। अरूण जेटली के व्यक्तित्व से सभी वाकिफ हैं कि कैसे वे अपने विरोधियों से भी मैत्रीपूर्ण व्यवहार किया करते थे। उनके व्यवहार से हम सब अवगत हैं। लेकिन, वे धमकी देंगे, यह विश्वास नहीं किया जा सकता है। निश्चित तौर पर राहुल गांधी झूठ बोल रहे हैं।

जेटली के निधन और कृषि कानूनों की समय-रेखा पर सवाल

उन्होंने कहा कि अरूण जेटली का निधन जून 2019 में हो गया था, जबकि कृषि कानून 2020 में लाया गया था। अरूण जेटली 2019 में एक साल पहले गुजर गए थे और कृषि कानून एक साल बाद लाया गया था। ऐसी स्थिति में अरूण जेटली राहुल गांधी को कैसे धमकी देंगे?

भाजपा सांसद ने राहुल गांधी के एक पुराने बयान का जिक्र करते हुए कहा कि एक बार राहुल ने कहा था कि इस देश के नौजवान एक दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर डंडे चलाएंगे। उन्होंने एक बार यह भी कहा था कि मैं एक बार बोलूंगा, तो संसद हिलेगी। यह राहुल गांधी का तरीका रहा है। लोगों को धमकाना और डराना खुद राहुल गांधी की फितरत है। राहुल गांधी ने तो यहां तक कहा था कि हमारे पास 'एटम बम' है, हम फोड़ देंगे।

उन्होंने एक पुराने प्रसंग का जिक्र करके कहा कि बीते दिनों ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान राहुल गांधी ने गुस्से में आकर संसद की मेज पर अपना हाथ जोरदार तरीके से दे मारा था। संसद में स्थिति ऐसी बन चुकी थी कि लोकसभा स्पीकर को हस्तक्षेप कर यहां तक कहना पड़ा था कि यह सदन की संपत्ति है, इसकी गरिमा रखिए।


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