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'द बंगाल फाइल्स' पर बोले गिरिराज सिंह, नई पीढ़ी को यह फिल्म देखनी चाहिए

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बेगूसराय में 'द बंगाल फाइल्स' फिल्म देखने के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि यह फिल्म आजादी के बाद की पीढ़ी के लिए एक जरूरी दस्तावेज है

द बंगाल फाइल्स पर बोले गिरिराज सिंह, नई पीढ़ी को यह फिल्म देखनी चाहिए
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गिरिराज सिंह बोले- 'द बंगाल फाइल्स' नई पीढ़ी के लिए जरूरी दस्तावेज

  • फिल्म पर विपक्ष के सवालों को खारिज, गिरिराज बोले- इतिहास को झूठलाया नहीं जा सकता
  • गिरिराज सिंह का बयान- बांटोगे तो काटे जाओगे, फिल्म देता है चेतावनी
  • मौलवियों के राजनीतिक फतवों पर तीखा जवाब- मंदिरों से भी हुंकार उठेगी

बेगूसराय। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बेगूसराय में 'द बंगाल फाइल्स' फिल्म देखने के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि यह फिल्म आजादी के बाद की पीढ़ी के लिए एक जरूरी दस्तावेज है।

उन्होंने कहा कि इस फिल्म में भारत के बंटवारे का सच दर्शाया गया है, जिसे नई पीढ़ी को जरूर देखना चाहिए।

गिरिराज सिंह ने जोर देकर कहा कि यह फिल्म न सिर्फ ऐतिहासिक तथ्यों को उजागर करती है, बल्कि वर्तमान बंगाल के हालात को समझने के लिए भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, "जो आजादी के बाद की पीढ़ी है, जिसने बंटवारे को नहीं देखा, उनके लिए 'द बंगाल फाइल्स' बंटवारे का सच दिखाती है। यह फिल्म हर किसी को, खासकर युवा वर्ग को देखनी चाहिए। इसमें गांधी जी की भूमिका को भी अपने-अपने नजरिए से देखा जा सकता है।"

उन्होंने आगे कहा कि फिल्म देखने के बाद ऐसा लगता है कि बंगाल में मौजूदा हालात को देखते हुए लोगों की जरूरत फिर से महसूस हो रही है, जो समाज को बचाने के लिए खड़े हुए थे। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस फिल्म से कोई भी मुंह नहीं छिपा सकता, क्योंकि यह आधी आजादी के सच को सामने लाती है।

विपक्ष द्वारा 'द बंगाल फाइल्स' पर सवाल उठाए जाने के बारे में पूछे गए सवाल पर गिरिराज सिंह ने कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने कहा, "क्या इतिहास के पन्नों को झूठलाया जा सकता है? क्या सोहराबुद्दीन और पुलिस की घटनाएं इतिहास में दर्ज नहीं हैं? इस फिल्म में एक संदेश भी है कि अगर तुम बांटोगे, तो काटे जाओगे।"

उन्होंने स्पष्ट किया कि यह फिल्म ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

वहीं, मौलवियों द्वारा राजनीतिक फतवे जारी करने के सवाल पर गिरिराज सिंह ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "अगर मस्जिदों से मौलवी राजनीतिक फतवे जारी करेंगे तो हम मंदिरों से अपनी हुंकार भरेंगे। हुंकार का मतलब हुंकार होता है।"

उन्होंने कहा कि मैं युवाओं से अपील करता हूं कि वे इस फिल्म को देखें और इतिहास के उन पहलुओं को समझें, जो आज भी समाज को प्रभावित करते हैं। उन्होंने कहा कि यह फिल्म न केवल इतिहास को समझने में मदद करती है, बल्कि वर्तमान और भविष्य के लिए भी एक सबक है।


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